Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

अमेरिका-चीन सबंध में नर्मी

बाइडेन के ‘एशिया जार’ माने जाने वाले कर्ट कैंपबेल ने अमेरिकी राष्ट्रपति एवं शी जिनपिंग के बीच “बहुत जल्द ही मुलाकात होने” की पुष्टि की है। 
अमेरिका-चीन सबंध में नर्मी
जर्मन चांसलर एंजिला मर्केल (बाएं) 15 जुलाई 2021 को एक ‘सरकारी कामकाजी दौरे’ पर व्हाइट हाउस आईं और राष्ट्रपति जो बाइडेन (दाएं) से बातचीत की।

जर्मनी की चांसलर (राष्ट्रपति) एंजिला मर्केल का 15 जुलाई को व्हाइट हाउस का “सरकारी कामकाजी दौरा” राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अति महत्वपूर्ण विषय-चीन-पर विचार-विमर्श के संदर्भ में अपने नरम सुर के लिहाज से विशिष्ट रहा है। 

इसलिए इस बातचीत के बाद बाइडेन के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मर्केल की तरफ से की गई टिप्पणियों पर तो कोई अचरज नहीं हुआ, लेकिन आश्चर्य का तब पारावार न रहा जब स्वयं बाइडेन भी उस विषय पर अपनी बात कहने में सजगता बरत रहे थे। 

मानने वाली बात है कि मार्केंल विश्व की एक अनुभवी राजनेता हैं। उन्हें अपनी नीतियों एवं रणनीतियों की स्पष्ट अभिव्यक्ति में कोष्ठकों का उपयोग करने में महारत हासिल है। वे इस बात पर बाइडेन से सहमत हैं कि आज की विदेश नीति में चीन के साथ संबंध अनेक प्राथमिकताओं में से एक है; कि “जहां कहीं मानवाधिकार की गारंटी नहीं है, हम अपनी आवाज बुलंद करेंगे और स्पष्ट कर देंगे कि हम इस (मानवाधिकार के उल्लंघन) पर सहमत नहीं हैं।” लेकिन जर्मनी “विश्व के सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता के पक्ष में है।”

जर्मनी की चांसलर मर्केल ने खुलासा किया कि उन्होंने बाइडेन के साथ “चीन के प्रति सहयोग के कई आयामों एवं प्रतिद्वंद्विता के मुद्दे पर भी चर्चा की, चाहे उसका क्षेत्र आर्थिक हो, जलवायु संरक्षण हो, सैन्य क्षेत्र अथवा सुरक्षा के मसले”-हमने सभी पहलुओं पर परस्पर विचार-विमर्श किया। यह स्पष्ट करते हुए कि चीन को एकआयामी तौर पर प्रतिपक्षी के रूप में ब्रांड नहीं किया जा सकता है।

मर्केल ने कहा, “हमारे बीच (जर्मनी एवं अमेरिका) अधिकांशत: एक समान राय है कि चीन अनेक क्षेत्रों में हमारा प्रतिद्वंद्वी है”;  चीन के साथ कारोबारी संबंध को इस समझदारी पर टिकाने की आवश्यकता है कि हमारे पास एक समतल मैदान है।” लेकिन फिर भी, उन्होंने रेखांकित किया कि “यूरोपीय यूनियन और चीन के बीच पिछले दिसम्बर में हुए व्यापार समझौते की पीछे उनमें संतुलित कारोबारी प्रथाएं रही हैं। हालांकि इस समझौते को लेकर बाइडेन प्रशासन काफी अप्रसन्न रहा है।

दरअसल, मर्केंल ने बताया कि दिसम्बर में चीन के साथ किया गया कारोबारी समझौता पेइचिंग को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के मूल श्रम मानदंडों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध करता है- यह परोक्ष रूप से अमेरिका के उस दबाव का जिक्र है जो वह शिंजियांग में कथित रूप से बलात श्रम कराने की प्रथा के चलते चीन के बहिष्कार पर बल देता है।

