NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका समर्थित टीपीएलएफ़ ने इथियोपिया में जंग हारने के बाद संयुक्त राष्ट्र से सुरक्षा की गुहार लगाई
संघीय सरकार की फ़ौज ने टीपीएलएफ़ को टिगरे राज्य में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया, अब टीपीएलएफ़ शांति प्रक्रिया के लिए बातचीत शुरू करने की गुहार लगा रहा है। सरकार ने समूह के नि:शस्त्रीकरण और इसके नेतृत्व को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है। 
पीपल्स डिस्पैच
27 Dec 2021
Ethiopia
अम्हारा और अफार की नागरिक सेनाओं की मदद से इथियोपिया की संघीय सेना ने प्रधानमंत्री अबिय अहमद के नेतृत्व में टीपीएलएफ द्वारा कब्जाए गए शहरों को वापस छुड़ाया और टीपीएलएफ को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया। फोटो: फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ इथियोपिया गवर्मेंट कम्यूनिकेशन सर्विस

23 दिसंबर को इथियोपिया की सरकार के संचार मंत्री लेगेसे टुलु ने घोषणा करते हुए कहा कि अम्हारा और पूरे अफार राज्य को अमेरिका समर्थित टिगरे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के कब्जे से छुड़ा लिया गया है।

नवंबप, 2020 में टीपीएलएफ ने टिगरे राज्य की राजधानी मेकेले में संघीय सेना के एक अड्डे पर हमला कर गृह युद्ध शुरू किया था। 29 जून को संघीय सरकार द्वारा एकपक्षीय युद्धविराम घोषित करने के बाद संगठन ने दो पड़ोसी राज्यों पर भी हमला कर दिया था। 

जबरदस्ती भर्ती किए गए टिगरे के नागरिकों की सेना (जिसमें किशोर सैनिक भी थे) के ज़रिए, टीपीएलएफ, नवंबर में इथियोपिया की राजधानी आदिस अबाबा के 200 किलोमीटर पर पास तक पहुंच गया था। इस दौरान अम्हारा के वोल्लो क्षेत्र में टीपीएलएफ ने कई रणनीतिक शहरों पर कब्ज़ा कर लिया था। 

इस क्षेत्र के पूर्व में अफार राज्य पड़ता है, जहां टीपीएलएफ चिफरा तक पहुंच गई थी, जो मिल्ले जिले में स्थिति बेहद अहम हाईवे से सिर्फ़ 50 किलोमीटर दूर है। संगठन का उद्देश्य इस हाईवे पर कब्जा कर इथियोपिया की पड़ोसी देश जिबूती में स्थित बंदरगाह से संबंध को काटना था। 

लेकिन तब तक टीपीएलएफ की फौजें बहुत बड़े क्षेत्र में फैल चुकी थीं। अब वे टिगरे में स्थित अपने मुख्य अड्डे से बहुत दूर थे, यह वह क्षेत्र है, जहां नागरिकों पर टीपीएलएफ द्वारा किए गए जुल्मों के तंग आकर वहां के स्थानीय नागरिक टीपीएलएफ के खिलाफ़ खड़े हो गए थे। 

हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका टीवी के संपादक एलियास अमारे ने पीपल्स डिस्पैच को 24 दिसंबर को बताया कि अम्हारा और अफार की नागरिक सेनाओं की मदद से इथियोपिया की संघीय सेना ने अब अम्हारा के अबेरगेले पर कब्जा कर लिया है, जो मेकेले से सिर्फ़ 60 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।

उन्होंने आगे बताया "यह क्षेत्र टेकेज़े नदी से बहुत दूर नहीं है, जिसे पार करने के बाद टिगरे का टेमबियन क्षेत्र आ जाता है, जिसका इस्तेमाल टीपीएलएफ ने पिछले साल मेकेले से भागने के बाद छुपने के लिए किया था। टेमबियन क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद टीपीएलएफ का खेल खत्म हो जाता, क्योंकि उसके सैनिकों के पास छुपने की कोई जगह नहीं बचती। 

अमारे ने आगे बताया कि 23 दिसंबर को अफार राज्य में अबाला पर कब्ज़ा करने के बाद संघीय सेनाएं मेकेले पर हमला करने की स्थिति में आ चुकी थीं, क्योंकि वे मेकेले से सिर्फ़ 50 किलोमीटर दूर ही थीं। 

संघीय सेना टिगरे में टीपीएलएफ का पीछा नहीं करेगी

खास टिगरे क्षेत्र में पश्चिमी अम्हारा के वेलकाएत और हुमेरा क्षेत्र नहीं आते, जो सूडान की सीमा से लगते हैं। इसे तभी पश्चिमी टिगरे कहा जाना शुरू हुआ था, जब 1991 में टीपीएलएफ ने इस पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद इथियोपिया में 27 साल लंबा तानाशाही शासन शुरू हो गया था। 

