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अफ़ग़ानिस्तान को सताता सीरिया का भूत

मिली रिपोर्टों के मुताबिक अगर सुरक्षा परिदृश्य गंभीर रूप से बिगड़ता है, तो कोई भी रूसी कार्रवाई "सीरिया पर की गई कार्रवाई के समान" हो सकती है, जिसमें हवाई हमले और विशेष सुरक्षा अभियान बलों की तरफ़ से हुई कार्रवाई भी शामिल होगी।
डूरंड लाइन पर फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो गया है। अफ़ग़ानिस्तान के साथ खैबर सीमा में तैनात पाकिस्तानी सैनिक
डूरंड लाइन पर फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो गया है। अफ़ग़ानिस्तान के साथ खैबर सीमा में तैनात पाकिस्तानी सैनिक

सत्ता के गलियारों में अपने लिंसंपर्क के माध्यम से मास्को दैनिक वेदोमोस्ती ने रिपोर्ट किया है कि अफ़ग़ानिस्तान की ओर से हमलों की स्थिति में रूस उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान को "सीमित सैन्य सहायता" देगा, जिसमें हथियारों की आपूर्ति, हवाई समर्थन और विशेष बलों की तैनाती शामिल होगी, लेकिन फिलहाल ऐसी "कोई योजना नहीं है" वह क्षेत्र में प्रमुख जमीनी बलों को तैनात करेगा”।

रूसी रक्षा मंत्रालय के करीबी सूत्रों ने बताया है कि विशेष कार्यवाई सुरक्षा बल "तनाव बढ़ने पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं"। उक्त दैनिक रिपोर्ट एक रक्षा विशेषज्ञ की राय के साथ समाप्त हुई जिसमें उन्होने कहा कि यदि सुरक्षा परिदृश्य गंभीर रूप से बिगड़ जाता है, तो रूसी ऑपरेशन "सीरिया पर की गई कार्यवाई के समान हो सकता है, जिसमें हवाई हमले और विशेष सुरक्षा बालों के मिशन भी शामिल होंगे। जैसा कि सीरिया में हुआ था, इस तरह के ऑपरेशन में बिना निर्देशित युद्ध सामग्री का सीमित उपयोग शामिल होगा जो संभावित शत्रुता की प्रकृति को देखते हुए काफी प्रभावी साबित हो सकता है।”

दरअसल, हाल ही में रूसी सैन्य तैयारियों का गियर बदल गया है। रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने मिलकर लगभग 2500 सैनिकों के साथ, 5 अगस्त को अफगान सीमा से 20 किमी दूर ताजिकिस्तान के खारब-मैदान अभ्यास रेंज में बड़े पैमाने पर संयुक्त सैनिक अभ्यास शुरू किया है, जो अगली 10 अगस्त तक जारी रहेगा। जैसा कि बताया जा रहा है, इस अभ्यास में 2500 सैनिक शामिल हैं, उनमें से 1800 रूसी सैनिक हैं, और ज्यादातर को ताजिकिस्तान में मौजूद रूस के 201वें सैन्य अड्डे की इकाइयों से लिया गया हैं।

रूस के सेंट्रल मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के डिप्टी कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल येवगेनी पोप्लाव्स्की ने मीडिया को बताया कि "सैन्य खतरे बढ़ रहे हैं और स्थिति तेजी से तनावपूर्ण और अप्रत्याशित होती जा रही है। संयुक्त अभ्यास हमें संचित युद्ध अनुभव की धुरी को नापने में मदद करेगा, सेना की बेहतरीन कार्यवाई के सर्वोत्तम रूपों कद अपनाने में मदद करेगा और युद्ध के मामले में सामान्य दृष्टिकोण अपनाने में सक्षम बनाएगा।”

इस बीच, अफगान में उपजे हालात की पृष्ठभूमि में पिछले सप्ताह एक समानांतर रूसी-उज़्बेक "सामरिक अभ्यास" भी किया गया था, जो शुक्रवार को अमू दरिया पर उज़्बेक सीमावर्ती शहर तेर्मेज़ के पास समाप्त हुआ था। 

