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यूपी : बाराबंकी की बस्ती ने खुले में शौच मुक्त के मिथक का पर्दाफ़ाश किया

ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय के नाम पर केवल दीवारें खड़ी कर दी गई हैं लेकिन सीटें अब तक नहीं लगाई गई हैं।
बाराबंकी की बस्ती ने खुले में शौच मुक्त के मिथक का पर्दाफ़ाश किया

41 वर्षीय अनीता पाल रोज़ाना सुबह 4 बजे या सूर्योदय से पहले उठकर अपनी दोनों नाबालिग बेटियों के साथ खुले में शौच के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश करती हैं।

अनीता की दो नाबालिग बेटियां और छह साल का एक बेटा है। दोनों बेटियां स्कूल जाती हैं। गृहिणी और एक मामूली किसान और भेड़ पालन करने वाले की पत्नी होने के चलते वह अपने छोटे से कच्चे घर में शौचालय का निर्माण नहीं कर सकती।

कुहासे वाली एक सुबह में चावल को कचरे से अलग करने में व्यस्त अनीता कहती हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि सरकार शौचालय का निर्माण कराएगी। उनका सपना तब टूट गया जब उन्हें शौचालय निर्माण के लिए कोई मदद नहीं मिली वहीं उच्च जाति की आबादी वाले पड़ोसी गांव के लोग ग्राम पंचायत की मदद से शौचालय बनवाने में सफल रहे।

अनीता कहती हैं, “मैं मोदी जी की बहुत बड़ी प्रशंसक थी और स्वच्छ भारत और शौचालय निर्माण की उनकी पहल से प्रभावित थी क्योंकि मुझे अपने लिए शौचालय निर्माण को लेकर काफी उम्मीद थी। लेकिन नहीं हो सका, शायद मैं ग़लत थी।”

वे कहती हैं, “हर मां जिसके पास नाबालिग और अविवाहित लड़कियां होती हैं वह अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंतित होती है और इस तरह मैं भी चिंतित हूं। यही कारण है कि जब भी उन्हें शौच की ज़रूरत होती है तो मैं उनके साथ जाती हूं चाहे मैं उस समय कुछ भी कर रही होती हूं या मैं बीमार ही क्यों न रहूं और यहां तक की न चलने की स्थिति में भी क्यों न रहूं मूझे उनके साथ जाना पड़ता है।" वह आगे कहती हैं, "शौचालय तो बना है लेकिन सिर्फ़ दीवार खड़ी करके चले गए हैं बाबू लोग और सीट नहीं लगाई।"

The toilet without seats are being used as bathroom and store houses in Keratinpurva..jpeg

सिर्फ अनीता ही नहीं बल्कि राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 60 किलोमीटर दूर बाराबंकी ज़िले के केरातिनपुरवी बस्ती के अन्य 16 घरों की महिलाएं शौचालय के अभाव के चलते अपने गांव में शौच के लिए बाहर जाती हैं।

ये बस्ती सिरौली गौसपुर ब्लॉक में हज़रतपुर ग्राम पंचायत में पड़ता है। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण वेबसाइट पर उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पूरे हज़रतपुर ग्राम पंचायत में 620 घर हैं जिनमें से 116 में शौचालय नहीं थे और आठ घर ग़रीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) थे। शौचालय के अभाव वाले इन घरों सहित केरातिनपुरवी बस्ती में 16 घर और शामिल होंगे। लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि 2018-19 में इन सभी को शौचालय मिल गया और नतीजतन पूरे हज़रतपुर को खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ़) घोषित कर दिया गया। इससे यह साफ़ है कि आधिकारिक आंकड़ा ज़मीनी सच्चाईयों से अलग है।

The underconstructed toilets in Keratinpurva.jpeg

यह उल्लेख किया जा सकता है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित नवीनतम आंकड़ों के अनुसार देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे अधिक अपराध दर्ज करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। मतलब कि महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में होते हैं।

जहां देश में ’लज्जा भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमला’ करने की दर 21.7% है वहीं भारत में कई ऐसी पीड़िता हैं जो खुले में शौच जाने के कारण इसकी शिकार हो जाती हैं।

अमेरिकी स्वास्थ्य पत्रिका बायो-मेड सेंट्रल के अनुसार, "वे महिलाएं जो खुले मैदान या रेलवे ट्रैक के किनारे जैसी जगहों पर शौच के लिए जाती हैं उनका घर के शौचालय का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की तुलना में दोगुना बलात्कार होने की संभावना होती है।"

गांव के निवासी विपिन मौर्य का कहना है कि शर्मिंदगी से बचने के लिए गांव में एक अलिखित नियम है जिसके अनुसार गांव की महिलाएं सुबह सवेरे जल्दी शौच के लिए बाहर जाती हैं लेकिन वे इसके लिए गांव के उत्तरी हिस्से की तरफ जाती हैं। जबकि पुरुष दक्षिण की ओर जाते हैं और सुबह देर से उठते हैं।

इलाके की महिला मुखिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विपिन कहते हैं उनका बेटा जो अपनी मां का प्रतिनिधित्व करता है उसने मुश्किल से प्रत्येक शौचालय के निर्माण पर 5,000 रुपये ख़र्च किया है और बाकी पैसा अपने पास रख लिया है।

विपिन कहते हैं, "मुझे यह भी पता है कि प्रत्येक शौचालय के निर्माण के लिए सरकार 12,000 रुपये देती है लेकिन इरफान खान और उसकी मां (मुखिया के बेटे और मुखिया) ने पैसा गबन कर लिया है और वे नहीं चाहते कि हमारे घरों में शौचालय हो।"

निर्माणाधीन शौचालयों के बारे में पूछे जाने पर इरफान ने कहा, “हमने उपलब्ध राशि से ज़्यादा से ज़्यादा शौचालय का निर्माण किया; ग्रामीणों के आरोप निराधार हैं। मैं उनके घरों में शौचालय के निर्माण के लिए अपनी जेब से पैसा ख़र्च नहीं कर सकता। और वे इस पर इतनी हाय तौबा क्यों मचा रहे हैं? वे बहुत लंबे समय से खुले में शौच करते रहे हैं।”

गांव के मुखिया के बेटे ने आगे बोलने से इनकार कर दिया और यह कहते हुए कि उसके घर की महिलाओं को परिवार के बाहर के पुरुषों से मिलने की अनुमति नहीं है इसलिए न्यूज़क्लिक टीम को अपनी मां से मिलने नहीं दिया।

इरफान ने कहा, "अगर उन्हें इसकी [शौचालय] जरूरत है तो उन्हें अपने पैसे का इस्तेमाल करना चाहिए। जब मुझे राशि मिलेगी तभी मैं इसका निर्माण करवाऊंगा।"

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय से उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत में एक चौथाई से अधिक घरों में शौचालय नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्रामीण भारत को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित किए जाने के लगभग एक महीने बाद ये रिपोर्ट आई है।

यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गठित छह सदस्यीय टीम को उत्तर प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन की स्थिति का 'परीक्षण और आकलन' करने के लिए भेजा गया था और एक सर्वेक्षण के बाद यह पाया गया कि राज्य में 14.62 लाख से अधिक घरों में शौचालय अभी भी कमी है।

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