वेलकाएत और हुमेरा को टीपीएलएफ से संघीय सेना और अम्हारा की नागरिक सेना की संयुक्त सेना ने छीन लिया था। बता दें टीपीएलएफ कभी इथियोपिया की सबसे प्रभुत्व वाली पार्टी हुआ करती थी, लेकिन 2018 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों ने इसे एक क्षेत्रीय शक्ति तक सीमित कर दिया। 

टुलु ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि टिगरे में टीपीएलएफ की घिरी हुई सेना और उसे समर्थन देने वाले सूडान के बीच की अहम पट्टी में हुए घटनाक्रमों पर जल्द सरकार घोषणा करेगी। अमारे ने कहा, "मुझे विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि पूर्वी सूडान शरणार्थी कैंप में मौजूद टीपीएलएफ सैनिकों ने हुमेरा के मोर्चे पर हमला किया था, लेकिन उन्हें खदेड़ दिया गया। टीपीएलएफ वेलकाएत कॉरिडोर को खोलने के लिए एक और हमले की तैयारी कर रही है, जो उसके लिए सूडान तक पहुंच को बेहद जरूरी है। यहां स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है।"

इस गलियारे की रक्षा करना एक अहम सैन्य उद्देश्य है, ताकि टीपीएलएफ को सुरक्षित पनाहगाह सूडान में जाने का मौका ना मिल पाए। क्योंकि वहां पहुंचकर वह फिर से इकट्ठा होकर हमला कर सकती है। जहां सरकार इस कॉरिडोर की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है, वहीं टुलु ने बताया कि मुख्य टिगरे क्षेत्र में टीपीएलएफ का पीछा नहीं किया जाएगा। 

उन्होंने दावा किया कि टीपीएलएफ ने टिगरे में हज़ारों लड़ाकों के शवों को अम्हारा और अफार के क्षेत्रों से ले जाकर, उनकी सामूहिक कब्रें बनाई हैं, यह लड़ाके अम्हारा और अफार के क्षेत्र में मारे गए थे। सरकार को डर है कि अगर वो टिगरे में जाती है तो टीपीएलएफ इनका इस्तेमाल सरकार पर युद्ध अपराध और अत्याचार का आरोप लगाने के लिए कर सकता है। 

यह चिंताएं गंभीर प्रवृत्ति की हैं, क्योंकि अमेरिका लंबे वक़्त से इथियोपिया सरकार पर नरसंहार का दोष मढ़ने की तैयारी करने में लगा है। बता दें अमेरिका ही इस युद्ध के पीछे की मुख्य ताकत है, जो टीपीएलएफ का समर्थन कर रहा है। 

मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त और इथियोपिया मानवाधिकार आयोग द्वारा की गई एक साझा जांच में नरसंहार के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसकी प्रतिक्रिया में अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में नई जांच के लिए प्रस्ताव ले आए हैं।

इथियोपिया की सरकार टीपीएलएफ से मोलभाव नहीं करेगी

इस बीच अम्हारा और अफार में अपनी हार को टीपीएलएफ के नेता डेब्रेट्शन गेब्रेमाइकल ने "खुद के द्वारा सेना हटाने की कार्रवाई" बताया है। उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को ख़त लिखा है, जिसमें इस कार्रवाई को "शांति के लिए अहम पहल" बताया है।

इथियोपिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, राजदूत दीना मुफ़्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 23 दिसंबर को साफ़ कहा कि, "हाउस ऑफ पीपल्स रिप्रजेंटेटिव द्वारा टीपीएलएफ को आतंकी संगठन घोषित किया गया है और इथियोपिया की सरकार उनके साथ मोलभाव करने के लिए बातचीत नहीं करेगी। जब टीपीएलएफ की बात आएगी, तो संसद को सारे कानूनी ढांचों पर नज़र डालनी होगी।"

अमारे ने कहा, सरकार ने टीपीएलएफ को निश:स्त्र करने और इसके नेताओं को आत्मसमर्पण करने को कहा है। सरकार का कहना है कि इसके बाद ही देश के नागरिकों में "राष्ट्रीय विमर्श" हो सकता है, जिसमें राजनीतिक मुद्दे पर बहस और उसका समाधान निकाला जा सकता है, ताकि राष्ट्र आगे बढ़ सके।

लेकिन टीपीएलएफ के नेतृत्व का इन शर्तों को मानना नामुमकिन है, क्योंकि आत्मसमर्पण के बाद उन्हें बहुत गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ेगा। जैसे-जैसे संघीय फौज शहरों को आज़ाद करवा रही है, बड़ी संख्या में टीपीएलएफ पर सैकड़ों लोगों के नरसंहार, बड़ी संख्या में शवों को दफनाने वाली कब्रगाहों, गैंगरेप और दूसरे अत्याचार, जिसमें संस्थागत लूट और स्वास्थ्य सुविधाओं को तहस नहस करने के आरोप सामने आ रहे हैं।

