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तिरछी नज़र : प्रधानमंत्री का एक और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

आपको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का इंटरव्यू मिल जाये यही सबसे बड़ी सफलता है। एक बार प्रधानमंत्री जी इंटरव्यू के लिए तैयार हो जायें तो, जो भी प्रश्न आपने पूछने हैं, पीएमओ स्वयं भेज देता है।
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : Newslaundry

चुनाव का माहौल है। चुनावी माहौल में मोदी जी गैर चुनावी इंटरव्यू दे रहे हैं। मुझे लगा मौका है, मैं भी मोदी जी का इंटरव्यू ले ही डालूं। चुनाव के बाद तो मोदी जी सिर्फ चुनावी इंटरव्यू ही देंगे। मैंने सोचा इतनी बड़ी शख्सियत का इंटरव्यू लेना है तो खूब तैयारी करनी चाहिए। तो मैं तैयारी में जुट गया। सबसे पहले तो प्रधानमंत्री कार्यालय को इंटरव्यू के लिए लिखा। यही सबसे बड़ा काम है। आपको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का इंटरव्यू मिल जाये यही सबसे बड़ी सफलता है। एक बार प्रधानमंत्री जी इंटरव्यू के लिए तैयार हो जायें तो, जो भी प्रश्न आपने पूछने हैं, पीएमओ स्वयं भेज देता है।

फिर भी मैंने सोचा कि अपनी तरफ से तैयारी तो कर ही लूं। मैंने प्रधानमंत्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद के सारे पुराने और नये इंटरव्यू देख कर प्रश्नों की एक फेहरिस्त तैयार की है। ध्यान रखा कि प्रधानमंत्री जी से वही प्रश्न पूछे जायें जिनका उत्तर वे एक शर्मीली, खुशनुमा सी मुस्कान से दे सकें।

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पहला प्रश्न: प्रधानमंत्री जी, आप बहुत ही भयमुक्त हैं। आपके बचपन की एक घटना पढ़ी है। एक बार तालाब किनारे अन्य बच्चों के साथ खेलते हुए आपकी गेंद तालाब में चली जाती है। मगरमच्छों के डर से कोई भी बच्चा तालाब में घुसने का साहस नहीं कर पाता है। पर आप बेहिचक तालाब में घुस कर गेंद निकाल लाते हैं। बहुत सारे पाठक आपकी इस वीरता की कथा और  कृष्ण की बचपन की कहानियों में सामंजस्य पाते हैं। क्या यह अनायास ही है। आपमें इतनी निडरता बचपन से ही कहां से आई। साथ ही आप देश में भयमुक्त समाज की स्थापना कब तक कर पायेंगे।

दूसरा प्रश्न: प्रधानमंत्री सर, आपने बचपन में अपनी मां के हाथों की बनी गुजराती डिशेज जैसे थेपला, ढोकला, फाफड़ा आदि बड़े चाव से खायी होंगी। पता चला है आप बचपन में आम भी बहुत चाव से खाते थे। बाद में आपको बंगाली, दक्षिण भारतीय और उत्तर भारत के व्यंजन भी अच्छे लगने लगे। अब आप विश्व नेता बन चुके हैं। आपको कोन्टीनेंटल डिशेज में क्या क्या पसंद है। आप जो मशरूम खाते हैं उसके बारे में भी कहा जाता है कि वह भी कोन्टीनेंटल है।

तीसरा प्रश्न: आपने अपने विभिन्न इंटरव्यू में बताया है कि आप चौबीस घंटे में मात्र चार घंटे की नींद लेते हैं। वह भी कई बार हवाई जहाज की कष्टदायक सीट पर। पर आपके द्वारा किये गए बेइंतहा कामों को देख कर तो लगता है कि आप चार घंटे की नींद भी नहीं लेते हैं। पर मेरा मानना है कि शायद जिस चार घंटे की नींद की बात आप करते हैं, देश की इस दुर्दशा के कारण आप वह भी नहीं ले पाते हैं। आप उसमें भी देश की स्थिति के बारे में, गरीबों की दशा सुधारने के बारे में स्वप्न देखते रहते हैं। आप चाहे तो इस प्रश्न का उत्तर नहीं भी दे सकते हैं।

