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रिपोर्ट : भारत सबसे कम़जोर और अविकसित बच्चों के मामले में सबसे ऊपर

ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2018 का कहना है कि दुनिया में कुल 15 करोड़ 80 लाख अविकसित बच्चों में से 31 फीसदी बच्चे भारत में है, जबकि दुनिया भर के कुपोषित बच्चों का आधा हिस्सा भारत में रहता हैं।
Malnutrition in India

ग्लोबल न्यूट्रिशन (वैश्विक पोषण) रिपोर्ट-2018, जिसे 29 नवंबर को प्रकाशित किया गया, उसके मुताबिक दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा 'अविकसित' बच्चे हैं- वास्तव में, दुनिया भर में सभी अविकसित बच्चों में से लगभग एक तिहाई बच्चे भारत में मौजूद हैं

हमारे देश में 4 करोड़ 60 लाख 60 हज़ार बच्चे (उम्र के हिसाब से कम ऊंचाई) हैं जो लंबे समय तक खराब पोषण के भोजन और बार-बार संक्रमण की वजह से पीड़ित रहते हैं ।

दुनिया में कुल 15 करोड़ 80 लाख बच्चों में से जो अविकसित हैं, भारत में उनका 31 प्रतिशत हिस्सा है। भारत के बाद नाइजीरिया (1करोड 30 लाख 90 हज़ार) और पाकिस्तान में (1करोड़ 70 लाख) अविकसित बच्चों की सबसे बड़ी आबादी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तीन देशों में अविकसित बच्चों की लगभग आधी (47.2 प्रतिशत) आबादी रहती हैं।

वैश्विक स्तर पर, पांच वर्ष से कम आयु के अविकसित बच्चों की संख्या  वर्ष 2000 में 22.2 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 32.6 प्रतिशत हो गयी थी।

और, भारत ही ऐसा देश है जहां 'कुपोषित' बच्चों की संख्या ज्यादा है (लंबाई के हिसाब से कम वजन और वजन घटने के गंभीर संकेत) और तीव्र कुपोषण के अधिक गंभीर संकेतक हैं

पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए, कुपोषण मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है। यह भुखमरी या बीमारी के कारण होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) ने 2015-2016 में राष्ट्रीय और परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के जिला स्तर के कुल आंकड़ों का उपयोग किया, जिसमें भारत के 604 जिलों में 6,01,509 परिवार शामिल थे, "यह स्थानिक कारणों में भिन्नता को समझने के लिए किया गया था"

मैपिंग में दिखाया गया है कि बच्चों में उम्र के मुकाबले कम कद एक जिले से दूसरे जिले से भिन्न है जो 12.4 प्रतिशत से 65.1 प्रतिशत तक अलग है, जिसमें से 604 जिलों में से 239 जिलों में 40 फीसदी से ज्यादा का स्टंटिंग का स्तर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 2 करोड़ बच्चे जन्म के समय कम वज़न के पैदा होते हैं।

इस बीच, दुनिया भर में 3 करोड़ 80 लाख 30 हज़ार बच्चे अधिक वजन वाले हैं, जबकि 38.9 प्रतिशत वयस्क अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं।

देश के प्रोफाइल के मुताबिक, 2015 तक, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों (दोनों लड़कों और लड़कियों) का प्रतिशत 37.9 प्रतिशत था - जबकि 5 साल से कम उम्र के बच्चों का प्रतिशत 20.8 प्रतिशत था।

घरेलू आय के स्तरों की जाँच से पोषण की स्थिति के आंकड़ों से पता चला है कि अनुमानतः, सबसे कम आय वाले परिवारों में पांच साल से कम आयु के बच्चों में सबसे ज्यादा कम कद के बच्चे  (23.8 प्रतिशत) और कुपोषण (स्टंटिंग) (50.7 प्रतिशत) है।

ग्रामीण-शहरी विभाजन को देखते हुए, ग्रामीण भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में 40.7 प्रतिशत  कुपोषित हैं जबकि शहरी भारत में 30.6 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में पांच वर्ष से कम उम्र के 21.1 प्रतिशत बच्चे उम्र के मुकाबले कम कद (अविकसित) है और 19.9 शहरी क्षेत्रों में ऐसे बच्चे हैं।

पांच से 19 साल के बच्चों और किशोरों की पोषण की स्थिति के लिए, 58.1 प्रतिशत लड़के कम वजन वाले थे जबकि 50.1 प्रतिशत लड़कियां कम वजन वाली थीं। लिंग के बीच यह अंतर पहली नज़र में भारत को प्रतिकूल लिंग अनुपात के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

वयस्कों में, प्रजनन आयु (डब्लूआरए) की सभी महिलाओं में आधे से अधिक, चाहे वे गर्भवती हों या नही, खून और पोषण की कमी से से पीड़ित हैं – और यह संख्या 51.4 प्रतिशत पर है।

वैश्विक स्तर पर, प्रजनन उम्र की सभी महिलाओं में से एक तिहाई में खून की कमी (एनीमिया) है, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में मोटापे का उच्च प्रसार है।

प्रोफ़ाइल में 'अंतर्निहित निर्धारकों' जैसे खाद्य आपूर्ति, महिला माध्यमिक शिक्षा नामांकन इत्यादि के समूह आंकड़े भी थे, लेकिन इनमें से कुछ निर्धारकों के लिए डेटा की तारीख पुरानी थी। 2016 तक, खाद्य आपूर्ति के मामले में 15 प्रतिशत आबादी को कुपोषण का शिकार होना पड़ा। 2015 तक, 12 प्रतिशत आबादी में 'बुनियादी' पेयजल की कमी थी, जबकि 56 प्रतिशत आबादी में 'बुनियादी' स्वच्छता की सुविधा नहीं थी।

देश के प्रोफ़ाइल के लिए लिए गए डेटा के स्रोतों का उल्लेख "यूनिसेफ / डब्ल्यूएचओ / विश्व बैंक समूह: संयुक्त बाल कुपोषण अनुमान, एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलोबोरेशन, डब्ल्यूएचओ ग्लोबल हेल्थओब्जर्वेतरी" के रूप में किया गया है।

यह वैश्विक पोषण रिपोर्ट  सरकारों, सहायता दाताओं, नागरिक समाज, संयुक्त राष्ट्र और व्यवसायों में फैले 100 हितधारकों द्वारा की प्रतिबद्धताओं को ट्रैक करने के लिए एक तंत्र के विकास के रूप में 2013 में विकास के लिए पोषण पर हुए शिखर सम्मेलन (एन 4 जी) के बाद अस्तित्व में आई थी।"

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