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दिल्ली-जयपुर हाईवे पर किसान आंदोलन में शामिल हुए मज़दूर, हरियाणा बॉर्डर पर काफ़िले को रोका

राज्य की सीमा को पीले बैरिकेड्स, बड़े पत्थरों, जेसीबी ट्रैक्टर और ट्रक कंटेनरों से सील कर दिया गया है।
प्रदर्शनकारी, मुख्य रूप से महिलाएं, राजस्थान-हरियाणा सीमा पर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के एक कैरिजवे में पड़ाव डाले हुई हैं। छवि: रौनक छाबड़ा
प्रदर्शनकारी, मुख्य रूप से महिलाएं, राजस्थान-हरियाणा सीमा पर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के एक कैरिजवे में पड़ाव डाले हुई हैं। छवि: रौनक छाबड़ा

शाहजहाँपुर/अलवर: "हम यहां पक्का मोर्चा लगाने आए हैं और हम यहां लंबे समय तक रहने वाले हैं]।"

रविवार दोपहर को लाल झंडों की लहर से भरपूएर राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर जुनून और जोश देखने काबिल था क्योंकि ऊपर के वाक्य उन प्रदर्शनकारियों के थे जो दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को "ब्लॉक" करने के आह्वान के साथ यहां आए थे। राजमार्ग को "ब्लॉक" करने का आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा ने दिया था, जो किसानों की संस्था है और जो विवादास्पद कृषि-कानूनों के खिलाफ चल रही देशव्यापी आंदोलन का संचालन कर रही है।

एक्सप्रेसवे जिसे एनएच-8 के रूप में भी जाना जाता है को दोनों तरफ ट्रैफिक मूवमेंट को रोकने में बहुत मुश्किल आई, करीब 200 प्रदर्शनकारियों- जिसमें मुख्य रूप से राजस्थान और दक्षिण हरियाणा से आए किसान शामिल थे ने रास्ता रोकने के लिए वहीं पड़ाव डाल दिया और एक्सप्रेसवे को बंद कर दिया। एक तरफ के ट्रैफिक को जिसे पहले रोक दिया था, एक संक्षिप्त से पड़ाव के बाद, शाम को ट्रैफिक मूवमेंट की अनुमति दी गई थी।

प्रदर्शंकारी किसानों ने दावा किया कि मोदी सरकार के "काले कृषी-क़ानूनों का विरोध करने" के लिए अधिक किसान इस पड़ाव में शामिल होंगे। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि उनका "सड़क को अवरुद्ध करने का कोई इरादा नहीं था" लेकिन ये हरियाणा पुलिस है जिसने किसानों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जाने से रोक दिया।  

उन्होंने आगे बताया कि “हमने अपने गांवों से दिल्ली के जंतर मंतर तक जाने और वहां विरोध प्रदर्शन करने के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी। लेकिन हरियाणा पुलिस ने हमें यहाँ रोका दिया है, उक्त बातें ”राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के 40 वर्षीय सुखजीत सिंह ने बताई। “अगर वे ऐसा ही चाहते हैं, तो ऐसा ही होगा। हम अब यहीं रहेंगे और तब तक नहीं हटेंगे जब तक दिल्ली में बैठे लोग हमारी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेते।”

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दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के रास्ते राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करते प्रदर्शनकारी। छवि: रौनक छाबड़ा

वास्तव में राज्य की सीमा को पीले बैरिकेड्स, बोल्डर, बड़े पत्थर, जेसीबी ट्रैक्टर और ट्रक कंटेनरों के साथ सील कर दिया गया है। इन बैरिकेड्स के पीछे राज्य पुलिस कर्मी, आरएएफ, सीआईएसएफ, दंगा-रोधी वाहन और पानी के तोपों को तैनात कर दिया गया हैं।

प्रदर्शनकारियों ने पंजाब और हरियाणा के अपने साथियों के विपरीत, बैरिकेड्स को नहीं तोड़ने  का फैसला किया, ताकि तनाव से बचा जा सके। 

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राज्य की सीमाओं को हरियाणा पुलिस ने सील कर दिया है। छवि: रौनक छाबड़ा