नागरिकों के उत्पीड़न का टीपीएलएफ का कार्यक्रम

ऐसे ही एक मामले में, राया काबो के रहवासियों का कहना है कि टीपीएलएफ द्वारा स्नाइपर का उपयोग कर 120 लोगों की हत्या की गई है। रहवासियों का कहना है कि वे इन लोगों की कब्रगाह बता सकते हैं, जहां पीड़ितों को दफनाया गया है। रहवासियों का यह भी कहना है कि कई महिलाओं का रेप किया गया, इनमें एक गर्भवती मां भी शामिल थी। 

18 दिसंबर को राया काबो को आज़ाद करवाया गया था, साथ ही मेकेले को आदिस अबाबा से जोड़ने वाले हाईवे पर स्थित वोल्दिया को भी कब्जे से छुड़ाया गया। वोल्दिया के नागरिकों का कहना है कि टीपीएलएफ ने कई युवाओं को सार्वजनिक तौर पर मारा और महिलाओं के साथ समूहों में गैंगरेप किया और हर दिन संपत्ति की लूटपाट की।"

वोल्दिया से 10 किलोमीटर दूर गोबेये कस्बे में स्वास्थ्यकर्मियों को मरीज़ों का इलाज़ करने से जबरदस्ती रोका गया। नतीज़तन इस दौरान जन्मलेने वाले बच्चों को ऊचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाईं और कई की मौत हो गई। इलाज़ ना मिल पाने से कई एचआईवी मरीज़ों के भी मरने की खबर है।

अम्हारा के दूसरे कस्बों में कई गवाहों, बचे हुए लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा भी इसी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। इनमें शेवा रोबित, देब्रे सिना, अताये, केमिसी, कोमबोल्चा, डेसी, हाएक, वुचालेन और बुरघेसा शामिल हैं।

अम्हारा के महिला और बाल विभाग की प्रमुख असनाकु डायर्स ने गुरुवार को कहा कि प्राथमिक रिपोर्टों के मुताबिक़, 147 महिलाओं और 17 बच्चों का टीपीएलएफ के सैनिकों ने इस इलाके में बलात्कार किया। 

टीपीएलएफ पर जानबूझकर उत्पादन और आजीविकाओं के साधनों को नष्ट करने का आरोप भी है। कोम्बालचा औद्योगिक शहर में करीब़ 80 फ़ीसदी फैक्ट्रियों और उद्यमों को टीपीएलएफ द्वारा नष्ट कर दिया गया। इस दौरान डेसी में स्थित होटल, विश्व विद्यालयों और अस्पतालों को भी निशाना बनाया गया। 

विदेश मंत्रालय के अधिकारी डेमेके मेकोनॉन ने नष्ट कर दिए गए डेसी टिशू कल्चर सेंटर की यात्रा के दौरान कहा, "टिशू कल्चर एक बहुत अहम तकनीक है। इससे इथियोपिया के कृषि क्षेत्र के अत्याधुनिकरण में बहुत मदद मिलती। टीपीएलएफ ने जानबूझकर केंद्र को तबाह कर दिया, ताकि राष्ट्र को इस तरह की तकनीक से रोका जा सके और यहां की गरीबी को बनाए रखा जा सके।"

टिगरे के ऊपर नो फ्लाई जोन?

इस तबाही को अपने पीछे छोड़ने, दस लाख से ज़्यादा नागरिकों को अम्हारा, और अफार में हज़ारों लोगों को शरणार्थी बनाने के बाद टीपीएलएफ हारकर टिगरे पहुंची। जहां संगठन संयुक्त राष्ट्रसंघ से सुरक्षा की मांग कर रहा है, जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ पर इस विवाद में टीपीएलएफ के पक्ष में होने के आरोप लग रहे हैं। 

20 दिसंबर को गुटेरेस को लिखे अपने ख़त में गेब्रेमाइकल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इथियोपिया सरकार को बातचीत पर लाने के लिए दबाव बनाने की अपील की। उन्होंने इथियोपिया और एरिट्रिया के ऊपर शस्त्र प्रतिबंध लगाने की भी मांग की। एरिट्रिया को मालूम था कि अगर टीपीएलएफ जीत जाती है, तो 2018 का शांति समझौता भंग हो जाएगा, इसलिए वो इस गृह युद्ध में इथियोपिया की सरकार को मदद दे रहा था। 

