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रफाल सौदाः सीबीआई को दी गई शिकायत में पीएम मोदी का नाम भी शामिल

रफाल सौदे में जांच मांग करते हुए सीबीआई को दी गई शिकायत में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, डसॉल्ट सीईओ ईरिक ट्रैपियर और अनिल अंबानी के साथ-साथ पीएम मोदी का भी नाम शामिल किया गया है।
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यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दिए शिकायत में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ प्रधानमंत्री मोदी को आरोपी के रूप में शामिल किया गया है। 4 अक्टूबर, 2018 की तारीख़ वाली इस शिकायत में वर्तमान रफ़ाल सौदे में ऑफसेट क्लौज से अंबानी की रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (आरएएल) को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अनिल अंबानी के साथ शामिल होने को लेकर प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया गया है। सीबीआई को दी गई शिकायत के अलावा, रफ़ाल सौदे के विवरण की मांग को लेकर भारतीय सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।

3 अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की एक पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से रफ़ाल सौदे में हुई निर्णय प्रक्रिया के मामले में न्यायालय को विवरण सौंपने को कहा है। ये आदेश एमएल शर्मा और विनीत धंडा द्वारा दायर याचिकाओं के बाद दिया गया है। अदालत में दायर याचिकाओं में सौदे का विवरण सार्वजनिक करने की गुहार लगाई गई थी। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने केवल अपनी संतुष्टि के लिए इन विवरणों की मांग की है और इसे सरकार को जारी नोटिस के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।

हालिया रफ़ाल सौदे ने बड़े विवाद को जन्म दे दिया है क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के अधीन किए गए सौदे को वर्तमान सरकार ने रद्द कर दिया था और नए रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोज़ल (आरआईपी) को जारी किए बिना नया रफ़ाल सौदा कर लिया। इसके अलावा ऑफसेट की आवश्यकताओं में वृद्धि कर दी गई। हालांकि, नई ऑफसेट आवश्यकताओं का बड़ा लाभार्थी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की बजाय इस सौदे से महज़ दस दिन पहले अस्तित्व में आई एक नई निजी कंपनी होगी।

सिन्हा, शौरी और भूषण ने इस साल 9 अगस्त और 11 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था जिसमें सभी ने प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाए थे। उनके प्रेस विज्ञप्ति में विसंगतियों में ज़िक्र किया गया है कि कोई भी ईमानदार व्यक्ति को संदेह होगा कि इसमें साजिश किया गया है। हालांकि, सीबीआई को की गई उनकी वर्तमान शिकायत में और अधिक जानकारी दी गई है।

उन्होंने प्रधानमंत्री और तत्कालीन रक्षा मंत्री पर आपराधिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। इनमें से दोनों ने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत अपराध किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री और तत्कालीन रक्षा मंत्री के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की है साथ ही डसॉल्ट एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( सीईओ) ईरिक ट्रैपियर और अनिल अंबानी के ख़िलाफ़ उकसाने को लेकर मामला दर्ज करने की मांग की है।

हालांकि, इस शिकायत में उल्लेख किया गया है कि सीबीआई को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 19 के तहत एक अजीब परिस्थिति में रख दिया जाएगा, क्योंकि अभियोजन के लिए मंजूरी की आवश्यकता है। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को यह तय करने का कार्य सौंपा जाएगा कि क्या प्रधानमंत्री और अन्य नामित व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी दी जानी चाहिए या नहीं। संभवतः इसकी स्वीकृति दिए जाने की संभावना नहीं है, एफआईआर दर्ज करने और अपराध की जांच के लिए मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं है। कोई यह उम्मीद करेगा कि कम से कम शिकायत के संबंध में एफआईआर दर्ज की जाएगी।

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