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दुनिया भर की : चिली में वामपंथी छात्र नेता होंगे सबसे युवा राष्ट्रपति

चिली के ‘नवउदारवादी’ आर्थिक मॉडल को दफ़न कर देने का वादा करने वाले कानून के इस पूर्व छात्र ने रविवार को राष्ट्रपति के पद के लिए हुए चुनावों (रन-ऑफ़) में धुर दक्षिणपंथी जोस एंटोनियो कास्त को क़रारी मात दे दी।
चिली में वामपंथी छात्र नेता होंगे सबसे युवा राष्ट्रपति

बेहतर शिक्षा की मांग को लेकर छात्रों के जोरदार विरोध प्रदर्शन की अगुआई करने के ठीक दस साल बाद महज 35 साल की उम्र के गाब्रियल बोरिक अब चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति बनेंगे। रविवार को आए चुनावी नतीजे केवल इस दक्षिण अमेरिकी देश में ही नहीं बल्कि समूचे लैटिन अमेरिका में प्रगतिशील वामपंथ के फिर से उदय की नई इबारत लिख रहे हैं।

चिली के ‘नवउदारवादी’ आर्थिक मॉडल को दफ़न कर देने का वादा करने वाले कानून के इस पूर्व छात्र ने रविवार को राष्ट्रपति के पद के लिए हुए चुनावों (रन-ऑफ) में धुर दक्षिणपंथी जोस एंटोनियो कास्त को करारी मात दे दी।

चिली में आम चुनाव 21 नवंबर को हुए थे। वहां के संविधान के मुताबिक अगर उस दिन तमाम प्रत्याशियों में से कोई भी 50 फीसदी मत हासिल कर लेता तो रन-ऑफ की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उस दिन कास्त को सबसे ज्यादा 28 फीसदी और बोरिक को 25 फीसदी वोट हासिल हुए थे। नियमों के मुताबिक सबसे ऊपर रहने वाले दो प्रत्याशियों के बीच दूसरे दौर का चुनाव यानी रन-ऑफ हुआ।

धुर विरोधी विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने वाले बोरिक व कास्त के बीच रविवार को चुनाव हुआ और इसमें 99 फीसदी मतों की गिनती होने तक बोरिक को 55.86 फीसदी मत हासिल हो चुके थे। कास्त को 44.14 फीसदी वोट ही मिले थे। लिहाजा कास्त ने ग्राबियल बोरिक को राष्ट्रपति चुने जाने के लिए बधाई देकर अपनी पराजय स्वीकार कर ली। बोरिक अब मार्च में नए राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार सभालेंगे।

दरअसल दोनों प्रत्याशियों की विचारधाराओं में खाई इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकती थी। 55 साल के कास्त को अक्सर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो सरीखा माना जाता है। वह चिली के पूर्व तानाशाह जनरल आगस्तो पिनोशे के शासनकाल और मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के कट्टर समर्थक हैं। उन्होंने अपने एजेंडे में कंपनियों के लिए करों में और कटौती करने, गर्भपात पर रोक लगाने और अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए चिली के उत्तर में दीवार खड़ी करने को शामिल कर रखा था।

ठीक उलट बोरिक शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ दस साल पहले छेड़े गए आंदोलन से उभरे छात्र नेता हैं। हालांकि एंडीज पर्वतमाला के इस देश में प्रगतिशील वाम को मजबूती मिलनी शुरू हुई। 2019 में छेड़े गए एक और जबरदस्त आंदोलन के बाद। अक्टूबर 2019 में हुए और महीने भर चले उस जबरदस्त आंदोलन की मांगों में पेंशन में सुधार करना, बेहतर शिक्षा प्रणाली लागू करना और संपन्न व ताकतवर तबके का समर्थन करने वाली आर्थिक व्यवस्था को भंग करना शामिल था।

