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दिल्ली: दलित शोषण मुक्ति मंच का दलितों पर बढ़ते अत्याचार और नौदीप कौर की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन

प्रदर्शन में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओ ने नौदीप कौर के उत्पीड़न की निंदा की। डीएसएमएम ने उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की
दिल्ली: दलित शोषण मुक्ति मंच का दलितों पर बढ़ते अत्याचार और नौदीप कौर की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन

देश में लगातार दलितों पर बढ़ते अत्याचार और दलित मज़दूर नेता नौदीप कौर की रिहाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान दलित शोषित मुक्ति मंच (डीएसएमएम) की दिल्ली इकाई द्वारा किया गया था। प्रदर्शन में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नौदीप कौर के उत्पीड़न की निंदा की। डीएसएमएम ने उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की और हिरासत में लेने वाले और उसके साथ मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग।

नौदीप का पूरा मामला क्या है?

मजदूर अधिकार संगठन (एमएएस) की नेता एवं दलित मजदूर कार्यकर्ता नौदीप कौर को 12 जनवरी के दिन सिंघु बॉर्डर के पास चल रहे प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से अभी तक इस ट्रेड यूनियन नेता की दो मामलों में जमानत भी हो चुकी है। इसके बाद भी वो जेल में है। आपको बता दें कि उनकी बहन और परिवार के बाकी लोगों की ओर से हिरासत के दौरान नौदीप के साथ पुलिसिया बर्बरता और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए गए है ।

नौदीप आईपीसी की धारा 307 (हत्या करने के प्रयास) सहित कई आरोप लगाए गए हैं। उनके खिलाफ कुल तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें उनपर घातक हथियार के साथ दंगा करने, गैरक़ानूनी जमावड़े, आपराधिक धमकी, सरकारी कर्मचारी पर हमला करने, जबरन वसूली, अवैध अतिक्रमण, छिनैती और आपराधिक बल प्रयोग करने जैसे आरोप लगाए गए हैं।

  15 फरवरी को नौदीप कौर को उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में जमानत दे दी गई। उनके वकील ने यह जानकारी दी थी। हालांकि, 23 वर्षीय कार्यकर्ता को फिलहाल करनाल जेल में रहना होगा, क्योंकि 12 जनवरी को दर्ज एक अन्य मामले में उनकी जमानत याचिका एक सत्र अदालत द्वारा खारिज कर दी गई है।

कौर पर तीन मामले चल रहे हैं जिनमें हत्या का प्रयास और जबरन वसूली के प्रयास के आरोप शामिल हैं। वह मजदूर अधिकार संगठन की सदस्य है और पंजाब के मुक्तसर जिले के गियादढ़ गांव की निवासी है।

हरियाणा पुलिस ने पहले कहा था कि उसने 12 जनवरी को सोनीपत जिले में एक औद्योगिक इकाई को कथित रूप से घेराव करने और कंपनी से पैसे की मांग करने के लिए उन्हें अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। कौर के खिलाफ जबरन वसूली के दो अलग-अलग मामले दर्ज हैं।

नौदीप के साथ ही देश में दलितों पर हो रहे है हमले को लेकर भी नाराज़ प्रदर्शनकारी

विरोध प्रदर्शन में शामिल नेताओ ने नौदीप कौर के साथ ही उत्तर प्रदेश में लगातर दलितों पर होते हमले और ख़ासकर महिलाओं के साथ हो रही हिंसा का भी सवाल उठाया। कहा कि उत्तर प्रदेश वंचित वर्गों विशेषकर दलितों के लिए एक असुरक्षित स्थान बन गया है। नेताओं ने उन्नाव की घटना का जिक्र किया जहां दो दलित लड़कियों की संदिग्ध परिस्थितयों में मौत हो गई है और तीसरी लड़की गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है। वक्ताओं के मुताबिक यह जातिगत अत्याचारों की एक श्रृंखला में नवीनतम अध्याय है। डीएसएमएम,  दिल्ली के अध्यक्ष, ब्रह्मजीत सिंह ने यूपी प्रशासन द्वारा दलितों के ख़िलाफ़ अन्याय और उपेक्षा पर बोलते हुए कहा, “उन्नाव में परिवार के साथ-साथ लोगों को सिर्फ एफआईआर दर्ज करने के लिए पूरी रात धरने पर बैठना पड़ा। अब आप सभी समझ सकते हैं कि ऐसे परिदृश्य में दलितों की स्थिति क्या है? हाथरस में भी यही स्थिति थी।’’ उन्होंने आगे कहा कि अब पुलिस से जांच करने और सच पता लगाने की उम्मीद नहीं है।

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मज़दूर संगठन सीटू की दिल्ली राज्य की नेता कमला ने कहा, "अपराधियों के हौसले इसलिए बुलंद है क्योंकि उन्हें सत्ता का सरंक्षण प्राप्त है।" उन्होंने कहा कि इनसे लड़ने के लिए निरंतर संघर्ष ही एकमात्र विकल्प है।

प्रदर्शन में शामिल लोगों ने लगातार आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति भी एकजुटता व्यक्त की, जो किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव और संयुक्त मोर्चा के नेता हन्नान मोल्ला भी पहुंचे। उन्होंने इन कृषि कानूनों के किसानों पर होने वाले हानिकारक प्रभावों को लेकर प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा यह तीन कानून सिर्फ किसानों ही नहीं बल्कि देश की बड़ी आबदी जो वंचित है उनके लिए हानिकारक हैं। उन्होंने कहा देश में हर घंटे में दो किसानो की मौत हो रही है लेकिन इसपर कोई बात नहीं करता है।  

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