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2019 के चुनाव से पूर्व किसानों ने कहा “नरेंद्र मोदी किसान विरोधी”

‘दिल्ली चलो’ के नारे के साथ ‘किसान मुक्ति मार्च’ के लिए देशभर के किसान 29 और 30 नवंबर को दिल्ली आए। किसान संसद तक मार्च करने वाले थे परन्तु पुलिस प्रशासन ने उन्हें संसद मार्ग पर ही रोक दिया ।
AIKS

‘दिल्ली चलो’ के नारे के साथ ‘किसान मुक्ति मार्च’ के लिए देशभर के किसान 29 और 30 नवंबर को दिल्ली आए। किसान संसद तक मार्च करने वाले थे परन्तु पुलिस प्रशासन ने उन्हें संसद मार्ग पर ही रोक दिया । किसानों ने अपनी सभा संसद मार्ग पर ही आयोजित की जिसमें देशभर के किसान शामिल हुए । किसानों ने इसे “किसान संसद” का नाम दिया। किसानों का कहना था कि किसानों के मुद्दों को नजरंदाज़ कर जहां भाजपा बनारस  और अयोध्या में  धर्म संसद चला रही है इसलिए किसानों का दिल्ली में किसान संसद का आयोजन करना पद रहा है । किसान मुख्य तौर पर संसद में कृषि संकट पर चर्चा, कर्ज़ माफ़ी  और न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांगों को लेकर दिल्ली आए थे |

किसानों ने आज सुबह  दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक मार्च किया जिसके द्वारा  वो दिल्ली के हुक्मरानों तक अपनी आवाज पहुँचाना चाहते थे। किसानों ने कहा अगर संसद मध्यरात्रि को देश में जीएसटी को लागू करने के लिए खुल सकता है तो देश कि 70 % आबादी जो भयानक कृषि संकट से जूझ रही है उनके लिए एक विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है जिसमें सिर्फ किसानों के मुद्दों पर चर्चा हो  | 

किसानों ने आज इस प्रदर्शन से केंद्र की मोदी सरकार को आगाह किया कि वो अपने पूंजीपति मित्रों के लाभ के लिए देश के लाखों किसानों को बर्बाद करना बंद करे, यह वही किसान है जिन्होंने आपको प्रधानमंत्री बनाया है । 

आज देश कि लगभग 70 % आबादी खेती करती है इसमें खेतिहर मजदूर महिला किसान भी शामिल हैं । यदि यह सभी मिलकर  2014 में भाजपा कि सरकार बना सकती है तो 2019 में उन्हें गद्दी से हटा भी सकती है |

2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार में भाजपा ने देश भर के किसानों से वाद किया था कि वो देश के सभी किसानों के कर्ज़ माफी के साथ उन्हें लागत का डेढ़ गुना दाम देगी; परंतु किसानों का कहना है कि सरकार आज जो दम दे रही है उससे उनकी लागत भी पूर्ति नहीं हो रही है । इसी कारण किसान किसानी छोड़कर दिहाड़ी मजदूर बनने को मजबूर हुए हैं |

रैली को संबोधित करते हुए सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने मोदी सरकार के इन्ही  वादों कि पोल खोलते हुए कहा कि मोदी सरकार के आने से पहले देश में कृषि वृद्धि दर 5.2 फीसदी थी जो मोदी जी कि किसान विरोधी नीतियों के कारण आधी हो गई है |

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि भाजपा ने जिस तरह से देश के किसानों को ठगा है उसके खिलाफ आज देशभर के किसानों में बहुत गुस्सा है, उसी का नतीजा है कि लाखों की संख्या में किसान इस सरकार के विरोध में सड़कों पर हैं । किसानों की यही नाराज़गी भाजपा की हार का कारण बनेगी | 1991 में लायी गयी नव उदारवादी नीतियों के बाद से करीब 4 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं, हर रोज़ लगभग 52 किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं।

ये किसान आंदोलन इसलिए भी ऐतिहासिक रहा क्योंकि देशभर के तमाम किसान संगठन, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, अलग-अलग विचारधारा होने के बावजूद भी तमाम मतभेदों के बाद भी सभी किसान अपनी मांगों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ एक बैनर के नीचे एकत्रित हुए और मोदी सरकार को चेताया कि किसानों को धर्म जाति में बांटना बंद करें और उनकी मांगों पर ध्यान दें |

किसानों की मांगो को देशभर के 22 राजनीतिक दलों ने अपना समर्थन दिया इसमें मुख्यतः सीपीएम सहित तमाम वामपंथी  दल ,एनसीपी , टीडीपी ,आम आदमी पार्टी व कांग्रेस सम्मिलित हैं | इसके अलावा तमाम विपक्षी पार्टी के नेता इस रैली में शामिल हुए और संसद मार्ग पर किसानों को संबोधित किया | देश की विपक्षी पार्टियों के तमाम नेता जिनमें फारुक अब्दुल्ला ,राहुल गाँधी, अरविन्द केजरीवाल शामिल रहे | सभी  ने किसानों को आश्वासन दिया कि वो किसानों के सभी मुद्दों को राजनीति के केंद्र में रखेंगे और सदा किसानों के संघर्ष के साथ हैं |

लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा आज किसान यहाँ पर बिना कपड़ों के खड़े जरुर हैं , परन्तु असलियत यह है कि किसानों ने  इस सरकार को नंगा कर दिया है  । इस आन्दोलन कि यही हकीकत है | किसान नरेंद्र मोदी सरकार को चेतवानी देने आए कि किसान विरोधी नीतियों को लागू करना बंद करें | देश की आज़ादी के बाद पहली बार किसान इस तरह एक साथ एक मंच पर एकत्रित हुए है |  अगले साल किसान ही तय करेंगे कि लालकिला से कौन भाषण देगा |

किसानों का दिल्ली चलो और किसानों का मुक्ति मार्च, मुंबई के किसानों द्वारा इसी साल किए लॉन्ग मार्च से प्रभवित था | आज की रैली में किसानों ने अपना एक घोषणा पत्र भी जारी  किया और कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देगी तो हम इससे भी बड़ा आन्दोलन करेंगे |

 

 

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