इन प्रदर्शनों के दबाव में ही निवर्तमान राष्ट्रपति पिनेरा ने संविधान को बदलने के लिए जनमत संग्रह कराने को रजामंदी दे दी। मौजूदा संविधान पिनोशे के तानाशाही के दौर से उपजा था। फिर पिछले साल यानी 2020 में चिली के लोगों ने भारी बहुमत से नया संविधान तैयार किए जाने के पक्ष में मत दे दिया। अब उसकी प्रक्रिया चल रही है और अगले साल के मध्य में किसी समय एक और जनमत संग्रह के जरिये नए संविधान को स्वीकार किए जाने की कवायद होगी।

दो साल पहले के विरोध प्रदर्शनों से उपजी लहर पर ही प्रगतिशील वाम ने चिली को नई राजनीतिक दिशा देनी शुरू की। बोरिक के प्रस्तावों में एक समावेशी सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था खड़ी करना, छात्रों के कर्जों को माफ करना, अति-संपन्न तबके के लिए करों में वृद्धि करना और देश की निजी पेंशन प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव करना शामिल है। यह पेंशन प्रणाली भी पिनोशे की सैन्य व्यवस्था की ही परिणति थी।

जाहिर था कि राष्ट्रपति पद के दोनों दावेदारों की भविष्य की परिकल्पना एक-दूसरे से एकदम उलट थी। अब लोगों को अपना भविष्य चुनना था, जो रविवार के नतीजों से साफ हो गया है। मजेदार बात यह भी है कि दोनों ही उम्मीदवार उस मध्यमार्गी राजनीतिक धारा से बाहर के थे जो 1990 में पिनोशे की सैन्य तानाशाही का अंत होने और लोकतंत्र के बहाल होने के बाद से देश पर शासन कर रही थी। यही कारण था कि दोनों ने ही अपनी-अपनी धुर स्थिति को थोड़ा लचीला दिखाने की कोशिश की थी ताकि वे मध्यमार्गी मतदाताओं के वोट हासिल कर सकें।

बोरिक ने शनिवार को एक खुला पत्र देश के नाम जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार वे सारे बदलाव लेकर आएगी जिनके लिए चिली के लोगों ने 2019 में आंदोलन किया था।

बोरिक ने आगे कहा, इसका मतलब होगा एक ऐसी वास्तविक सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था लागू करना जो किसी भी व्यक्ति को अपने दायरे से बाहर न छोड़े। इससे अमीरों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं और गरीबों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच जो अंतर है, वह खत्म किया जाएगा। साथ ही महिलाओं के लिए आजादी व अधिकार भी बिना किसी हिचक के आगे बढ़ाए जाएंगे।

बोरिक ने रविवार को निवर्तमान राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा को एक कॉल में कहा कि मैं चिली के सभी नागरिकों का राष्ट्रपति बनूंगा।

वाम समर्थकों का कहना है कि अब पिनोशे के दौर में लागू किया गया देश का वह आर्थिक मॉडल बदलेगा जो आर्थिक विकास दर तो अच्छी हासिल कर लेता है लेकिन अमीरों व गरीबों के बीच की खाई को उतनी ही चौड़ी भी कर देता है। अब छोटे से लेकिन संपन्न तबके को फायदा पहुंचाने वाले अंधेरे व शोषक दौर का अध्याय बंद किया जा सकेगा।

यह हैरानी की बात नहीं कि रविवार को नतीजों के बाद सैंटियागो में जश्न मनाने वालों में अपने इंद्रधनुषी रंगों के साथ एलजीबीटी समूहों के लोग बड़ी संख्या में थे। यह दुनियाभर में देखा गया है कि वाम धारा को अपने इसी समावेशी स्वरूप के लिए विविध समूहों के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। बोरिक को भी समावेशी सामाजिक नीतियों और बाजारोन्मुखी आर्थिक मॉडल को बदलने के वादे के लिए इन समूहों का तगड़ा समर्थन मिला।

हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद भी बोरिक के लिए आगे का रास्ता इतना आसान नहीं रहने वाला है। कांग्रेस में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं है। इसलिए बोरिक के सामने विपक्ष को साथ लेकर चलने की चुनौती भी रहने वाली है। उन्हें दृढ़ छवि के साथ अनिश्चिचतता के दौर को खत्म करना होगा। जाहिर है कि उनके शुरुआती फैसलों और उनके सलाहकारों- सब पर दुनियाभर की निगाह रहेगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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