जर्मनी की चांसलर “कई-कई क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी नेतृत्व करने की अपनी आवश्यकता को लेकर मुतमईन हैं” लेकिन तब, “स्पष्टत: चीन के लिए भी ऐसा करना तर्कसंगत होगा, किंतु, उदाहरण के लिए हम कई प्रौद्योगिकीय की अत्याधुनिक तकनीकों में मदद करेंगे। उदाहरण के लिए चिप्स(CHIPS) बनाने में।” मर्केल ने आगे कहा:

“ स्पष्ट है कि हमारी रुचि है, लेकिन कभी-कभी यह रुचि भिन्न होती है, कभी कभी एक समान। लेकिन हमारे पास ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहां अमेरिकी कम्पनियां यूरोपीयन यूनियन के सदस्य देशों की कम्पनियों से प्रतिस्पर्द्धा करती हैं और हमें इसको स्वीकार करना चाहिए। किंतु मेरा मानना है कि चीन के साथ बुनियादी रूप से हमारे व्यवहार साझा मूल्यों पर टिके होने चाहिए।” 

विषय का मर्म यह कि बाइडेन चीन पर मर्केल की सोच के करीब आ सकते हैं। बाइडेन खुद भी पिछले महीने के यूरोप दौरे के दौरान जर्मनी समेत पश्चिम देशों के नेताओं के साथ विस्तारित औपचारिक या अनौपचारिक बातचीत के बाद से विचारमग्न मुद्रा में हैं। उनकी इन विस्तारित बातचीत में चीन ही सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। 

वास्तव में, 17 जून को व्हाइट हाउस से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के एक ऑन रिकार्ड प्रेस कॉल में अमेरिका की चीन संबंधी नीतियों में नई हलचल का पर्याप्त इशारा किया गया था। सुलिवन ने बताया था कि बाइडेन चीनी “राष्ट्रपति शी के साथ आगे बढ़ने के लिए बातचीत के अवसर तलाशेंगे।” 

सुलिवन ने आगे कहा, “जल्दी ही, हम लोग दोनों राष्ट्रपतियों की बातचीत के लिए सही तरीकों को तय करने के लिए बैठेंगे।” जैसा कि उन्होंने कहा, बाइडेन काफी प्रतिबद्ध हैं, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा (चीन के साथ) उसी तरह का सीधा संवाद होना चाहिए जैसा मूल्यवान संवाद कल राष्ट्रपति पुतिन के साथ हुआ है...तो अब यह सवाल बस कब और कैसे का रह गया है।” 

स्पष्ट रूप से, सुलिवन तब से ही पूरी गतिशीलता के साथ सक्रिय हैं। यह जानकारी मिल रही है कि अमेरिका के उपविदेश मंत्री वेंडी शर्मन अगले हफ्ते अपने चीनी समकक्ष झी फेंग से उनके देश के उत्तर-पूर्वी बंदरगाह वाले तियानजिन में मुलाकात करने वाले हैं। 

यह खबर देते हुए मास्को के दैनिक अखबार मोस्कोव नेज़ाविसिमाया गज़ेटा (Nezavisimaya Gazeta) ने 16 जुलाई को टिप्पणी की, “व्हाइट हाउस ने हालांकि चीन को एक मुख्य संभावित विरोधी के रूप में निरूपित कर रखा है पर बाइडेन विश्वास करते हैं कि आमने-सामने की मुलाकात से ही यह साफ हो पाएगा कि किन मुद्दों पर दोनों पक्ष एक जगह मिलेंगे और कहां वे नहीं मिले सकेंगे।” 

इसके बाद अभी 10 रोज पहले ही चीन के संदर्भ में अमेरिकी दृष्टिकोण में सरजमीनी बदलाव शुरू होने का कुछ संकेत मिलने लगे हैं। यह कुर्ट कैंपबेल के एक घंटे के दिए गए प्रस्तुतीकरण में साफ-साफ दिखाई पड़ा था। कुर्ट व्हाइट हाउस में हिन्द-प्रशांत महासागर के लिए समन्वयक हैं और राष्ट्रपति के उप-सहायक हैं जिन्हें बाइडेन के “एशिया जार” (Asia tsar) के रूप में बेहतर जाना जाता है।

