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खार्कोव में रूसी सैनिकों की तैनाती से डोनबास की लड़ाई में तेज़ी आएगी

रूसी विशेष सैन्य अभियान के लिए डोनबास की लड़ाई अभी भी पहली प्राथमिकता है।

ukraine

न्यूयॉर्क टाइम्स ने खुलासा किया है कि अमेरिका ने यूक्रेनी सेना के साथ महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी साझा की और खार्कोव के पास मौजूदा "जवाबी हमले" की तैयारी में भाग लिया। कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि पश्चिमी मीडिया जो बाइडेन प्रशासन की मंशा को प्रचारित कर जिसे एक सफल स्टोरी बता रहा है वह संभवतः, अमेरिका में घरेलू राजनीति पर नज़र रखने के साथ तथ्यात्मक रूप से सही हो। मीडिया में लीक ख़बर पिछले 3-4 दिनों की नाटकीय घटनाओं के बारे में बताता है।

यूक्रेनी सेना के हमले को देखने के दो तरीक़े हैं। पहला, कीव ने रूस पर भारी हार को थोपा है और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर किया है, या अमेरिकी खुफिया को आख़िरकार खार्कोव में रूसी सीमा से गुप्त जानकारी मिली जो सैनिकों की फिर तैनाती के क्रम में हाल के हफ्तों में जारी था और कीव के साथ खुफिया जानकारी साझा की जिसने निश्चित रूप से इस पर काम किया।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बाद की स्थिति की पुष्टि करती है जिसको लेकर अब तक अफवाहें बरक़रार है।

वास्तव मेंइस यूक्रेनी हमले के दौरान खार्कोव क्षेत्र में शायद ही कोई लड़ाई हुई हो और आश्चर्यजनक रूप से रूस का ध्यान भारी संख्या में तोपों की मौजूदगी के मद्देनज़र बाक़ी सैनिकों सीमा से निकालन था। रूसी ऑपरेशन ने सुनिश्चित किया कि किसी तरह की कोई बड़ी हताहत न हो। हाल के हफ्तों (या महीनों) में ओस्कोल नदी के किनारे नई सीमा निर्धारित की जा रही थी वह स्पष्ट और सुनिश्चित हो गई है।

रूसी सैन्य कमान के मूल्यांकन के बाद बालक्लेस्को-इज़ियम की तरफ से वापसी की गई। इस तरह की सीमा को बरक़रार रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। मार्च में, जब रूसी सेना ने इज़ियम पर नियंत्रण हासिल कर लिया था तो यह धारणा थी कि यह डोनेट्स्क क्षेत्र के क्रामाटोर्स्क ज़ेले में उत्तर से स्लोवियास्क शहर की ओर ऑपरेशन शुरू करने में मदद करेगा। लेकिन जैसा कि पिछले 4 महीनों में जो कुछ हुआ ऐसे में रूसियों ने ज़ाहिर तौर पर उस विचार को पूरी तरह से छोड़ दिया।

वास्तव में रूसी विशेष सैन्य अभियान के लिए डोनबास की लड़ाई अभी भी नंबर एक प्राथमिकता बनी हुई है। जैसा कि कुछ पश्चिमी पत्रकार अनुमान लगा रहे हैं, बालक्लेस्को-इज़ियम की तरफ़ से फिर से तैनाती अब डोनबास में हमले को कमज़ोर करने के बजाय इसे काफी मज़बूत करेगी। डोनबास और काला सागर का प्रवेश द्वार होने के कारण इज़ियम की प्राचीन घटना से भ्रम पैदा होता है। जबकि, आज आधुनिक संचार के चलते डोनबास की तरफ़ रूसी आपूर्ति लाइनों को उत्तर से ऐसे प्रवेश द्वार के बिना भी क़ायम रखा जा सकता है।

दूसरा, इज़ियम घने जंगली क्षेत्र में मौजूद है। कुछ लोग इसे शेरवुड फॉरेस्ट कहते हैं। इसके पश्चिम में यूक्रेनी सेना तैनात थी और रूस की मौजूदगी निशाना बनाया गया था। सीधे शब्दों में कहें तो इज़ियम पर निरंतर क़ब्ज़ा मैनपावर का केवल और केवल नुक़सान है।

फिर भी, बालक्लेस्को- इज़ियम की दिशा में होने वाली घटनाओं ने रूस के भीतर ही सैन्य कमान द्वारा अयोग्य तरीक़े से नियंत्रित करने को लेकर आलोचना शुरू कर दी है। इस मामले में कुछ आलोचना राष्ट्रपति पुतिन को लेकर भी किए गए थे। डोनबास अभियान में "परिणाम" दिखाने के लिए सैन्य कमान पर दबाव बढ़ गया।

हक़ीक़त में, खार्कोव क्षेत्र अब तक काफ़ी हद तक एक हिस्सा रहा है। सच्चाई यह है कि सितंबर की शुरुआत में दक्षिण में खेरसॉन और ज़ापोरोज़िया के विपरीत (जो अब स्थगित हो गया है) खार्कोव में किसी भी जनमत संग्रह को कराने की कोई योजना नहीं है जो कि अपने आप में स्थिति को बयां करता है।

