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उत्तर प्रदेश में बलत्कार की घटनाओं में वृद्धि लगतार ज़ारी

देश जब उन्नाव जैसा भयावह घटना का साक्षी बन रहा था, तब भी राज्य के कई हिस्सों में बलात्कार जैसी घटना घट रही था।
उत्तर प्रदेश

शुक्रवार को जब उन्नाव बलात्कार का मामला राष्ट्र का ध्यान खींच रहा था, तब एक दलित महिला को मुज़फ्फरनगर में उनके सामूहिक बलात्कार पर मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए आत्महत्या करनी पड़ी । उसकी त्रासदी यौन हिंसा के अन्य पीड़ितों से बहुत भिन्न नहीं थी |

उनका दलित होना ही इस बात के लिए काफी था कि पुलिस उनकी शिकायत पर गौर न करे। मुज़फ्फरनगर के रायपुर गाँव की एक निवासी दलित महिला एक ईंट भट्टे में एक कर्मचारी थी। शुक्रवार को जिले के रायपुर गाँव में कथित रूप से दो पुरुषों द्वारा यौन उत्पीड़न के बाद उसने अपने घर की छत से खुद को लटका लिया। उसके कमरे में एक सुसाइड नोट बरामद किया गया| जिसमें उसने दावा किया था कि उससे  दो लोगों ने बलात्कार किया था। अपने सुसाइड नोट में उसने उल्लेख किया कि उसने स्थानीय पुलिस को शिकायत की, लेकिन अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई । उसने कहा कि आरोपी की बार-बार की धमकियों ने उसे अपना जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर कर दिया |

उन्नाव बलात्कार के मामले की ही इस मामले में भी बलात्कार पीड़िता जब अपने पति के साथ फुगाना पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए गयी तो पुलिस ने  उनकी मदद नहीं की | उनके पति देविचंद के अनुसार शिकायत दर्ज़ करने की बजाय पुलिस ने उन्हें और उनके बेटे यशवंत को हिरासत में ले लिया। देविचंद ने पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए।

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, " जब मेरी पत्नी फुगाना पुलिस थाने गई तो मैं उसके साथ गया था। मैंने अपने बेटे को भी साथ में ले लिया था। लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज़ नहीं की और बदले में मुझे और मेरे बेटे को हिरासत में ले लिया। जब उसने हमें जाने के लिए बोला, तो पुलिस ने हमें जाने देने के बदले कुछ पैसा माँगना शुरू कर दिया। मेरी पत्नी ज़िन्दा होती अगर पुलिस ने उसके दोषियों के खिलाफ कुछ कार्यवाही की होती। उसने मुझे शुरू में नहीं बताया, लेकिन बाद में मुझे पता चला कि उसे अपराधियों से धमकियाँ मिल रही थीं" |.

उनकी आत्महत्या के बाद ही पुलिस ने कुछ कार्यवाही की और सब-इंस्पेक्टर सुभाष चंद को उनकी शिकायत पर कार्यवाही न करने के लिए निलंबित किया।

शुक्रवार को ही,शामली से एक अन्य कथित सामूहिक बलात्कार की सूचना मिली, मुज़फ्फरनगर के नज़दीक शामली में ब्राला गाँव में घास की काटने वाले एक व्यक्ति और उसके दो दोस्तों ने एक 23 वर्ष की महिला से कथित तौर पर बलात्कार किया|  स्टेशन हाउस ऑफिसर भागवत सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि फरार होने वाले तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सिंह ने कहा कि अपराधियों ने कथित तौर पर पीड़ित को धमकी दी थी कि उसने पुलिस को मामले की सूचना दी तो उसके लिए अच्छा नहीं होगाI उन्होंने कहा कि पीड़िता को मेडिकल जाँच के लिए भेजा गया था। वह भी,यौन हिंसा के कई अन्य पीड़िताओं की तरह, न्याय की प्रतीक्षा कर रही है।

एक और भयावह उदाहरण 10 अप्रैल को कौशंबी जिले के मुरादपुर गाँव का है जहाँ एक छह साल की दलित लड़की को तीन लोगों ने सामूहिक बलात्कार और हत्या कर दी थी। पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता के अनुसार, जब वह खेल रहे थे तब दो युवकों ने पीड़ित का उसके घर के बाहर से अपहरण किया था । दोनों ने उसके साथ बलात्कार किया और उसके बाद उसका गला घोंटकर मार दिया।

जब पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अभियान चलाया था तो वे ‘महिला के सम्मान में,भाजपा मैदान में’ जैसे नारे लाए थे। पार्टी के प्रमुख अमित शाह ने महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए रोमियो दस्ते की तरह समस्याग्रस्त प्रस्ताव का विचार दिया था । आदित्यनाथ के शासन के एक वर्ष से अधिक समय  के बाद ही, हालात महिलाओं के खिलाफ हो गई दिखती है|कोई ऐसा दिन नहीं जब किसी महिला के ख़िलाफ अपराध की कोई घटना सामने न आये, खासकर उत्तर प्रदेश में यौन अपराध लगतार बढ़ रहे हैं । उनमें से बहुत से की सूचनाएँ मिलती हैं और कुछ की तो सूचना भी नहीं आती है।

समाजवादी पार्टी के विधायक नहीद हसन को उत्तर प्रदेश सरकार से मिले जवाब के मुताबिक, 2016-2017 की तुलना में महिलाओं के खिलाफ अपराध भाजपा शासन में हर क्षेत्र में बढ़ गया है। कुल मिलाकर आदित्यनाथ के शासन में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 11,208 मामलों की वृद्धि हुई, जो 2016-17 में 33,728 मामलों से बढ़कर 2017-18 में 44,936 हो गई, जो 30% से अधिक की वृद्धि है।

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