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तबरेज़ लिंचिंग: झारखंड पुलिस सवालों के घेरे में, हत्या की धारा हटाने का किया बचाव

तबरेज़ की पत्नी के वकील ने बताया, ‘‘हमने आरोपियों के खिलाफ धारा 302 हटाने और इसे धारा 304 में बदलने के खिलाफ याचिका दायर की है। राज्य प्रशासन की मंजूरी के बाद ही इसे स्वीकार किया जाएगा।’’
तबरेज़ अंसारी (फाइल फोटो)
तबरेज़ अंसारी (फाइल फोटो) साभार :India Today

झारखंड पुलिस ने तबरेज़ अंसारी की ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ हत्या) मामले में 11 आरोपियों के खिलाफ हत्या के आरोप को गैर इरादतन हत्या में तब्दील करने के अपने फैसले का बुधवार को पुरजोर बचाव किया। पुलिस ने कहा कि यह मामले की जांच और मेडिकल रिपोर्ट पर आधारित है।

17 जून 2019 को तबरेज़ अंसारी (24) को कथित चोरी को लेकर एक खंभे से बांध कर लोहे की सरिया से पीटे जाने और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर करने की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आया था। साथ ही, राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी इसे दिखाया गया था।

सरायकेला-खरसावां जिला पुलिस ने 13 नामजद आरोपियों में 11 के खिलाफ 29 जुलाई को आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन इन 11 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत लगाये गए हत्या के आरोप को हटा लिया गया है और वे अब आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मुकदमे का सामना करेंगे।

पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने बताया, ‘‘ हमने प्राधिकारियों से सलाह-मशविरे के बाद धारा 302 को धारा 304 में बदलने का फैसला किया है। यह फैसला उचित जांच, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है, जिनमें कहा गया है कि अंसारी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।’’

हत्या का आरोप हटाये जाने को लेकर हो रहे बवाल पर सवाल उठाते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘लोग आईपीसी की धारा 304 को कमतर क्यों मान रह रहे हैं? इस धारा को कमतर मानना आईपीसी को कमतर मानने के समान है।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जुलाई के अंत में तैयार आरोप पत्र में दो कारणों से आईपीसी की धारा 304 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया। पहली वजह यह है कि अंसारी की मौत भीड़ की पिटाई के दौरान नहीं हुई। दूसरे, ग्रामीणों का अंसारी को मारने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने बाइक चोरी की आशंका को लेकर हमला किया था। उन्होंने बताया कि अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंसारी के सिर से जानलेवा रक्तस्राव होने की बात भी सामने नहीं आयी।

वहीं, एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप हल्के किये जाने पर मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि इस बात की अधिक गुंजाइश है कि अभियोजन लचर तरीके से काम करने की अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेगा। आरोप हल्के किये जाने के कदम को लेकर टि्वटर पर भी लोगों ने सवाल किये।

कार्तिक से जब पूछा गया कि क्या पुलिस को चंडीगढ़ से केंद्रीय फॉरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट मिल गई है? तो उन्होंने ने ‘‘हां’’ में जवाब दिया लेकिन कोई ब्योरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अंसारी पर भीड़ के हमले की वीडियो से ‘छेड़छाड़ नहीं’ की गई है लेकिन वीडियो का ऑडियो के साथ तालमेल नहीं है।

अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मंजू कुमारी की अदालत में दायर याचिका पर कार्तिक ने कहा, ‘‘चूंकि यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (ए) (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का दुर्भावनापूर्ण अपमान करना) के तहत दर्ज किया गया था, इसलिए जिला प्रशासन ने किसी फैसले के लिए इसे राज्य सरकार को भेज दिया है।

परवीन के वकील अल्ताफ हुसैन ने भी कहा कि राज्य प्रशासन की मंजूरी के बाद ही याचिका स्वीकार की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने आरोपियों के खिलाफ धारा 302 हटाने और इसे धारा 304 में बदलने के खिलाफ याचिका दायर की है। राज्य प्रशासन की मंजूरी के बाद ही इसे स्वीकार किया जाएगा।’’ तबरेज़ की पत्नी की तरफ़ से इस मामले में एक व्यक्ति प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल को नामज़द और सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

न्यूज़क्लिक ने इस पर सात सितंबर को विस्तार से ख़बर की थी। 

इसे पढ़ें : तबरेज़ मॉब लिंचिंग : चार्जशीट में हत्या को गैरइरादतन हत्या में बदलने की कोशिश!

इस केस के सम्बंध में तबरेज़ के चाचा मसरूर आलम से बात हई तो उन्होंने बताया कि शुक्रवार, 6 सितंबर को रांची मानवाधिकार आयोग में भी इस संबंध में एक आवेदन दिया गया है जिसमें विषय के तौर पर ये लिखा गया है के सरायकेला थाना अन्तर्गत काण्ड संख्या 77 /19 , दिनांक 22 - 06 -2019 में अनुसंधानकर्ता द्वारा आरोप पत्र संख्या 81 /19 दिनांक 27 - 07 - 2019 को धारा 302 भा.द. वि को हटा कर अन्य धाराओं के अलावा धारा 304 भा.द. वि के अंतर्गत सरायकेला सीजेएम के न्यायालय में दिनांक 23 - 07 - 2019 को ग़लत ढंग से आरोप पत्र दाख़िल करने के संबंध में आवेदन दिया जा रहा है।

तबरेज़ के चाचा के मुताबिक यह आवेदन मानवाधिकार आयोग रांची में स्वीकृत कर लिया गया है और कार्रवाई एवं जांच का आश्वासन दिया गया है।

तबरेज़ अंसारी पुणे में एक मजदूर और वेल्डर के तौर पर काम करता था। वह ईद मनाने के लिए घर आया था। इस बीच, 17 जून की रात मोटरसाइकिल चुराने की कोशिश के संदेह में धतकीडीह गांव के लोगों ने उसे पकड़ लिया। भीड़ ने अंसारी को एक खंभे से बांध दिया और उसे डंडों तथा लोहे की सरिया से पीटा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी दिखाया गया। वीडियो में अंसारी को ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ बोलने के लिए मजबूर करते देखा जा सकता था। अंसारी की 22 जून को मौत हो गई। मामले में कुल 13 लोगों को नामजद किया गया था। पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है क्योंकि दो के खिलाफ अब भी जांच चल रही है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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