कैंपबेल एशिया सोसाइटी को संबोधित कर रहे थे जो न्यूयार्क मुख्यालय में प्रभावी संगठन है। इसने ऐतिहासिक रूप से हमेशा चीन और अमेरिका के बीच परस्पर समझदारी बढ़ाने का काम किया है।

कैंपबेल की ख्याति एक आक्रामक विचार वाले नेता की रही है और इसलिए अमेरिकी नीति के भावी परिपथ को लेकर व्यक्त किए गए उनके नरम रुख वाले विचार ध्यान देने योग्य हैं। स्पष्ट रूप से बाइडेन के राष्ट्रपति के रूप में छह महीने के कार्यकाल के दौरान, घरेलू स्तर और अमेरिका के सहयोगियों के साथ काफी विस्तृत बातचीत के साथ कैंपबेल बाइडेन एवं शी के बीच संभावित मुलाकात को लेकर की जा रही चर्चाओं की पृष्ठभूमि में अपने विचार रख रहे थे। 

यह दिखाने के लिए धरातल पर क्या घटित हो रहा है, इसके लिए कैंपबेल के प्रेजेंटेशन का एक पैराग्राफ नीचे दिया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान, एशिया सोसाइटी के प्रेसिडेंट केविन रुड भी मौजूद थे। केविन चीनी मामलों के ख्यातिलब्ध विशेषज्ञ हैं और एक पूर्व राजनयिक हैं और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री भी रहे हैं, उनके इस चुभते चर्चिलिएन सवाल कि क्या चीन के साथ शीतयुद्ध को पूरी तरह से रोका जा सकता था, के जवाब में कैंपबेल ने कहा : 

“मुझे शीत युद्ध की रूपरेखा बहुत ज्यादा पसंद नहीं है। मैं इस पर आपके किए काम की सराहना करता हूं। मुझे डर है कि वह फ़्रेमिंग जितना रोशन करता है, उससे कहीं अधिक अस्पष्ट है। इसके अलावे मुझे लगता है कि यह स्थिति हमें उन स्वरूपों और सोच पर फिर से वापस आने को लेकर सख़्त बना देती है, जो चीन की ओर से पेश हो रही कुछ चुनौतियों का सामना करने के लिए बुनियादी तौर पर मददगार नहीं है… मेरा मानना है कि आगे आने वाले समय को निर्धारित करने वाली ख़ासियत प्रतिस्पर्धा के आसपास होगी और साथ ही साथ उन क्षेत्रों की तलाश होगी, जिसकी तलाश संयुक्त राज्य अमेरिका कर सकता है-जरूरी नहीं कि यह सहयोग ही हो, महज़ नीतियों का आपस में समन्वय भी हो सकता है… आगे की यह चुनौती चीन को कुछ अवसरों के साथ सामने आने की होगी...(32वें मिनट तक नीचे स्क्रॉल करें।)

ऊपर दिए गए उद्धरण से व्हाइट हाउस में चीन की बेहद सूक्ष्म नीति को चालाकी से पेश किए जाने की गंध का आभास होना चाहिए। (एक समय तो रुड ने यह आकलन करना शुरू कर दिया था कि ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन विरोधी बयानबाज़ी पर कुछ समय के लिए "रोक लगाने वाला" बटन दबाना एक अच्छा विचार हो सकता है या नहीं, ताकि रिश्ते को सुधारने का एक मौक़ा मिल सके!)

इसी तरह, ताइवान पर कैंपबेल ने "वन-चाइना पॉलिसी" के किसी भी खोखलेपन को साफ तौर पर खारिज कर दिया था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जहां अमेरिका ताइवान के साथ "एक मजबूत अनौपचारिक रिश्ते" का समर्थन करता है। वहीं ताइवान की आजादी को प्रोत्साहित करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने स्वीकार किया कि यह संतुलन नाज़ुक स्तर पर खतरनाक हो सकता है, लेकिन उन्हें लगा कि इसे बनाए रखा जाना चाहिए।...

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Transitional Period Ahead in US-China Relations

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest