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शिक्षा और अपनी विरासत को बचाने के लिए उत्तराखंड में युवाओं का मार्च

"राज्य में उच्च शिक्षा का हाल बुरा है। कई कॉलेज ऐसे हैं जिनके पास अपनी बिल्डिंग तक नहीं है। एक या दो कमरों में कॉलेज चल रहे है। दूसरी तरफ़ सरकार हमारे स्वतंत्रता अंदोलन की विरासत को भी नहीं बचा रही है''।
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भारत ज्ञान विज्ञान समिति का "सबका देश मेरा देश" कैम्पेन जो पुरे देश में चल रहा है, उसी के तहत उत्तराखण्ड के देहरादून शहर में 'शिक्षा बचाओ, लोकतंत्र  बचाओ' नारे के साथ युवाओं ने मार्च निकाला। इस मार्च में शिक्षा के निजीकरण, भगवाकरण, व्यापरिकरण के अलावा राज्य और आज के नौजवानों को हमारे देश की विरासत जो सरकारों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण बर्बाद हो गई है या हो रही है, के महत्व के बारे में नौजवनों को बांटने और उससे बचने के लिए कल मंगलवार को युवाओं ने क़रीब 30 किमी की यात्रा की और देश की विरासत और संवैधानिक मूल्यों को बचाने का संकल्प लिया। 

भारत ज्ञान विज्ञान समिति ने बताया कि 12 मार्च के दिन ही क्यों यह कार्यक्रम किया गया।  कल का दिन(12 मार्च) हिंदुस्तान के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक बड़ा ही महत्वपूर्ण दिन है। आज से 98 साल पहले 12 मार्च 1930 को  महात्मा गांधी ने चिन्हित 78 आंदोलनकारियों के साथ साबरमती आश्रम से नमक आंदोलन के लिए डांडी मार्च प्रारम्भ किया था। इसी दिन महात्मा गांधी ने यह संकल्प भी लिया था कि जब तक मुल्क को आज़ादी नहीं मिलेगी तब तक वह साबरमती आश्रम में प्रवेश नहीं करेंगे। उत्तर भारत में देहरादून एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ एक नदी के पानी से नमक बनाकर और उस नमक को बेचकर नमक क़ानून को तोड़ा गया था।

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य सचिव विजय भट्ट ने बताया की गांधीजी की इस डांडी यात्रा में देहरादून के रहने वाले वीर खडग बहादुर भी शामिल थे।  उन्होंने गांधीजी से ज़िक्र किया था कि हमारे गाँव के पास भी एक नदी बहती है जिसके कुछ हिस्से में नमकीन पानी पाया जाता है। तो फिर गांधी जी ने खडगबहादुर को देहरादून जाकर इस नदी से नमक बनाकर नमक आंदोलन शरू करने की सलाह दी थी।  गांधीजी की सलाह पर वीर खडग बहादुर ने शहर के तत्कालीन आंदोलनकारियों के साथ मिलकर यहाँ नमक बना कर नमक सत्याग्रह शुरू किया था। जिस जगह नमक बनाया गया था उसका नाम खारा खेत पड़ा। खारा का मतलब नमक है। इसी के बगल में नेम और नून नदी बहती है। जिसका पानी नमकीन है।   

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विजय भट्ट ने आगे कहा भारत ज्ञान विज्ञान समिति उत्तराखंड ने भारत ज्ञान विज्ञान युवा समिति के साथ मिलकर आज इसी जगह से अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क के द्वारा चलाये जा रहे "सबका देश अपना देश" अभियान की शुरुआत की। 12 मार्च के कार्यक्रम में नौजवानों को अपनी विरासत को समझने और बचाने की अपील की गई। इस कार्यक्रम में तीस के लगभग युवा व अन्य साथी शामिल हुए। सभी नौजवनों ने इस ऐतिसाहिक स्थल की सफ़ाई की। फिर इस जगह पर और नमक आंदोलन पर चर्चा की गई। इस विषय पर सर्वोदय मंडल देहरादून के साथी बीजू नेगी जी ने विस्तार से जानकारी दी। 'सबका देश हमारा देश' अभियान को ज़ोर-शोर से करने के संकल्प के साथ आज के कार्यक्रम हुआ। 

नितेश जो  की ख़ुद छात्र हैं व एसएफ़आई के राज्य कार्यकारिणी सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है और हमारी सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के बजाये उसे तबाह करने में लगी है। राज्य में उच्च शिक्षा का हाल तो और भी बुरा है। कई कॉलेज ऐसे हैं जिनके पास अपनी बिल्डिंग तक नहीं है। एक या दो कमरों में कॉलेज चल रहे है। दूसरी तरफ़ सरकार हमारे स्वतंत्रता अंदोलन की विरासत को भी नहीं बचा रही है।

नितेश ने आगे कहा, "इन सबके ख़िलाफ़ हमारा यह अभियान जारी रहेगा। आने वाले समय में ऐसे कई सेमिनार और जन जागरूकता के अभियान चलाए जाएंगे जिससे हम अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ अपने भविष्य को भी सुरक्षित करने के लिए एक बेहतर सरकार चुन सकेंगे। इसके लिए हम आम चुनावों से पहले आम जनता का एक घोषणापत्र जारी करेंगे। जो दल उसे अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाएगा, हम उसके पक्ष में मतदान करेंगे।" 

 

 

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