इस सैनिक अभ्यास ने अमू दरिया सीमा पार करने वाले अफ़ग़ानिस्तान से अवैध सशस्त्र समूहों का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त रूसी-उज़्बेक दल बनाने और विशेष अभियानों चलाने का फैंसला किया है।

दिलचस्प बात यह है कि रूस के केंद्रीय सैन्य क्षेत्र के कमांडर मिखाइल टेप्लिंस्की ने मीडिया को बताया कि, "यह सैनिक अभ्यास सीरिया में रूसी सेना द्वारा अवैध सशस्त्र समूहों को रोकने के लिए चलाए गए अभियान के अनुभव पर आधारित है।"

दोनों देशों से भाग लेने वाले सैनिकों की संख्या लगभग 1500 है, जो विशेष वाहनों और विमानों से लैस थे, जिन्होंने हवाई टोही विमानों के जरिए बड़े सशस्त्र समूहों को सीमा पार करने से रोका है। गौरतलब बात यह है कि रूस के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ आर्मी जनरल वालेरी गेरासिमोव ने अभ्यास का जायज़ा लेने के लिए टर्मेज़ का दौरा किया था।

उज्बेकिस्तान की अफ़ग़ानिस्तान के साथ 144 किमी की सीमा है जो तुर्कमेनिस्तान से शुरू होकर अमू दरिया से होते हुए ताजिकिस्तान तक जाती है। इसकी तुलना में, ताजिकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा की लंबाई 1,357 किमी है और यह पश्चिम में उज्बेकिस्तान से होते हुए  पूर्व में चीन के साथ ट्रिपपॉइंट तक जाती है, और यह लगभग पूरी तरह से अमू दरिया, प्यांज और पामीर नदियों से होते हुए वखान गलियारे तक जाती है। 

ताजिक-अफगान सीमा की रक्षा करना बहुत कठिन काम है क्योंकि पूरा इलाका एक पहाड़ी इलाका है। रूसी-उज़्बेक-ताजिक सैनिक अभ्यास विशेष सैनिक समूहों के गठन की परिकल्पना से जुड़ा है, जो अपने दम पर या मशीनीकृत पैदल सेना और टोही, कवच, तोपखाने और अन्य इकाइयों के लड़ाकू बलों के साथ काम कर सकते हैं, जिसमें रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक युद्ध दल और वायु रक्षा, यूएवी, संचार और गार्ड इकाइयाँ आदि शामिल हैं।  

इस अभ्यास ने दुश्मन के इलाके में ऑपरेशन को बेहतर बनाया है, जिसमें फील्ड इकाइयों को रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा और दुश्मन की टोही करने वाली तकनीक को मोबाइल कमांड सेंटर से मार्गदर्शन और स्मार्ट हथियारों, अटैक ड्रोन आदि के इस्तेमाल का मार्गदर्शन मिल रहा है। 

रूसी मूल्यांकन को माने तो, बाइडेन प्रशासन अफ़ग़ानिस्तान में एक खुली सैन्य उपस्थिति दर्ज़ करने और सीरिया में एक हाइब्रिड युद्ध शुरू करने का युद्धाभ्यास कर रहा है। अमेरिका के भूराजनीतिक इरादों को लेकर मॉस्को को गहरा संदेह है।

रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने हाल ही में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि: "मैं यहां एक बात कह सकता हूं, और यह काफी तार्किक बात है: यदि आप मूल रूप से बाड़ के पीछे खड़े हैं तो आप पीछे क्यों हट रहे हैं, और आप उसमें मौजूद झरोकों से झांक कर देखने की कोशिश कर रहे कि वहाँ चल क्या रहा है? फिर पीछे क्यों हट रहे हो? ताकि सेमा पर बने रहो? जवाब स्पष्ट है: कि आप मध्य एशियाई क्षेत्र में जड़ें जमाने का प्रयास कर रहे है…” 

