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कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों की पीएम मोदी के साथ बैठक से क्या उम्मीदें हैं?

ज़ाहिर है जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां राज्य के विशेष दर्जे की बहाली, राजनीतिक बंदियों की रिहाई, संवाद शुरू करने के साथ अन्य मुद्दों को उठाएंगी।
कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों की पीएम मोदी के साथ बैठक से क्या उम्मीदें हैं?
Image Courtesy: Kashmir Reporter

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर के क्षेत्रीय राजनीतिक दल 24 जून को नई दिल्ली में होने वाली सभी दलों की बैठक में भाग लेंगे, प्रदेश के वरिष्ठ राजनेता फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को पीपुल्स एलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के प्रमुख के रूप में इस बात की पुष्टि की है।

जम्मू-कश्मीर के 'विशेष दर्जे' की बहाली की वकालत करने वाले आधा दर्जन क्षेत्रीय दलों ने एलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के रूप में एक संयुक्त मोर्चा बनाया था जिसने मंगलवार को गुप्कर रोड पर एक बैठक की और दिल्ली में होने वाली बैठक में भाग लेने पर चर्चा की, दिल्ली की बैठक में दिल्ली की हुकूमत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। केंद्र सरकार ने राजनीतिक दलों के 14 नेताओं को आमंत्रित किया है जिसमें मुख्यत नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), सीपीआई (एम) के एमवाई तारिगामी और तत्कालीन राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों शामिल होंगे। 

“महबूबा, तारिगामी और मैं प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल होंगे। हमें उम्मीद है कि हम अपना एजेंडा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के सामने रखेंगे।'

पीएजीडी की बैठक के बाद, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस (ANC) के मुजफ्फर शाह ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि हमारी ओर से "अनुच्छेद 370 और 35ए पर कोई समझौता नहीं होगा।" जैसा कि पीएजीडी अलायंस के सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व से मिलने को तैयार हैं, नेताओं ने कहा कि सरकार को वरिष्ठ हुर्रियत नेता शब्बीर अहमद शाह सहित सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर देना चाहिए।

हालांकि, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि राजनीतिक कैदियों की रिहाई और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने से ही कश्मीर पर "चर्चा समाप्त नहीं होगी"।

 “अगर पूरे क्षेत्र में शांति के लिए कश्मीर में पुरानी स्थिति को बहाल नहीं किया जाता है तो  कोई समझौता करने की जरूरत नहीं है। सरकार तालिबान (अफगान) के साथ बातचीत में लगी हुई है, इसलिए उन्हें जम्मू-कश्मीर के सभी लोगों से भी बात करनी चाहिए और समाधान के लिए पाकिस्तान से भी बातचीत करनी चाहिए। 

यह बैठक, क्षेत्रीय नेतृत्व के खिलाफ भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से दो साल से किए जा रहे हमलों से एक "राहत" के रूप में आई है, जिनमें से अधिकांश नेताओं को महीनों तक मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया था क्योंकि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निर्णय लिया गया था और जम्मू और कश्मीर को विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया था। 

प्रदेश के चुनाव समर्थक नेतृत्व ने, जो दिल्ली का 'हृदय परिवर्तन' होते देख रहे हैं और इसे अपनी "जीत" के रूप में देख रहे है, साथ ही उन्होने विभिन्न उद्देश्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश में 4 अगस्त की स्थिति की बहाली भी शामिल है।

“हम पीएजीडी के एजेंडे को दोहराएंगे। हम पीएम से, हमें संविधान के तहत दी गई गारंटी पर पुनर्विचार करने की अपील करेंगे,” माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने कहा।

जम्मू और कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी), जोकि एक पूर्व पीएजीडी घटक है, ने "उम्मीद" जताई है कि यह "बातचीत कुछ बड़ा गुल खिलाएगी और लोकतंत्र की वापसी और जम्मू-कश्मीर के लोगों के सशक्तिकरण का रास्ता तैयार करेगी।"

जेकेपीसी के प्रवक्ता अदनान अशरफ मीर ने कहा, "... 5 अगस्त के बाद, जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक नया सामाजिक अनुबंध लिखने की सख्त जरूरत है।"

हालांकि, कश्मीर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले इमोन माजिद का मानना है कि भले ही भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने कश्मीर पार्टियों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन केंद्र सरकार "हुकूमत के नियंत्रण" में रहकर बात करेगी।

माजिद ने न्यूज़क्लिक को बताया, "अभी तक गुप्कर गठबंधन के पास कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे वह पेश करे क्योंकि लगता तो यही है कि मोदी सरकार बैठक के दौरान शर्तों को तय करेगी।"

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों, जिन्हें नई दिल्ली की हुकूमत ने शक्तिविहीन बना दिया है, के समाने "राजनीतिक तौर पर खुद को ज़िंदा करने" का बड़ा अवसर है, लेकिन इसके लिए पीएजीडी को कड़ी मेहनत करनी होगी।

जम्मू में, कांग्रेस पार्टी के एक दलित नेता, तारा चंद – जो 2009 से 2014 तक जम्मू और कश्मीर के उपमुख्यमंत्री थे - सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित लोगों में से एक हैं।

तारा चंद ने न्यूज़क्लिक को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को कांग्रेस पार्टी की बैठक होगी, जिसके बाद एजेंडा तय किया जाएगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, जो बैठक में शामिल होंगे, ने हालांकि दावा किया कि वे जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य की मांग पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

आजाद ने कहा, "राज्य के दर्जे की मांग सबसे ऊपर होगी। यह एजेंडा में सबसे ऊपर रहेगी। और सरकार ने सदन के पटल पर भी इसका वादा किया था। पूर्ण राज्य का दर्जा ...न कि उपराज्यपाल का राज्य।"

नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) के नेता भीम सिंह ने कहा कि भले ही राज्य का दर्जा बहाल करना सभी दलों की एक आम मांग है, लेकिन वे अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करेंगे।

सिंह के हवाले से कहा गया है कि, "सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि हमें बैठक के निमंत्रण को स्वीकार करना चाहिए और संविधान द्वारा गारंटी अन्य अधिकारों की बहाली के साथ-साथ पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करवाने के लिए बैठक में भाग लेना चाहिए।"

एलोरा पुरी, जो जम्मू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाते हैं, ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ऐसा लगता है कि जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं को इस निमंत्रण ने "चौंका" दिया है।

“यह मोदी सरकार की खासियत है कि वह वे बिना किसी खास प्रयास के निर्णय ले लेते हैं। उनके पास अभी कोई एजेंडा नहीं है। पूरी के अनुसार, ऐसा लगता है कि उन पर किसी तरह का दबाव काम कर रहा है"।

"वे (केंद्र सरकार) पहले ही डीडीसी (जिला विकास परिषद) चुनावों के ज़रीए राजनीतिक गतिविधि शुरू कर चुके हैं। अब उन्हें इससे आगे जाना होगा। यह क्षेत्रीय दलों को बैठक में शामिल कर  परिसीमन को किसी तरह की वैधता देने का एक प्रयास भी है। हम देख सकते हैं राजनीतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जा रहा है और इसके लिए राज्य का दर्जा बहाल किया जा सकता है।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

What Kashmir Parties Expect From June 24 Meeting with PM Modi

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