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रिटेल में 100% एफडीआईः BJP ने वही किया जिसका विरोध उन्होंने विपक्ष में रहते हुए किया था

अब तक ऑटोमेटिक रूट के तहत सिंगल ब्रांड रिटेल में 49% तक एफडीआई की अनुमति दी गई थी और इस सीमा से ऊपर सरकारी स्वीकृति की आवश्यकता होती थी।

FDI

बीजेपी जब विपक्ष में थी तो रिटेल में एफडीआई का पुरज़ोर विरोध किया था लेकिन अब इसके निवेश का रास्ता आसान बना दिया। केंद्र की बीजेपी सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में ऑटोमेटिक रूट के ज़रिए 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआईको अनुमति देने का फैसला किया है। अब तक सिंगल ब्रांड रिटेल में 49%तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की ऑटोमेटिक रूट के तहत अनुमति थी और इस सीमा से ऊपर सरकारी स्वीकृति की आवश्यकता होती थी।

ऑटोमेटिक रूट के तहत निवेश के लिए भारतीय रिजर्व बैंक या केंद्र सरकार से स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी।

ये फैसला बुधवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किया गया। यह निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा पारित एफडीआई नीति में संशोधन का हिस्सा है।

विदेशी कंपनियों को भारत में सिंगल ब्रांड उत्पाद खुदरा व्यापार (एसबीआरटीको सीधे ब्रांड के मालिक द्वारा या किसी भारतीय कंपनी के साथ सहयोग करने की अनुमति होगी।

सिंगल ब्रांड रिटेल व्यापार का मतलब ऐसा खुदरा स्टोर जहां एकल ब्रांड के उत्पादों को बेचा जाता है जैसे कि ऐप्पल या नाइके। जबकि वॉलमार्ट जैसे स्टोर में कई ब्रांडों के उत्पाद बेचे जाते हैं।

सरकार ने भारत में एसबीआरटी में संलग्न विदेशी कंपनियों के लिए स्थानीय आपूर्ती मानदंडों में छूट देने का भी फैसला किया है।

अब तक एसबीआरटी संस्थाओं को अपनी ख़रीद का 30% सामान भारत से लेने की ज़रूरत होती थी।नए नियमों के तहत अपने संचालन के पहले पांच वर्षों में एसबीआरटी कंपनियों को अनिवार्य 30% स्थानीय आपूर्ति आवश्यकता के विपरित वैश्विक परिचालन के लिए भारत से "वस्तुओं की वृद्धि संबंधी आपूर्तिको शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।

वृद्धि संबंधी आपूर्ति (इनक्रिमेंटल सोर्सिंगको सिंगल ब्रांड के लिए भारत से एसबीआरटी फर्म की वैश्विक आपूर्ति की सालाना वृद्धि के रूप में परिभाषित किया गया है।

दूसरे शब्दों में हर साल वैश्विक कारोबार के लिए भारत से संस्थागत आपूर्ति में जो भी वृद्धि होती है उसे भारतीय कारोबार के लिए "स्थानीय आपूर्तिके आँकड़ों में शामिल किया जाएगा।

छोटे व्यवसायियों और ट्रेड यूनियनों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि "यह छोटे व्यवसाय के लिए एक गंभीर मामला है। यह अजीब है कि मौजूदा खुदरा व्यापार के कल्याणतरक्की और आधुनिकीकरण के लिए नीतियों को तैयार करने के बजाय सरकार खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और उसपर हावी होने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए रास्ता आसान बनाने में अधिक दिलचस्पी दिखा रही है।”

विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्ष में रहते हुए खुद बीजेपी ने रिटेल सेक्टर में एफडीआई का विरोध किया था। दिसंबर 2012 को नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था, "कांग्रेस विदेशियों को ये देश सौंप रही है। ज्यादातर पार्टियों ने एफडीआई का विरोध किया था लेकिन सीबीआई की डर के कारण कुछ पार्टियों ने वोट नहीं दिया और कांग्रेस को पीछे के दरवाजे से जीत हासिल हो गई!"

सीपीएम ने सरकार के इस क़दम का पूरज़ोर विरोध किया है। पार्टी के पोलित ब्यूरो ने एक बयान में कहा, "ख़ुदरा व्यापार में एफडीआई को उदार बनाने वाला ये क़दम घरेलू ख़ुदरा व्यापारियों और दुकानदारों के लिए हानिकारक होगा। ये क़दम संकेत देता है कि मोदी सरकार मल्टी-ब्रांड रिटेल ट्रेड में एफडीआई को अनुमति देने की दिशा में आगे बढ़ रही है।"

बयान में कहा गया कि "बीजेपी जब विपक्ष में थी तो रिटेल ट्रेड में विदेशी कंपनियों के प्रवेश को लेकर विरोध की थी। लेकिन सत्ता में होने के चलते अब वह चालाकी से पलट गई है।"

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