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विरोध कर रहे छात्रों ने चान-ओ-चा के इस्तीफ़े और राजशाही में सुधार की मांग की

राजनीतिक सुधारों का आह्वान करते हुए बैंकॉक के पास थम्मासैट यूनिवर्सिटी में हज़ारों छात्रों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया।
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मंगलवार 11 अगस्त को थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में क़रीब 4,000 छात्रों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन थम्मासैट यूनिवर्सिटी में किया गया था और बैंकॉक में और इसके आसपास छात्रों के विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला का हिस्सा है। छात्र प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा की जुंटा सरकार को हटाने और राजशाही की शक्तियों में सुधार की मांग कर रहे हैं। हाल के दिनों में छात्रों द्वारा आयोजित किया जाने वाला ये प्रदर्शन सबसे बड़ा था।

छात्रों ने "लोकतंत्र ज़िंदाबाद!" के नारे लगाए और फैंटेसी फ्रैंचाइज़ 'हंगर गेम्स' से प्रेरित होकर तीन-उंगलियों का सलाम किया। इस प्रदर्शन में छात्रों द्वारा दिए गए भाषणों में कई छात्रों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े की मांग की और नागरिक सरकार के जुंटा द्वारा हथियाने और सिस्टम में हेरफेर की निंदा की।

कुछ छात्रों ने राजशाही के सुधार के संवेदनशील विषय पर भी चर्चा की। थाई संविधान में कई सख्त क़ानून हैं जो लंबे समय तक प्रि-ट्रायल हिरासत और ज़मानत से इंकार करने के साथ राजशाही की आलोचनाओं को दोषी मानते हैं। अति-राष्ट्रवादियों और जुंटा समर्थक समूहों ने अक्सर लोकतंत्र समर्थक अधिवक्ताओं, ट्रेड यूनियनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दंड देने के लिए इस क़ानून का इस्तेमाल किया है।

इसी तरह का एक अन्य प्रदर्शन सोमवार 10 अगस्त को थम्मासैट में भी आयोजित किया गया था जब छात्रों ने राजशाही का लाभ उठाने वाली शक्तियों और विशेषाधिकारों के व्यापक सुधार के लिए मांग को लेकर एक चार्टर जारी किया था। थम्मासैट में प्रदर्शन के बाद 8 अगस्त शनिवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान हज़ारों की संख्या में बैंकॉक के पैथुमवन स्काईवॉक पर इस क़ानून के आरोप में छात्र नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में इकट्ठा हुए।

लोकतंत्र समर्थक अधिवक्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इन प्रदर्शनकारियों ने श्रमिकों के अधिकारों और ट्रेड यूनियनों पर हमले का भी मुद्दा उठाया और सरकार से देश में बढ़ते लैंगिक भेदभाव को दूर करने का आह्वान किया।

साल 2014 के तख्तापलट के बाद से थाईलैंड जुंटा समर्थक सरकार के अधीन है जिसने यिंगलुक शिनावात्रा सरकार को उखाड़ फेंका था। इस तख्तापलट के बाद राष्ट्र के संविधान को नए संविधान से बदल दिया गया जिसने नागरिक सरकार पर सेना के नियंत्रण को थोप दिया। तब से सरकार ने एक प्रमुख विपक्षी दल को भंग कर दिया है और कई पत्रकारों और सामाजिक आंदोलन के नेताओं को गिरफ्तार किया है।

 

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