“ज्यादातर किसान राजस्थान से हैं- और मुख्य रूप से सीकर, झुंझुनू, नागौर और हनुमानगढ़ जिलों से आए हैं। किसान नेता 51 वर्षीय सतबीर डूडी ने बताया कि राजस्थान से आए किसानों के साथ हरियाणा के हिसार, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले के किसान भी शामिल हो गए हैं। 

राजस्थान से सीपीआई-एम के नेता अमरा राम ने कहा कि किसान राज्य के अन्य हिस्सों से प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तैयार हैं। जबकि “केंद्र सरकार दुष्प्रचार कर रही है कि विरोध प्रदर्शन केवल पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा ही किए जा रहे हैं। जो सच नहीं है।"

आज शामिल कम संख्या के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "राजस्थान में संगठनों के पास पंचायत चुनावों की वजह से तैयारी के लिए ज्यादा समय नहीं था क्योंकि चुनाव अभी-अभी खत्म हुए हैं"।

राजस्थान से सीपीआई-एम के एक अन्य नेता बलवान पूनिया ने फोन पर न्यूज़क्लिक से बात की, वे कहीं कोटपूतली से बात कर रहे थे और बता रहे थे कि उनका "किसानों का एक और कारवां आज रात तक राजस्थान-हरियाणा सीमा पर शामिल हो जाएगा"।

किसानों के अलावा मार्च में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला संगठनों, निर्माण श्रमिकों आदि को भी बड़ी संख्या में भाग लेते देखा गया- जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति बताई गई है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स की राष्ट्रीय अध्यक्ष उषा रानी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पंजाब और हरियाणा राज्य की आंगनवाड़ियाँ सितंबर से किसानों के विरोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। “जब किसान दिल्ली आए, तो हम उनके संघर्ष में शामिल हुए। पंजाब के खनौरी की रहने वाली रानी ने बताया सिंघू, टिकरी और अन्य विरोध स्थलों पर भी हम रुके हुए हैं।

उनके अनुसार, हरियाणा-राजस्थान सीमा विरोध स्थल पर हरियाणा और पंजाब की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों की अधिक भागीदारी देखी जाएगी, क्योंकि "उनकी भागीदारी की यहाँ अधिक आवश्यकता है"। केवल पंजाब में ही लगभग 27,000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका हैं।

लेकिन मजदूर जो अपनी मांगों के लिए केंद्र के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, वे क्यों किसानों से जुड़ रहे हैं? संगरूर की 52 वर्षीय सुखवंत कौर जो एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं ने कहा, "मेरे पिता एक किसान थे और मेरे पति एक किसान हैं।" “सरकार हमें बहुत कम भुगतान करती है और यह घर का खर्च चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। हमें खेती से एक स्थायी आय की आवश्यकता है। क्या हम बहुत ज्यादा मांग रहे हैं? ”

कौर ने न्यूज़क्लिक को आगे बताया कि किसानों और अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ पंजाब से 1,000 ट्रॉलियां इस विरोध स्थल पर आ रही हैं।

हजारों किसान पहले से ही शहर में कम से कम चार अंतरराज्यीय प्रवेश मार्गों पर डेरा डाले हुए हैं- जिसमें सिंघू, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर शामिल हैं- जो क्रमशः दिल्ली को उत्तर में अंबाला, दक्षिण पश्चिम में हिसार, दक्षिण-पूर्व में नोएडा और पूर्व में गाजियाबाद से जोड़ते हैं।

31 वर्षीय गुरमुख सिंह, जो पांच अन्य लोगों के साथ टिकरी बॉर्डर विरोध स्थल से आए थे, ने यह भी दावा किया कि पहले से कई अधिक लोग यहां आएंगे। “हम सभी मार्गों से दिल्ली की  चारों ओर से घेराबंदी करेंगे। पंजाब और हरियाणा के किसान ऐसा करने में हमारी मदद करेंगे।”

