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समझें: क्या हैं कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट

कोरोना वायरस के वेरिएंट वर्गीकरण का एक तंत्र इन वेरिएंट को "वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न (VOC)" और "वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट (VOI)" में वर्गीकृत करता है। 
समझें: क्या हैं कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट

दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों से कोरोना वायरस के नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। ठीक इसी दौरान वैज्ञानिक और शोधार्थी वेरिएंट की निगरानी में लगे हुए हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि यह नए वेरिएंट कितने ख़तरनाक हैं और इनके बारे में कितनी चिंता किए जाने की जरूरत है।

वर्गीकरण का एक तंत्र इन वेरिएंट को दो मुख्य समूहों में विभाजित करता है- "वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न (VOC)" और "वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट (VOI)"। इन दोनों के बारे में चर्चा करने से पहले कुछ बुनियादी जानकारी जरूरी है। सभी वायरस के अनुवांशकीय हिस्सों में परिवर्तन होता है, जिसे "म्यूटेशन (उत्परिवर्तन)" कहा जाता है। कोरोना वायरस के मामले में अनुवांशकीय सामग्री में होने वाले बदलाव से इसके कुछ प्रोटीन में परिवर्तन होता है। यहां ध्यान रखना होगा कि जीन्स के भीतर वह जानकारी मौजूद होती है, जिससे किसी विशेष प्रोटीन का निर्माण किया जाता है। जीन में होने वाले म्यूटेशन से इनके भीतर मौजूद प्रोटीन में भी बदलाव हो जाता है। 

ज़्यादातर वेरिएंट के जीन्स में होने वाला म्यूटेशन, स्पाइक प्रोटीन से संबंधित होता है। स्पाइक प्रोटीन, वायरस के मानव कोशिका से चिपकने और उन्हें प्रभावित करने के लिए जवाबदेह होता है। स्पाइक प्रोटीन में होने वाले कुछ बदलावों से, मानव कोशिकाओं के साथ  वायरस की चिपकने की क्षमता में इज़ाफा हो जाता है। इससे यह ज़्यादा संक्रामक हो जाता है। 

फिर कुछ बदलाव वायरस को वैक्सीन से बचने की सुरक्षा भी उपलब्ध करवाते हैं। दूसरे बदलाव, वायरस को इंसान के प्रतिरोधक तंत्र को पार करने की क्षमताओं में इज़ाफा करते हैं, जिससे इनसे ज़्यादा गंभीर बीमारी होती है। वैज्ञानिक और शोधार्थी लगातार वायरस में होने वाले म्यूटेशन पर नज़र बनाए हुए हैं। इस पृष्ठभूमि में VOC और VOI का वर्गीकरण अहम हो जाता है। लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि लगातार आ रही नई जानकारी के साथ, मौजूदा जानकारी को लगातार दुरुस्त किए जाने की जरूरत है। 

वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट (VOI)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने किसी वेरिएंट की विशेषताओं को घोषित करने के लिए कुछ शर्तें तय की हैं। किसी वायरस को तब VOI घोषित किया जाता है, जब वह इन शर्तों पर खरा उतरता है:

1) अगर किसी वेरिएंट में ऐसे अनुवांशकीय बदलाव मौजूद हैं, जिनसे वायरस की संक्रमण क्षमता, बीमारी की प्रबलता, प्रतिरोधक तंत्र और परीक्षण को पार करने की क्षमता प्रभावित होती है।

2)अगर किसी वेरिएंट से संक्रमण बहुत तेज दर से फैलने की संभावना है या इससे कई देशों में कोविड-19 के कई क्षेत्र समूह (क्लसटर्स) बन गए हों, जिनमें बहुत तेजी से संक्रमण फैल रहा हो। कुलमिलाकर वेरिएंट से वैश्विक स्वास्थ्य के लिए पैदा होने वाले ख़तरे की पहचान की जाती है।  

WHO द्वारा इन वेरिएंट को VOI घोषित किया गया है- 

Eta वेरिएंट- कई देशों में सबसे पहले पाया इस वेरिएंट के नमूनों को दस्तावेजीकरण किया गया था। इसे दिसंबर 2020 में पहचाना गया था। WHO ने 17 मार्च, 2021 को इस वेरिएंट को VOI घोषित किया था। इस वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में भी म्यूटेशन हुआ है। मार्च तक यह वेरिएंट 23 देशों में पाया गया था। 
कप्पा वेरिएंट- भारत में सबसे पहले जिन वेरिएंट के नमूनों का दस्तावेजीकरण हुआ, उनमें यह वेरिएंट भी शामिल है। यह पिछले साल अक्टूबर में पहचाना गया था। 4 अप्रैल, 2021 को इसे VOI के तौर पर चिन्हित किया गया। 

कप्पा वेरिएंट से स्पाइक प्रोटीन में तीन म्यूटेशन हुए हैं। इन म्यूटेशन से वायरस की मानव कोशिकाओं, खासकर ACE2 रिसेप्टर (मानव कोशिका में मौजूद प्रोटीन, जो स्पाइक प्रोटीन के साथ जुड़ने का काम करता है) के साथ जुड़ने की क्षमता मजबूत हुई है। कुछ म्यूटेशन से इस वेरिएंट को इंसान के प्रतिरोधक तंत्र को पार करने की क्षमता हासिल हुई है। 