चौथा प्रश्न: मोदी जी, आपको कोई फकीर कहता है। कोई आपको संन्यासी कहता है। पर मुझे लगता है कि आपका जीवन "सादा जीवन, उच्च विचार" का जीता जागता उत्कृष्ट उदाहरण है। आप जो दस लाख का सूट पहनते हैं वह भी प्रधानमंत्री पद की गरिमा के कारण पहनते हैं। पर जैसे ही उस सूट पर विवाद उठ खड़ा होता है, आप उसे त्यागने में क्षण भर भी नहीं लगाते हैं और उसकी नीलामी करवा देते हैं। इसी तरह दिन में चार चार बार जैकेट बदलना और लाखों रुपये किलो वाला मशरूम खाने की बात सिर्फ पद की गरिमा बनाये रखने की वजह से है। आपका मन इनमें बिल्कुल भी नहीं है। अंत में आप अपने आप को क्या कहलाना पसंद करेंगे। फकीर, संन्यासी, संत, साधु, योगी या कुछ और।

पांचवां प्रश्न: प्रधानमंत्री जी, आप हमेशा ही मुस्कुराते रहते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद से विशेष रूप से, आपसे इंटरव्यूज़ में बहुत बार बहुत ही कठिन प्रश्न पूछे गये। कोई और होता तो उन कठिन प्रश्नों को सुनकर आग बबूला हो जाता, पर आपको एंग्री होते हुए बिलकुल भी नहीं देखा है। प्रधानमंत्री बनने से पहले भी यदि आपको गुस्सा आता था तो इंटरव्यू छोड़ कर चले जाते थे, गुस्सा नहीं दिखाते थे। और अब तो आपको गुस्सा आता ही नहीं है या फिर आता है तो सिर्फ और सिर्फ अपने विरोधियों पर आता है। ये विरोधी हैं ही ऐसे। आप उन पर गुस्से के आलावा और कुछ कर ही नहीं सकते हैं। पर बाकी जगह आप गुस्से को बहुत ही अच्छी तरह कंट्रोल कर लेते हैं। आपका एंगर मैनेजमेंट इतना अच्छा कैसे है। क्या यह पहले से ही इतना अच्छा था या अब प्रधानमंत्री बनने के बाद और अधिक अच्छा हो गया है?

छठा प्रश्न: प्रधानमंत्री महोदय, बचपन में आप चाय बेचा करते थे। आपने अपने पिछले इंटरव्यू में बताया था कि आप चाय पीने के शौकीन हैं। आप दिन में दो बार चाय अवश्य ही पीते हैं। एक तो सुबह की चाय और दूसरी दोपहर बाद की चाय। आपको यह चाय पीने की आदत, यदि इसे हम आदत कह सकते हैं तो, कब पड़ी। क्या आप जब बचपन में चाय बेचा करते थे तब भी आप चाय पीते थे। सर, सर आप इसका उत्तर दें इससे पहले मैं आपको एक चुटकला सुना सकता हूँ। एक बच्ची एक टॉफी बेचने की दुकान पर बैठी थी। एक अंकल आये और उस बच्ची से पूछने लगे, बेटे तुम्हारा मन इन टॉफियों को खाने का नहीं करता है। बच्ची ने जवाब दिया अंकल करता तो है पर मैं बस  इन्हें चाट कर रैपर में पैक कर रख देती हूं। तो क्या प्रधानमंत्री सर, क्या आप भी ग्राहकों को चाय देते हुए उसमें से एक आध सिप......

सातवां प्रश्न: प्रधानमंत्री जी, मैंने आपकी बचपन की फोटो देखीं हैं। उन फोटोज में आप बहुत ही क्यूट दिखाई देते हैं। विशेष रूप से उस फोटो में जिसमें आप सूट पहने हैट लगाये हुए हैं। और आज भी इस उम्र में भी आप बहुत ही हैंडसम दिखाई देते हैं। छप्पन इंच का सीना और उससे भी चौडे़ कंधे। वाह क्या पर्सनैलिटी है। क्या आपके मन में कभी फिल्मों में स्टार बनने का नहीं आया? 

