वायरस से ज्यादा सरकारी दिशाहीनता ने मारा!
पिछले साल 24-25 मार्च की मध्य रात्रि Lockdown लगाया गया था तो देश भर में कोरोना के कुल 618 मामले थे और कुल मौतें 13 थीं. प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए किसी राज्य, स्वयं अपनी कैबिनेट या किसी विशेषज्ञ समिति से मशविरा भी नही किया था. कोरोना की दूसरी ज़्यादा खतरनाक लहर में इस वक्त रोजाना 2 लाख 90 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं और मौतों की संख्या दो हजार से ऊपर है. इस बार मोदी ने Lockdown से इंकार किया. इससे स्वयं सरकार ने मान लिया कि कोरोना से निपटने की उसके पास न तब कोई रणनीति थी और न आज है. अस्पतालों में बेड, आक्सीजन और जीवनरक्षक दवाओं के अभाव में लोगों की जान जा रही है पर सरकार ने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है. आज के हालात और प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन पर वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विश्लेषण:
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