हिसार के 36 वर्षीय सुखबीर सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि प्रदर्शनकारी आने वाले दिनों में लंबी समय तक ठहरने की तैयारी करेंगे। “हमारे गाँव- जो महेंद्रगढ़ और हिसार में हैं- वे यहाँ से लगभग 5-10 किलोमीटर की दूरी पर हैं। हम वहां खाना तैयार कर यहां लाएंगे। आने वाले दिनों में, हम खाना यहाँ भी पका सकते हैं, उक्त बातें ”कंस्ट्रक्शन वर्कर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CWFI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिंह ने न्यूजक्लिक को बताई। 

“आज तो बस पक्का मोर्चा लगाना था; आगे की सब तैयारी हम सब मिल कर देख लेंगे।“

राजमार्ग पर स्थित प्रादर्शन में कई औद्योगिक शहरों से प्रदर्शनकारी एकत्र हुए हैं जो दिल्ली से गुरुग्राम से होते हुए जयपुर को जोड़ता है। जबकि रेवाड़ी का बावल औद्योगिक शहर यहाँ से शायद ही 10 किमी की दूरी पर है; राजस्थान का नीमराना भी 20 किलोमीटर से अधिक दूर नहीं है। “हम आने वाले दिनों में, इन क्षेत्रों से औद्योगिक श्रमिकों की अच्छी भागीदारी देखने की उम्मीद कर रहे हैं। किसानों के साथ एकजुटता में पहले भी कई विरोध कार्यक्रमों इन औद्योगिक नगरों में मजदूर यूनियनों द्वारा की किए गए हैं, उक्त बातें ”हरियाणा में सीटू नेता सतबीर सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताई। 

राजस्थान के हनुमानगढ़ के एक अस्थाई रूप से काम करने वाले मजदूर 28 वर्षीय वारिस अली ने बताया: कि “मोदी सरकार की नीतियां मज़दूर और किसान विरोधी हैं। ऐसे में हमें एकजुट होकर लड़ना होगा।”

अखिल भारतीय कृषक खेत मजदूर संगठन से जुड़े 65 वर्षीय इमरत लाल ने आज खुद के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बारे में बात की। “मुझे अभी भी इस उम्र में अन्य किसानों के खेतों में काम करने की जरूरत पड़ती है। लॉकडाउन में नौकरी गंवाने के बाद से मेरा बेटा बेरोजगार है। मेरा घर अब उसी से चलता है जो कुछ 260/280 रुपए प्रति दिन दिहाड़ी कमाता हूँ। अगर कॉर्पोरेट्स किसानों की जमीन ले लेंगे तो मैं कहां काम करूंगा?”

यहां चल रहे विरोध प्रदर्शन को आज पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात के नेताओं ने संबोधित किया।

एआईकेएस महासचिव, हन्नान मोल्लाह ने कहा कि लगभग 500 किसान संगठन कई वर्षों में सक्रिय भागीदारी के साथ काम कर रहे हैं, और यह किसान आंदोलन "ऐतिहासिक" है।

केंद्र के साथ विचार-विमर्श के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा: “सरकार ने हमारा एक भी एजेंडा नहीं लिया है। सरकार संशोधन करने की बात पर अड़ी है जबकि हम कानूनों को रद्द करने की मांग करते रहे हैं।”

एनएपीएम की सह-संयोजक मेधा पाटकर ने कहा: “हम आज यहाँ सत्याग्रही के रूप में तैनात हैं। और आज की सच्चाई केवल यही है... किसानों के जीवन को कॉर्पोरेट घरानों और उनके लालच से भयंकर खतरा है।"

केंद्र सरकार के हालिया लिखित प्रस्ताव को खारिज करते हुए, जिन्हे किसानों ने सामूहिक रूप से हाल ही में खारिज कर दिया था, के बारे में कहा कि केंद्र सरकार का संसोधन का दस्तावेज इस बात का प्रमाण है कि वे इस बात से सहमत है कि उन्होंने कृषि-कानूनों के मामले में "बहुत सारी और बहुत भारी गलतियाँ" कर दी हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Workers Join Farmers’ Protest at Delhi-Jaipur Highway, Caravan Stopped at Haryana Border

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