आठवां प्रश्न: सर आप बहुत ही कल्पनाशील हैं। इतने अधिक कि अधिकतर आपकी कल्पना और तथ्यों में कोई तालमेल नहीं रहता है। जैसे कि आप कभी तक्षशिला को वर्तमान भारत में बता देते हैं और कभी सिकंदर को बिहार तक पहुंचा देते हैं। समकालीन इतिहास में आपकी रुचि और उस पर आम जनता से संवाद इतना रोचक है कि आप चुनावी सभा में ही भगत सिंह और किसी भी कांग्रेसी नेता के जेल में मिलने को लेकर प्रश्न उठा देते हैं। विज्ञान में आपकी कल्पना का संसार अद्भुत है। आपकी कल्पना प्राचीन भारत में प्लास्टिक सर्जरी और जेनेटिक्स के गल्प को सच मान लेती है और आप विज्ञान सम्मेलनों में उसकी घोषणा भी कर देते हैं। आपने इतनी कल्पनाशीलता कहां से पायी?

नवां प्रश्नः प्रधानमंत्री सर, आपने कई पुस्तकें लिखी हैं। जिनमें एक पुस्तक है कि छात्र परीक्षा का मुकाबला कैसे करें। आम तौर पर यह माना जाता है कि आपने विधिवत शिक्षा कक्षा सात तक पायी है। उसके बाद आपने कल्पना की और एंटायर पोलिटिकल साइंस में बीए, एमए कर लिया। इसमें कोई परीक्षा भी नहीं देनी पड़ी होगी। फिर भी आप छात्रों के लिए एक अद्भुत पुस्तक लिख सके। कुछ बड़े लोग किसी अनाम लेखक से पुस्तक लिखवा, अपना नाम दे देते हैं। पर मैं मानता हूं कि आप ऐसे लोगों में से नहीं हैं। आपने परीक्षा का ऐसा अनुभव अपने जीवन के किस अध्याय से प्राप्त किया?

दसवां प्रश्नः प्रधानमंत्री सर, आपका सानिध्य बहुत ही निर्मल है। जो व्यक्ति आपके संपर्क में आता है, पवित्र हो जाता है। यह बात मैं भी इस समय स्वयं महसूस कर रहा हूँ। आप गंगा जी की तरह से हैं। जो भी डुबकी लगा लेता है, उसके पाप धुल जाते हैं। आप भगवान राम का प्रतिरूप हैं जिनका स्पर्श होने भर से ही अहिल्या तर जाती है। आप का संसर्ग भर से कोई भी भ्रष्टाचारी, भले ही वह कांग्रेस से आया हो या तृणमूल कांग्रेस से, सदाचारी बन जाता है। उसे सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स आदि जैस प्रेतों से मुक्ति मिल जाती है। सर आपमें यह पवित्रता, निर्मलता कहां से आई?

अंतिम प्रश्न: आपका जीवन बचपन से ही त्याग भरा रहा है। त्याग से आपने हमेशा उच्चता को प्राप्त किया है। आपका जीवन वैराग्य से भरा रहा है। कोई भी बंधन आपको बांधने में कामयाब नहीं हो पाया है। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री पद भी आपको बांध नहीं पायेगा। आप अपने बाद इस पद पर किसे योग्य पाते हैं। आज समूचे ब्रह्मांड को यह प्रश्न परेशान कर रहा है। मोदी नहीं तो कौन? कौन कौन कौन? 

परिणामः आखिर मोदी जी का यह इंटरव्यू हो ही नहीं पाया। पीएमओ ने इसकी अनुमति ही नहीं दी है। पर यदि हो पाता तो मुझे विश्वास है कि यह इंटरव्यू अक्षय कुमार जी के इंटरव्यू से भी अधिक प्रसिद्ध होता।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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