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‘सच की जीत होगी, हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है'

डिजिपब और डीयूजे सहित अन्य कई संगठनों ने न्यूज़क्लिक कार्यालय और इसके निदेशकों के घरों पर ईडी की छापेमारी की निंदा की है।
‘सच की जीत होगी, हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है'
Image Courtesy: The Leaflet

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार की सुबह न्यूज़क्लिक के दफ्तर और प्रमुख संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और संपादक प्रांजल सहित इसके निदेशकों के घरों पर छापेमारी की। देश में चल रहे किसान आंदोलन के व्यापक कवरेज के बाद हाल में इस स्वतंत्र समाचार वेबसाइट के व्यूरअरशिप में भारी इजाफा हुआ है।

न्यूजक्लिक ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि, “सत्य की जीत होगी। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।” आगे कहा कि यह छापेमारी अभी भी चल रही है और प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पूरा बयान जारी किया जाएगा।

इससे पहले कुछ पत्रकारों से इस मामले पर बोलते हुए प्रांजल ने कहा, “सुबह से ही छापेमारी चल रही है। हमें एक नोटिस दिखाया गया। अभी हमारे दस्तावेजों की जांच की जा रही है। हम सहयोग कर रहे हैं और सहयोग जारी रखेंगे।” इस दौरान प्रांजल के साथ ईडी के दो अधिकारी मौजूद थे।

इस बीच, विभिन्न संगठनों और हस्तियों ने न्यूजक्लीक पर छापे की निंदा की है। यह एक ऐसा वेबसाइट है जो कमजोर वर्गों, प्रदर्शनों और आंदोलनों को स्वर देने के लिए जाना जाता है जो मुख्यधारा के मीडिया में जगह नहीं पाते हैं।

11 समाचार वेबसाइटों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन डिजिपब ने नई दिल्ली स्थित न्यूज़क्लिक कार्यालय और इसके निदेशकों के घरों पर ईडी के छापे की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। (डिस्क्लेमर: न्यूज़क्लिक डिजिपब का सदस्य है)।

न्यूजमिनट की धन्या राजेंद्रन, न्यूज़लॉन्ड्री के अभिनंदन सेखरी और क्विंट की रितु कपूर द्वारा हस्ताक्षरित डिजीपब के बयान में कहा गया, “न्यूज़क्लिक ने हमेशा पत्रकारिता की सत्यनिष्ठा और सत्ता को सच बताने के उच्चतम मानकों को बरकरार रखा है। इसकी सराहनीय पत्रकारिता जो सत्ता को जवाबदेह बनाता है वह खुद अपने आप में बयां करता है।”

उन्होंने कहा कि ईडी का छापा “सरकार और इसके सहयोगियों की आलोचनात्मक पत्रकारिता को दबाने का एक स्पष्ट प्रयास था। पत्रकारों को डराने और प्रतिकूल पत्रकारिता को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का ऐसा इस्तेमाल न केवल प्रेस की स्वतंत्रता के लिए हानिकारक है बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही की अवधारणा को भी नुकसान पहुंचाने वाला है।”

डिजिपब ने मांग की कि ईडी की कार्रवाई को रोका जाए और एजेंसी को स्पष्ट करना चाहिए कि न्यूज़क्लिक पर छापा क्यों मारा गया।

दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (डीयूजे) ने भी इस छापेमारी की निंदा करते हुए कहा, "हम इन छापों को ऑनलाइन मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता पर एक गंभीर हमले के रूप में देखते हैं।"

डीयूजे ने अपने बयान में कहा, “न्यूजक्लिक प्रमुख खोजी पत्रकारों जैसे परंजॉय गुहा ठाकुरता और मुखर वीडियो पत्रकार अभिषेक शर्मा, पी. साईनाथ सहित अन्य पत्रकारों को एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराता रहा है। यह पिछले दो महीनों से किसानों के आंदोलन पर बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग करता रहा है। इसने समाचार और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विश्लेषण के साथ एक अलग विचार के रूप में खुद को स्थापित किया है।"

इसमें कहा गया है कि "पिछले हफ्ते कई वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाए जाने के बाद और ट्विटर व यूट्यूब पर बोलने की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के निर्णय के बाद ये छापेमारी भयावह है।" आगे कहा कि इसका "उद्देश्य स्पष्ट रूप से समसामयिक मुद्दों पर सरकार के साथ असहमति व्यक्त करने वाली आलोचनात्मक आवाजों को भयभीत करना है।"

इस वेबसाइट से जुड़े पत्रकारों सहित कई वरिष्ठ पत्रकारों और हस्तियों ने भी ऐसे समय में न्यूज़क्लिक पर छापेमारी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए ट्वीट किया है जब स्वतंत्र पत्रकारिता और व्यक्तिगत पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर और राजद्रोह के मामले बढ़ रहे हैं।

इनमें जाने-माने न्यूज एंकर अभिसार शर्मा भी शामिल हैं जिनके लोकप्रिय कार्यक्रम 'बोल के लब आज़ाद हैं तेरे' को न्यूज़क्लिक पर प्रसारित किया जाता है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार औनिंदो चक्रवर्ती भी शामिल हैं जो इस वेबसाइट के लिए अर्थव्यवस्था पर एक कार्यक्रम भी करते हैं वहीं इतिहासकार एस इरफ़ान हबीब, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, द वायर के सह-संस्थापक संपादक, सिद्धार्थ वर्धराजन और अन्य लोग शामिल हैं।

वर्धराजन ने एक ट्वीट में लिखा, “राजद्रोह के मामले, यूएपीए, धारा 153 के तहत एफआईआर, मानहानि के मुकदमे और अब ईडी की छापेमारी के साथ सरकार भारत के स्वतंत्र मीडिया को हैंडल करती है। @newsclickin हालिया निशाना है ...।”

इतिहासकार एस इरफ़ान हबीब ने ट्वीट किया: “दुख की बात है लेकिन यह आश्चर्य की बात नहीं है कि #Newsclick जैसे प्लेटफॉर्म पर हमला हो रहा है। इसने कई वरिष्ठ पत्रकारों के लिए जगह बनाई जिन्हें टीवी चैनलों में काम करना असंभव लगा। इसके संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ ने आपातकाल की लड़ाई लड़ी और साथ ही वे लड़ाई के तरीके भी जानते हैं।"

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, सीपीआई (एम) नेता सुभाषिनी अली और सीपीआई (एमएल) - लिबरेशन नेताओं दीपांकर और कविता कृष्णन ने भी ईडी के इस छापेमारी की निंदा की है साथ ही बड़ी संख्या में देश भर के न्यूज़क्लिक पाठकों और दर्शकों ने भी इसकी निंदा की है।

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