आखिर "बड़ी तस्वीर" है क्या? अफ़ग़ानिस्तान में चल रहा गृहयुद्ध जल्द ही या थोड़ा बाद में इन क्षेत्रों पर प्रभाव डालेगा। इससे बेशक, बहुत खून-खराबा होगा और असहाय नागरिकों को बड़े पैमाने पर आंतरिक विस्थापन का शिकार होना पड़ेगा।   

सऊदी सरकार का दैनिक अख़बार, अशरक अल-अवसात ने हाल ही में सीरियाई संघर्ष का विश्लेषण किया है: " वर्तमान में रूसी सैन्य दृष्टिकोण का मानना है कि मानव संसाधनों की कमी, आर्थिक संकट और विदेशी सेनाओं के हस्तक्षेप के कारण सीरियाई सेना देश के सभी हिस्सों को नियंत्रित करने में असमर्थ रही हैं। इसलिए, "अस्थायी समाधान" प्रभाव के पड़ोसी क्षेत्रों में निहित है: जिसमें, उत्तर-पश्चिम में तुर्की के साथ एक समझौता होना, उत्तर-पूर्व में अमेरिका के साथ एक समझौता, दक्षिण-पश्चिम में फ्री सीरियन आर्मी में पूर्व सेनानियों के साथ एक सम्झौता और सरकारी बलों के साथ एक समझौता, मध्य-पश्चिमी क्षेत्रों में रूस और ईरान के साथ सम्झौता", कुछ ऐसे कदम हैं जिससे सीरिया में युद्ध थमा है।  

सीरिया के चित्र में थोड़ा फेरबदल करके देखे तो बदला चित्र दिखाएगा कि निकट भविष्य में अफगान की तस्वीर कैसी नज़र आएगी:राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में अफगान सरकार का नियंत्रण सिकुड़ रहा है। ओह, अफ़ग़ानिस्तान या सीरिया जैसे देश, हालांकि प्राचीन संस्कृतियां हैं, लगता जो हाल ही में पैदा हुए हैं।

अप्रत्याशित रूप से, पाकिस्तान अपनी सीमा खोलने और अफगान शरणार्थियों को अंदर जाने देने के अमेरिकी दबाव का विरोध कर रहा है। मेरे विचार से, तालिबान वास्तव में दक्षिण-पूर्वी में  चमन स्थित सीमा क्रॉसिंग को बंद करने की पहल करके पाकिस्तान पर एक बड़ा उपकार कर रहा है, जिस सीमा को तालिबान ने पिछले महीने अफगान बलों से छिन कर कब्जा कर लिया था। 

पाकिस्तान ने 2,611 किलोमीटर लंबी डूरंड रेखा पर 90 प्रतिशत बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बॉर्डर बैरियर में चेन-लिंक फेंस के दो सेट होते हैं, जो 2 मीटर की की लंबाई पर अलग हो जाते हैं, जो कंसर्टिना वायर कॉइल से भरा होता है। डबल बाड़ लगभग 4 मीटर ऊंची है। सीमा पर किसी भी गतिविधि पर नजर रखने के लिए सेना ने निगरानी कैमरे लगाए हैं।

समान रूप से देखा जाए तो रूस और मध्य एशियाई राष्ट्र जब तक सुरक्षित हैं तब तक कि कुंदुज़ और तखर तालिबान के नियंत्रण में रहते हैं। फिर से, तालिबान के पश्चिम में निम्रोद पर कब्जा करने से, ईरान की सीमा भी सुरक्षित रहेगी। तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसियों को ऐसा आश्वासन दिया है।

इस मामले में भारत एकमात्र अपवाद है। अफ़ग़ानिस्तान एक बड़ा देश है और अब समय आ गया है कि भारतीय विश्लेषक जो 'हमेशा के लिए' चलने वाले युद्ध चलाने की बात करते रहते  हैं उन्हे युद्ध के संभावित विघटन पर विचार करना चाहिए। रूस ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने की शत्रुता और लंबे समय तक गृहयुद्ध के बढ़ने का जोखिम है और जो एक "कठोर वास्तविकता बन गई है।" यदि गृह युद्ध के हालात बढ़ते हैं, तो अफ़ग़ानिस्तान के टुकड़े होना तय है।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Spectre of Syria Haunts Afghanistan

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