पिछले हफ़्ते बालक्लेस्को-इज़ियम की दिशा में होने वाली घटनाएं यूक्रेनी सशस्त्र बलों के लिए मनोबल बढ़ाने वाली होंगी। इसका भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा। पहली बात कि शांति वार्ता के लिए कीव का इच्छा नहीं होगी। यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेज़निकोव द्वारा रविवार को दिया गया बयान युद्धस्थिति की परिस्थिति तैयार करने वाला है। उनका ये बयान कि "कीव 1 दिसंबर, 1991 की सीमा के भीतर यूक्रेन के सभी क्षेत्रों को [रूस द्वारा] छोड़ने के बाद बातचीत के लिए तैयार है। यूक्रेन के लिए 24 फरवरी का अब और कोई विकल्प नहीं हैं।"

कुल मिलाकर यूक्रेन के सशस्त्र बलों की कमान की योजना डोनबास और क्रीमिया सहित सभी "क़ब्ज़े वाले" क्षेत्रों को पूरी तरह से "मुक्त" करने की है, और इसके अलावा कुछ भी नहीं! दिलचस्प बात यह है कि रेज़निकोव रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के एक बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि मास्को यूक्रेन के साथ वार्ता को अस्वीकार नहीं करता है, लेकिन कीव द्वारा शांति वार्ता में और देरी से समझौते पर पहुंचने की संभावना जटिल हो जाएगी।

यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद के सचिव डैनिलोव के अनुसार, कीव पहले से ही रूस के आत्मसमर्पण को स्वीकार करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है, साथ ही इसे कई बेहतर छोटे राज्यों में विभाजित कर रहा है! इस तरह का पागलपन और युद्ध उन्माद बाइडेन प्रशासन के लिए संयम और यथार्थवाद के शुरुआती संकेतों को आगे बढ़ाने के लिए चीज़ों को बेहद मुश्किल बना देगा जो पिछले शुक्रवार को कीव यात्रा के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की बयान में दिख रहा था।

जब ट्रैवलिंग मीडिया पार्टी ने यूक्रेनियन "काउंटरऑफेंसिव" के बारे में पूछा तो ब्लिंकन ने सावधानी से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "हां, हमें जवाबी कार्रवाई पर एक बड़ा अपडेट मिला... हम धरातल पर स्पष्ट और वास्तविक गतिविधि को देख रहे हैं। ख़ासकर खेरसॉन के आसपास के क्षेत्र में इस पर नज़र है, लेकिन पूर्व में डोनबास में कुछ दिलचस्प घटनाक्रम भी सामने आया है।”

इससे पहले कीव में ब्लिंकन ने मीडिया की मौजूदगी में राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की अहम बातों का जवाब नहीं दिया। वे मानते हैं कि अमेरिकी मदद से "हमारे क्षेत्रों, हमारी भूमि के वापस होने की संभावना की गारंटी" है।

अमेरिकी चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले भी नेशनल पब्लिक रेडियो को दिए एक साक्षात्कार में शनिवार को अपनी टिप्पणी में यूक्रेनी जवाबी कार्रवाई के बारे में विशेष रूप से सावधान दिखे। जनरल ने कहा कि यह देखा जाना बाकी है कि अगले कुछ हफ़्तों में क्या कुछ होता है। जनरल ने कहा, "यह एक बहुत ही कठिन कार्य है जो यूक्रेनियन कर रहे हैं। कुशलता से अपने हमले को संघटित कर रहे हैं।"

जबकि खार्कोव क्षेत्र में सैनिकों का जमावड़ा रूसी सेना को डोनेट्स्क के क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने करने को लेकर अपना ध्यान केंद्रित करने में सक्षम करेगा। ऐसा नहीं है कि सैन्य कमान ने खार्कोव से पीछे हट गई है।

रूसी रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि रशियन एयरोस्पेस फोर्सेस, मिसाइल ट्रूप्स और तोप खार्कोव क्षेत्र में यूक्रेनी इकाइयों और रिजर्व फोर्सेस पर "हमले करना" जारी रखे हुए है। यूक्रेन की सेनाएं जो उस घने जंगली क्षेत्र में मज़बूत स्थिति में थीं, अब निकल चुकी हैं और उन्हें निरंतर वायु, मिसाइल और तोप के हमलों से निशाना बनाया जा रहा है।

रूसी रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि पिछले तीन दिनों में ही बालक्लेस्को और इज़ीयम के पास 2,000 से अधिक यूक्रेनी लड़ाके मारे गए। निश्चित रूप से, बड़ी संख्या में सैनिक भी ज़ख़्मी हुए होंगे। यह देखते हुए पूरे खार्कोव ऑपरेशन में क़रीब 15,000 यूक्रेनी सैनिकों के शामिल होने का अनुमान है। यह एक बहुत भारी नुक़सान है। कुल मिलाकर इसको लेकर कीव बहुत ज़्यादा ख़ुश नहीं हो सकता है।

एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वह उज़्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत थे। विचार व्यक्तिगत हैं।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

https://www.newsclick.in/russian-regrouping-kharkov-will-speed-battle-donbass

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