Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

“यह एक चौथाई सदी खड़ी है तीन सदियों के मलबे पर...”

कवि वीरेन डंगवाल की याद में दिल्ली में हुए ‘वीरेनियत-3’ कार्यक्रम में कवि असद ज़ैदी।

“ऐसा नहीं है” कविता में असद ज़ैदी कहते हैं कि “हमारे ज़माने में विमर्श है अमर्ष भी ख़ूब है किसी का लेकिन पक्ष पता नहीं चलता…/ हिन्दुस्तान भी बस एक चमत्कार ही है दलालों ने हर चीज़ को खेल में बदल दिया हैं/ वीडियो गेम से उकताते हैं तो मुसलमानों को मारने के लिए निकल पड़ते हैं/और जो रास्ते में आता है कहते हैं हम आपको देख लेंगे नम्बर आपका भी आएगा जी.../ यह एक चौथाई सदी खड़ी है तीन सदियों के मलबे पर...।”

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest