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राजस्थान: विवादों में नीट काउंसलिंग,मेडिकल कॉलेजों में 705 सीटें रह गईं खाली

राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में सीटें नहीं भरी जा सकी हैं। इसको लेकर राजस्थान युवा डॉक्टर्स फाउंडेशन, भीम सेना सहित अनेक मेडिकल संगठनों ने विरोध जताया है।
NEET Rajasthan
image courtsy:Dainik Bhaskar

शिक्षा किसी भी देश का भविष्य तय करती है। ऐसे में देश के उच्च शिक्षण संस्थानों की जर्जर व्यवस्था और दाखिले में अनियमितता की खबरें निश्चित तौर पर चिंताजनक हैं। इस संदर्भ में सरकारों द्वारा किेए तमाम वादें खोखले ही नजर आते हैं। ताजा मामला राजस्थान का है। यहां नीट काउंसलिंग एक बार फिर विवादों में है। प्रदेश में काउंसलिंग के दोनों राउंड पूरे होने के बाद अभी भी राज्य में करीब 705 सीटें खाली रह गईं हैं। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी बड़ी संख्या में सीटें नहीं भरी जा सकी हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आश्चर्य की बात ये है कि इस बार राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज,जयपुर की भी 20 सीटें खाली रह गईं। राज्य के अलग-अलग सरकारी कॉलेजों की बात करें तो यहां 75 सीटें अभी भी भरे जाने के इंतजार में है।

नीट काउंसलिंग के बाद परिणाम आते ही राजस्थान युवा डॉक्टर्स फाउंडेशन, भीम सेना सहित अनेक मेडिकल संगठनों ने विरोध जताया। रविवार को जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में अभ्यर्थियों और उनके परिजनों ने विरोध स्वरूप हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों ने जयपुर की जवाहरलाल नेहरू यानी जेएलएन रोड जाम करने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारी सड़क पर देर रात तक डटे रहे और राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे।

इस पूरे विवाद के संदर्भ में राजस्थान युवा डॉक्टर्स फाउंडेशन के डॉ. विवेक माचरा ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि,प्रशासन अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इन पूरी प्रक्रिया में घालमेल कर रहा है। कम अंक पाने वाले छात्रों को अच्छे और सस्ते कॉलेज मिले हैं जबकि अधिक अंक पाने वाले छात्रों को इससे वंचित रखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि, ये होनहार और किसान परिवार के विद्यार्थियों के साथ बड़ा धोखा किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्टेट कोटे की 386 और मैनेजमेंट कोटे की 213 सीटों पर करोडों रुपयों का घोटाला हुआ है। सरकारी फ़ीस की सीटें खाली रखकर प्राइवेट कॉलेजों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।

डॉ. विवेक माचरा का कहना है कि दाखिले की पूरी प्रक्रिया में तय मानकों का उल्लंघन किया गया है। इसके खिलाफ हमारा संगठन मंगलवार को हाईकोर्ट में भी याचिका दायर करेगा।

इस पूरे मामले पर एक अभ्यार्थी ने नाम न बताने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया, 'कड़ी मेहनत और अच्छी रैंक लाने के बावजूद भी मुझे अपना मनपसंद कॉलेज नहीं मिल पाया। जबकि कम रैंक वाले छात्रों को अधिक अंक वालों से अच्छे और सस्ते कॉलेज मिले हैं।'

बता दें कि नीट की काउंसलिंग से नाराज़ हुए अभ्यर्थी और परिजन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट से मिलने भी पहुंचे। वहां इन्होंने इस बारे में लिखित शिकायत भी दी है।

राज्य के मेडिकल कॉलेजों में इनती बड़ी संख्या में सीट खाली रहने से निश्चित तौर पर काउंसलिंग सिस्टम पर सवाल उठना लाज़मी है। नीट की पहली काउंसलिंग 26 जुलाई को पूरी हुई थी जबकी दूसरी काउंसलिंग एक अगस्त को हुई। पहले राउंड के बाद यह कहा गया कि जिन छात्रों ने अन्य कॉलेज में एडमिशन ले लिया है, उनकी मैंपिंग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या चार दिन तक मैपिंग हुई? जाहिर सी बात है कि अगर मैपिंग हुई होती तो इतनी बड़ी संख्या में सीटें खाली नहीं रहती।

गौरतलब है कि राज्य में पिछली बार वर्ष 2018 में केवल तीन सीटें ही खाली रही थीं। लेकिन ये पहली बार हुआ है जब इतनी अधिक संख्या में सीटें खाली रह गईं हैं। नीट के चेयरमैन डॉ. सुधीर भंडारी ने इस बारे में मीडिया से कहा कि राज्य सरकार की ओर से तय नियमों के अनुसार ही काउंसलिंग करा रहे हैं। हमें जो भी आपत्तियां मिल रही हैं, उन्हें उच्च स्तर पर भेजा जा रहा है। हमारी कोशिश रहेगी कि हर समस्या का समाधान किया जाए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, ये विवाद कोर्ट में जाना तय लग रहा है। ऐसे में तमाम अभ्यर्थियों के भविष्य का क्या होगा, ये बड़ा सवाल है।

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