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सरकार के खिलाफ कार्टून शेयर करने पर बस्तर के पत्रकार पर राजद्रोह का मुक़दमा

"पिछले एक महीने में छत्तीसगढ़ पुलिस ने 7 पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज़ किये हैं I वो उन पत्रकारों को डराने की कोशिश कर रहे हैं जो रमन सिंह की सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं I "
jounalist

छत्तीसगढ़ पुलिस ने सोमवार को बस्तर के पत्रकार कमल शुकला पर एक कार्टून (जिसमें सरकार और न्यायपालिका की निंदा की गयी थी) को फेसबुक पर शेयर करने के लिए राज्यद्रोह का केस थोप दिया है I पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि इसकी शिकायत राजस्थान के निवासी द्वारा की गयी जिसने साइबर सेल को इसकी शिकायत की जिन्हें ये कार्टून अपमानजनक लगा I बाद में इसे कंकर पुलिस स्टेशन में ट्रान्सफर कर दिया गया I

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कंकर के SP के एल ध्रुव ने कहा “हमने राजस्थान के एक व्यक्ति की शिकायत पर शुक्ला पर Indian Penal Code की धारा 124-A (राजद्रोह) के तहत मुकद्दमा दर्ज़ किया I रायपुर में साइबर सेल द्वारा हमे ये केस सौंपा गया I जाँच चल रही है इसपर ज़रूरी कदम उठाये जायेंगे I”

शुक्ला जो कि ‘भूमकाल समाचार’ पत्रिका के संपादक हैं, लगातार फ़र्ज़ी एनकाउंटरों के खिलाफ लिख रहे हैं I शुक्ला ने जो कार्टून शेयर किया उसमें जज बी एच लोया की मौत पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सवाल उठाये गए थे I

इस बात की पुष्टि फेसबुक पर करते हुए शुकला ने कहा कि बुद्धिजीवी और पत्रकार लगातार लोकतांत्रिक संस्थानों को कमज़ोर किये जाने के खिलाफ लिख रहे हैं I उन्होंने ताज्जुब जताया कि सिर्फ फेसबुक पर एक कार्टून शेयर करने पर इतना कठोर कानून कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है I

शुक्ला ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ये पहली बार नहीं है कि राज्य पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है I “ पिछले एक महीने में छत्तीसगढ़ पुलिस ने 7 पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज़ किये हैं I वो उन पत्रकारों को डराने की कोशिश कर रहे हैं जो रमन सिंह की सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं I नितिन सिन्हा और सौरभ अग्रवाल पर अपनी पत्रकारिता के ज़रिये आवाज़ उठाने के लिए उनपर मुकदमें थोप दिए गए I”

 “मैं अकेला नहीं हूँ जिसने जज लोया की मौत पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सावल उठाया है I आम लोग ये आशा कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट इसपर एक स्वतंत्र जाँच की अनुमति देगा I इसी तरह विपक्षी पार्टियाँ भी मुख्यन्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश की थी ये यही जताता है कि न्यायपालिका दबाव में काम कर रही है I”

शिकायत के बारे में बात करते हुए शुकला ने कहा कि ये कहना कि ये शिकायत राजस्थान के किसी व्यक्ति ने की है अपने आप में संदेहजनक है I शुक्ला ने अपनी बात पर जोड़ा “IT सेल्स के जैसे ही राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने सेल बना रखे हैं जो सोशल मीडिया पर डाली गयी चीज़ों को देखते रहते हैं और जब कुछ चीज़ उनकी नीतियों के खिलाफ होती हैं तो वह उनके खिलाफ शिकायत दर्ज़ कर देते हैं, जिससे व्यक्ति को खामोश किया जा सके I”

छत्तीसगढ़ पुलिस पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाहियां करने के लिए प्रख्यात रही है I पत्रकारों को इस बात का भी डर लगता है कि अगर वह Directorate of Public Relations (DPR) के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं तो उनपर ज़्यादा दमन होगा क्योंकि छत्तीसगढ़ पुलिस उन्हें ही पत्रकार मानती है जो DRP के अंतर्गत पंजीकृत हैं I

मालिनी सुब्रमण्यम जो कि Scroll.in से जुड़े हुए हैं , को बस्तर से ज़बरदस्ती निकाल दिया गया जब उन्होंने इलाके में मानवाधिकार हनन के बारे में लिखा I वह DPR के अंतर्गत पंजीकृत नहीं थीं इसीलिए उन्हें सुरक्षा नहीं दी गयी I इसी तरह सोमारू नाग और संतोष यादव पर सब राजद्रोह का केस थोपा गया जब वह प्रशासन के खिलाफ लिख रहे थे I नाग के परिवार को इसके बारे में 3 दिनों बाद बताया गया I

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