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लैंगिक पहचान के कारण एक टैटू आर्टिस्ट का संघर्ष

दक्षिण पश्चिम दिल्ली के उपनगर रोहिणी में जन्मी और पली-बढ़ी ब्रूना अपने पिता को खोने के बाद तीन साल पहले एक ट्रांस महिला के रूप में सामने आईं। ब्रूना के परिवार ने भले ही उनकी पहचान स्वीकार कर ली हो, लेकिन समाज उन्हें आज भी अक्षय के नाम से जानता है। 

दक्षिण पश्चिम दिल्ली के उपनगर रोहिणी में जन्मी और पली-बढ़ी ब्रूना अपने पिता को खोने के बाद तीन साल पहले एक ट्रांस महिला के रूप में सामने आईं। ब्रूना के परिवार ने भले ही उनकी पहचान स्वीकार कर ली हो, लेकिन समाज उन्हें आज भी अक्षय के नाम से जानता है। 

ब्रूना अक्षय के रूप में घर छोड़ती हैं और अपने दफ्तर पहुंचने के बाद, एक आत्मविश्वास से भरपूर टैटू कलाकार का रूप अख़्तियार कर लेती हैं। अपने लिए एक सुरक्षित स्थान खोजने की जद्दोजहद के बीच में वे खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने और सामाजिक स्वीकार्यता के संघर्ष में खुद को फंसी पाती हैं।
 

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