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यूपी: विरासत तुम्हारी, सियासत हमारी... वाह योगी जी वाह!

भाजपा की परंपरा को योगी आदित्यनाथ बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं, यानी सरदार पटेल की तरह इनकी नज़र मुलायम सिंह की विरासत पर आकर टिक गई है।
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फाइल फोटो- दिवंगत मुलायम सिंह यादव(दाएं), मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(बाएं)

उत्तर प्रदेश की सियासत भी ग़ज़ब है जनाब... एक ही नेता की धुरी पर बरसों-बरस घूमा करती है, लेकिन इसकी जड़ें कहां तक हैं?  किस-किस रास्ते से होकर गुज़री हैइसे समझना ज़रा मुश्किल हो जाता है, हालांकि जो इसे समझ गया उसके हाथ ही होती है सत्ता की चाबी, और वो ही तय करता है प्रदेश का भविष्य।

कहने का अर्थ ये है कि प्रदेश में पूरी लड़ाई ही भविष्य को तय करने वाली चाबी की है, जो इस वक्त दिवंगत मुलायम सिंह यादव की विरासत के रूप में देखी जा रही है। यानी इस विरासत की बिसात बिछ चुकी है और बाजी जिस पाले में आ जाए वही होगा असली बाज़ीगर।

वैसे तो मुलायम की समाजवाद वाली इस विरासत पर उनके पुत्र अखिलेश यादव का नाम दर्ज है, लेकिन सरदार पटेल की विरासत पर अपने दावे की तरह भारतीय जनता पार्टी अब मुलायम सिंह पर भी अपना दावा ठोकने लगी है... यानी भाजपा कहने लगी है कि हम जो चुनाव जीतते हैं वो मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से।

अब इस बात को ज़रा सोच कर ही देखिए, कितना हास्यास्पद लगेगा... कि योगी आदित्यनाथ समाजवाद की शरण में आ गए हैं।

ख़ैर... योगी आदित्यनाथ को हम क्यों ही ऐसा कहेंगे, वो ख़ुद ही ख़ुद को समाजवाद की संज्ञा देने पर अड़ गए हैं। आप ख़ुद ही सुन लीजिए...

सभी को याद होगा, कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी के बारे में क्या कहा था, कि आप ऐसा ही आगे बढ़ते रहें, और हुआ भी कुछ वही। नरेंद्र मोदी फिर देश के प्रधानमंत्री बन गए। हालांकि राजनीति में किसी नेता को शुभकामनाएं देना आम बात है।

लेकिन सवाल ये है कि मुलायम सिंह के वक्तव्यों का और कामों का पैमाना योगी और भाजपा के लिए क्या है अगर भाजपा कहती है कि मुलायम सिंह यादव जो कहते थे वो सही है, तो उन्हें कथित कारसेवकों पर गोली चलवाने वाली घटना को भी सही ठहराना चाहिए, और बलात्कार के जिस बयान को लेकर भाजपा बार-बार उनपर हमले करती है, उसे भी वापस लेना चाहिए, और पूरी भारतीय जनता पार्टी को ये स्वीकार कर लेना चाहिए, कि विचारधारा का मतलब ही समाजवाद होता है, जबकि हिंदुत्व तो भ्रमित करने का एक ज़रिया है।

लेकिन अगर भाजपा ये सब नहीं मानती और मीठा-मीठा गप-गप… कड़वा-कड़वा थू-थू वाली कहावत को अपने पक्ष में ढालने की कोशिश में है, तो ये कहना ग़लत नहीं होगा कि इन दिनों योगी आदित्यनाथ और भाजपा की ईकाई मुलायम सिंह यादव की मौत पर राजनीति कर रही है, और उनसे जुड़ी मैनपुरी की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है।  

आपको बता दें कि मैनपुरी लोकसभा के लिए 5 दिसंबर को उपचुनाव है। इसके लिए प्रचार करते हुए करहल में योगी आदित्यनाथ ने जो भाषण दिया, इसके बारे में जब हमने सपा के प्रवक्ता अब्दुल हफीज़ गांधी से बातचीत की, तब उन्होंने कहा कि ‘’दूसरों की विरासत को अपनी विरासत करके दिखाना, इसके अलावा भाजपा के पास कुछ नहीं है। इनके पास न तो स्वतंत्रता आंदोलन में खुद की भागीदारी बताने के लिए कुछ है, न ही देश के अन्य किसी विकास में। ये तो बाबा साहब अंबेडकर को भी अपने रूप में अपनाना चाहते हैं, और सरदार पटेल की भूमिका को भी बदलना चाहते हैं।”

न्यूज़क्लिक ने जब गांधी से ये सवाल किया कि योगी आदित्यनाथ की इस चाल से समाजवादी पार्टी के भविष्य या मैनपुरी उपचुनाव पर कोई असर पड़ेगातब उन्होंने बताया कि नेताजी की मृत्यु के बाद ये हमारा पहला चुनाव है, और जनता ने तय किया है कि इस चुनाव में नेताजी को श्रद्धांजलि देनी है। मैनपुरी की जनता में नेताजी के लिए एक अलग भावुकता है। शायद भाजपा जनता की इन्ही भावनाओं को कमज़ोरी समझ रही है और कैप्चर करना चाहती है।”

योगी आदित्यनाथ के इस बयान से पैदा हुए असमंजस और इनके भविष्य में इस्तेमाल होने वाली योजनाओं को लेकर हमने सपा के एक और प्रवक्ता प्रोफेसर धर्मेंद्र यादव से बातचीत की। उनका कहना था भाजपा का जो मुख्य फॉर्मूला है, छलकपट और धोखा। यही इनकी संस्कृति हैयही इनका स्वभाव है। लेकिन फिर भी अगर योगी जी समाजवाद की ओर बढ़ रहे हैं तो मैं कहूंगा उन्हें सदबुद्धि आ रही है। क्योंकि समाजवाद इस पूरी दुनिया की सबसे मज़बूत विचारधारा है। बग़ैर इसके कुछ भी संभव नहीं है।”

धर्मेंद्र से हमने सवाल किया कि योगी की इस बात से मैनपुरी की जनता कितना प्रभावित हो रही है। क्या इसका असर सपा के वोटबैंक पर पड़ेगा? तब उन्होंने कहा कि योगी जी को ये समझ लेना चाहिए कि मैनपुरी की जनता के पास विरासत हैराजनीतिक समझ हैकोई ऐसे ही कहने लगे कि हमें जनता का आशीर्वाद प्राप्त हैतो ये छल ही तो हुआ। चार विधानसभा में एक भी सड़क बनावाई हो तो बताएं। नहर में पानी नहीं आताजब उसके लिए मांग करते हैंतो पुलिसिया कार्रवाई करते हैं। बग़ैर किसी वजह के गिरफ्तार कर रहे हैं।

यानी योगी आदित्यनाथ के इस बयान को समाजवादी पार्टी पूरी तरह से छल, कपट और गंदी राजनीति से भरा मान रही है, समाजवादी लोग कह रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ उन लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं, जो नेता जी की मौत से बेहद पीड़ा में है। हालांकि राज नेताओं से दूर हटकर जब हमने योगी आदित्यनाथ के इस बयान के पीछे के मकसद को जानने के लिए उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान से बात की तब उन्होंने बताया कि भाजपा की आदत है, दूसरों की विरासत को ख़ुद का बताना। कभी ख़ुद कुछ बनाया नहीं और दूसरों की विरासत को अपना बताते हैं। इसी काम को योगी जी आगे बढ़ा रहे हैं।”

प्रधान ने बताया कि ‘’भाजपा और योगी आदित्यनाथ को अच्छे से पता है कि मैनपुरी मुलायम सिंह यादव का गढ़ है उनका घर है, ऐसे में उन्हें हरा पाना लगभग नामुमकिन है। लेकिन भाजपा को प्रचार तो करना ही है, तो वो इस तरह प्रचार कर रहे हैं, कि लोगों को लगे मुलायम सिंह की इज्जत करते हैं। क्योंकि भाजपा के उम्मीदवार रघुराज शाक्य मुलायम सिंह यादव के शिष्य रहे हैं। यानी मकसद यही है कि अगर हार होती भी है तो नुकसान कम से कम हो।‘’  

वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान की बात पर अगर ग़ौर करें तो, भाजपा जानती है कि मैनपुरी में जीत मुश्किल है, लेकिन इस तरह के बयानों से समजावाद से जुड़े या नेताजी से जुड़ी उस जनता को ज़रूर अपनी ओर किया जा सकता है, जो थोड़ा बहुत नरेंद्र मोदी की बयार में बह रहे हैं। यानी आने वाले लोकसभा चुनावों में बहुत हद तक समाजवादी पार्टी के वोटबैंक पर डेंट किया सकता है।

यानी कुल मिलाकर भाजपा मुलायम सिंह यादव के नाम और ओहदे को आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपने मुफीद करना चाह रही है। जिसका एक बीज भाजपा की ओर से मैनपुरी में रघुराज सिंह शाक्य के रूप में डाल दिया गया है।

टिकट फाइनल होने के बाद जब वो मैनपुरी आए तब उनकी बात भी मुलायम से ही शुरू हुई। बेहिचक कहा कि मुलायम उनके गुरु हैं। यहां तक कहा कि विरासत पर पुत्र का नहीं शिष्य का अधिकार होता है। इतना ही नहीं नामांकन करने से पहले वो सबसे पहले मुलायम सिंह की समाधि स्थल पर भी गए।

हिंदुत्ववादी विचारधारा का हाथ थामे ख़ुद का भगवाकरण करवा चुके शाक्य के बारे में प्रोफेसर धर्मेंद यादव कहते हैं कि ‘’उन्हें ख़ुद सोचना चाहिए कभी वो मुलायम सिंह यादव के शिष्य थेआज उन्हीं की विचारधारा के खिलाफ खड़े हैं।‘’

योगी आदित्यनाथ के इस बयान और शाक्य के रूप में मुलायम सिंह की सियासी विरासत को कैप्चर करने की कोशिश महज़ मैनपुरी चुनाव तक ही नहीं है, क्योंकि इसका एक सिरा भाजपा की ओर से शिवपाल सिंह की ओर भी फेंक ही दिया गया है। जिसका कारण सीधे तौर पर यही है कि शिवपाल और अखिलेश य़ादव फिर से साथ दिखाई पड़ रहे हैं, अखिलेश लगातार शिवपाल की तारीफ कर रहे हैं, और शिवपाल अपनी बहु, अखिलेश यादव की पत्नी और मैनपुरी में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं। शायद यही कारण है कि शिवपाल यादव की सुरक्षा श्रेणी को ज़ेड से घटाकर वाई कर दिया गया है।

इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं कि ‘’शिवपाल यादव की सुरक्षा कम करवाने के पीछे भाजपा की खीज है, क्योंकि कुछ दिनो पहले भाजपा ने शिवपाल को अपनी ज़द में कर ही लिया था, लेकिन नेता जी के निधन ने फिर से परिवार को एक कर दिया, जो भाजपा को बहुत ज़्यादा चुभ रहा है। और यही कारण है कि अब शिवपाल की सुरक्षा भी कम करवा दी। कभी उन्हें थाली का बैंगन कहने लगते हैं तो कभी कुछ।

आपको बता दें कि शिवपाल यादव की सिर्फ सुरक्षा ही नहीं घटाई गई है बल्कि सीबीआई ने कुछ अफसरों समेत शिवपाल के खिलाफ रिवर फ्रंट मामले में जांच के लिए मंज़ूरी मांगी है। सीबीआई गोमती रिवर फ्रंट के पुनर्विकास के दौरान कथित घोटाले के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 17 A के तहत पहले ही मामला दर्ज कर चुकी है।

मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के नाम पर राजनीति, शिवपाल के पीछे सीबीआई, इन बातों की गवाही है, कि भाजपा... समाजवादी पार्टी को भी पूरी तरह से तोड़ना चाहती है।

हालांकि भाजपा की तो यह परंपरा रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और शिवपाल यादव जैसे बड़े नेताओं को ख़ुद सोचना पड़ेगा कि नेताजी ने जिस पार्टी की नींव रखी थी उसे कैसे सुरक्षित रखा जाए। वरना आने वाले वक्त में यही कहा जाएगा कि अखिलेश भी पिता की विरासत को सुरक्षित नहीं सके। इसका उदाहरण हम महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ देख चुके हैं। वहां भी बेटे को पछाड़ कर शिष्य ही आगे निकला है।

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