लैम्बडा वेरिएंट- इस वेरिएंट का सबसे पहले दस्तावेजीकरण पेरू में दिसंबर, 2020 में किया गया था। इसे VOI के तौर पर 14 जून, 2021 को चिन्हित किया गया। 

लैम्बडा वेरिएंट से भी स्पाइक प्रोटीन में कई बदलाव हुए हैं। इस साल जून तक यह वेरिएंट अमेरिका समेत 29 देशों में फैल चुका था। यह वेरिएंट इस साल अप्रैल तक पेरू में सबसे ज़्यादा प्रभावशील स्थिति में आ गया था। देश में सामने आने वाले कोरोना के मामलों में 80 फ़ीसदी इसी वेरिएंट के थे। 

आयोटा वेरिएंट- इस वेरिएंट को सबसे पहले अमेरिका में नवंबर, 2020 में पाया गया था। इसे 24 मार्च, 2021 को VOI के तौर पर चिन्हित किया गया। इस वेरिएंट में 6 म्यूटेशन हैं, जो सभी स्पाइक प्रोटीन में ही हुए हैं। यह वेरिएंट मध्य जून तक 54 देशों में पाया गया था। 

वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न (VOC)

WHO की परिभाषा के मुताबिक़ किसी वेरिएंट को VOC तब घोषित किया जाता है, जब यह निम्न शर्तें पूरी करता है- 

1) वेरिएंट को VOI के लिए बताई गई सभी शर्तों पर खरा उतरना होता है।
इसके अलावा किसी वेरिएंट में निम्न चीजें भी होना जरूरी हैं, जिनका वैश्विक स्वास्थ्य पर अहम प्रभाव हो।
2) फैलने की क्षमता में वृद्धि या कोविड-19 रोगशास्त्र में नुकसानदेह बदलाव या
3) वायरस की प्रचंडता में वृद्धि या बीमारी को जिस चिकित्सकीय ढंग से लिया जाता है, उसमें कुछ बड़ा बदलाव ला देना, या
4) वेरिएंट के चलते, बीमारी के खिलाफ़ मौजूद स्वास्थ्य उपायों, परीक्षण तरीकों, वैक्सीन, इलाज़ और सामाजिक तरीकों का अप्रभावी हो जाना।

इन वेरिएंट को WHO ने VOC घोषित किया है- 

अल्फा वेरिएंट- इस वेरिएंट को सबसे पहले ब्रिटेन में सितंबर, 2020 में खोजा गया था। इसे 18 दिसंबर, 2020 को VOC घोषित किया गया। 
दूसरे वेरिएंट की तुलना में अल्फा वेरिएंट इसकी बेहद तेज फैलने की क्षमता अब आम जानकारी है। कुछ अध्ययन में पता चला है कि इस वेरिएंट के फैलने की क्षमता 90 फ़ीसदी तक ज़्यादा थी। इस वेरिएंट की प्रचंडता भी ज़्यादा थी।  

बीटा वेरिएंट- यह सबसे पहले 20 मई, 2020 को दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था। इसे 18 दिसंबर, 2020 को VOC के तौर पर चिन्हित किया गया। 

इस वेरिएंट से स्पाइक प्रोटीन में 8 म्यूटेशन आए हैं। इनमें से तीन विशेष दिलचस्पी वाले हैं। इस वेरिएंट से स्पाइक प्रोटीन के अलावा वायरस की दूसरी चीजों में भी बदलाव हुए हैं। जून तक यह वेरिएंट 103 देशों में सामने आ चुका था। 

गामा वेरिएंट- यह सबसे पहले नवंबर, 2020 में ब्राजील में पाया गया था। इसे 11 जनवरी, 2021 को VOC घोषित किया गया था। इस वेरिएंट से स्पाइक प्रोटीन में 10 बदलाव हुए हैं। 6 जुलाई तक यह वेरिएंट 62 देशों में फैल चुका है। 

डेल्टा वेरिएंट- यह वेरिएंट लगातार दुनिया के कई हिस्सों में प्रबल होता जा रहा है। WHO के मुताबिक़, यह अब तक के सभी वेरिएंट में सबसे ज़्यादा चिंताजनक है। यह सबसे पहले अक्टूबर, 2020 में भारत में पाया गया था। 11 मई, 2021 को इस वेरिएंट को VOI घोषित किया गया था। इससे पहले 4 अप्रैल, 2021 को इसे VOI घोषित किया गया था। 

VOI घोषित होने के बाद से ही, जहां भी यह वेरिएंट पाया जाता, इस वेरिएंट ने दूसरे वेरिएंट पर अपना वर्चस्व बनाना शुरू कर दिया था। कुलमिलाकर डेल्टा वेरिएंट में 13 म्यूटेशन हैं, जिसमें स्पाइक प्रोटीन में हुए बदलाव भी शामिल हैं। इन म्यूटेशन से वायरस के फैलने की क्षमता में बहुत ज़्यादा इज़ाफा हुआ है। 
अब तक VOC और VOI समूह में इन्हीं वेरिएंट को वर्गीकृत किया गया है। 

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Explained: What are the Variants of the Coronavirus

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