अमारे ने कहा, "टिगरे कोई संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता वाला संप्रभु देश नहीं है। इथियोपिया की शस्त्र आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने की उसकी अपील की अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई मान्यता नहीं है।"

गेब्रेमाइकल ने टिगरे के ऊपर विमानों के लिए प्रतिबंध क्षेत्र बनाने की भी मांग की। जैसा 2011 में लीबिया के ऊपर बनाया गया था। लेकिन यह सिर्फ़ एयरस्ट्राइक से बचने के लिए की गई अपील नहीं है। 

अमारे का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नो-फ्लाई जोन का प्रस्ताव पास नहीं होगा। उन्होंने कहा, "2011 में स्थिति अलग थी। चीन और रूस की कोई तैयारी ही नहीं थी। खुद सुरक्षा परिषद से पास किए गए प्रस्ताव में नो-फ्लाई जोन बनाने की बात नहीं थी। दरअसल प्रस्ताव की जो व्याख्या की गई, उसके जरिए नो-फ्लाई जोन बनाने का रास्ता तय हुआ। चीन और रूस ने इस पर पछतावा भी जताया था।"

अमारे कहते हैं कि इसके बाद से सीख ली जा चुकी है। उनके मुताबिक़, "पिछले एक साल में टिगरे में विवाद का मुद्दा 12 बार संयुक्त राष्ट्र में ले जाया जा चुका है, जिसका विशेष उद्देश्य लीबिया की तरह के प्रस्ताव को लाने के लिए कुछ जगह खोजना है। लेकिन हर बार इस तरह की कोशिशों को रूस, चीन, भारत और दूसरे अफ्रीकी देशों ने खारिज कर दिया है।"

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

US-backed TPLF seeks protection from UN after facing military defeat

Abiy Ahmed
Afar
Amhara
Civil war in Ethiopia
Elias Amare
Eritrea
Horn of Africa
Tigray People’s Liberation Front
TPLF

Related Stories

इथियोपिया : फिर सशस्त्र संघर्ष, फिर महिलाएं सबसे आसान शिकार

नवउपनिवेशवाद को हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका की याद सता रही है 

इथियोपिया में पश्चिमी हस्तक्षेप की ज़मीन तैयार करने मानवीय संकट का इस्तेमाल कर रहे हैं UN WFP और USAID

इथियोपिया और सूडान के अधिकारियों की सीमा-संघर्ष की पृष्ठभूमि में सीमा निर्धारण वार्ता संपन्न

इथोपियाः टिग्रे क्षेत्र में युद्ध के चलते सैकड़ों लोगों की मौत और हज़ारों ने सूडान पलायन किया


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    अरब सागर में पवन हंस हेलीकॉप्टर हादसे में ओएनजीसी के तीन कर्मचारियों सहित चार की मृत्यु: कंपनी अधिकारी
    28 Jun 2022
    अब तक हादसे के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई है जिसके कारण हेलीकॉप्टर को ईमर्जन्सी लैंडिग करनी पड़ी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में मानवाधिकार रक्षकों का उत्पीड़न आम बात हो गयी है: एमनेस्टी ने जुबैर की गिरफ़्तारी पर कहा
    28 Jun 2022
    एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के लिए बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल ने कहा कि भारतीय अधिकारी जुबैर पर इसलिए निशाना साध रहे हैं क्योंकि वह फर्जी खबरों और भ्रामक सूचनाओं के खिलाफ काम कर रहे हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    2,200 से अधिक लोगों ने गुजरात पुलिस द्वारा तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार की गिरफ़्तारी की निंदा की
    28 Jun 2022
    हस्ताक्षरकर्ताओं में पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज या पीयूसीएल के महासचिव वी सुरेश, नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट की संयोजक मेधा पाटकर, स्तंभकार अपूर्वानंद, थिएटर और फिल्म अभिनेता शबाना आजमी, लेखक…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    किसान मोर्चा से जुड़े ट्विटर अकाउंट समेत दर्जन अकाउंट पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी पर संयुक्त किसान मोर्चा ने जताया कड़ा विरोध
    28 Jun 2022
    मोर्चे ने कहा कि सरकार द्वारा इस तरह से किसान-मजदूर के पक्ष की बुलंद आवाज को दबाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक तो है ही, साथ ही यह आपातकाल का भी एक जीता-जागता…
  • पुलकित कुमार शर्मा
    भारत की भयंकर बेरोज़गारी का ही सबूत हैं अग्निपथ के तहत हुए लाखों आवेदन
    28 Jun 2022
    'अग्निपथ' के लाखों आवेदन का मतलब यह नहीं कि नौजवान अग्निपथ को स्वीकार कर रहे हैं बल्कि इसका मतलब यह है कि भारत बेरोज़गारी के बम पर बैठा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें