दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता चिंताजनक, नहीं मिल रही प्रदूषण से राहत
नयी दिल्ली: दिल्ली के कई हिस्सों में बृहस्पतिवार, दो नवंबर को हवा की गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई और शहर में लगातार तीसरे दिन भी धुंध छाई रही।
पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी और प्रतिकूल मौसम के बीच, वैज्ञानिकों ने अगले दो सप्ताह के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की चेतावनी दी है। यह चिंताजनक इसीलिए है क्योंकि कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक पहले ही 400 से अधिक है।
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा तथा फेफड़ों से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं।
सुबह 10 बजे शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 351 दर्ज किया गया। बुधवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 था।
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता लगातार छठे दिन भी 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी रही, क्योंकि गुरुवार सुबह समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (#AQI) 343 तक पहुंच गया। #AirPollution #DelhiAirQuality pic.twitter.com/fE8w5NLRbG
— IANS Hindi (@IANSKhabar) November 2, 2023
शहर के कई इलाकों जैसे पंजाबी बाग (416), बवाना (401), मुंडका (420) और आनंद विहार (413) में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई।
इन स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से छह से सात गुना अधिक रही।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा था कि सरकार उन क्षेत्रों में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाएगी, जहां लगातार पांच दिनों तक एक्यूआई 400 अंक से अधिक दर्ज किया गया।
#WATCH | Overall Air Quality Index (AQI) in Delhi stands at 343, in the 'Very Poor' category as per SAFAR-India.
(Visuals from India Gate) pic.twitter.com/sqMCDUOnZr
— ANI (@ANI) November 2, 2023
सरकार ने वाहन प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ की शुरुआत की है और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने और वाहन प्रदूषण कम करने के लिए 1,000 निजी सीएनजी बसें किराए पर लेने की योजना बनाई है।
पड़ोसी गाजियाबाद में एक्यूआई 230, फरीदाबाद में 324, गुरुग्राम में 230, नोएडा में 295 और ग्रेटर नोएडा में 344 रहा।
एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, क्योंकि इस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं।
पंजाब सरकार का लक्ष्य, इस साल सर्दियों में पराली जलाने के मामलों में 50 प्रतिशत तक कमी लाना है और छह जिलों में इन मामलों को पूरी तरह खत्म करना है, जिनमें होशियारपुर, मलेरकोटला, पठानकोट, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली) और एसबीएस नगर शामिल हैं।
पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए राज्य की कार्य योजना के अनुसार, राज्य में लगभग 31 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। इससे धान का लगभग 1.6 करोड़ टन भूसा उत्पन्न होने की उम्मीद है।
हरियाणा का अनुमान है कि राज्य में लगभग 14.82 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है। इससे 73 लाख टन से अधिक धान का भूसा उत्पन्न होने की उम्मीद है। राज्य इस वर्ष पराली जलाने के मामलों को पूरी तरह रोकने का प्रयास कर रहा है।
पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 15 प्रतिशत) और पराली जलाने (सात प्रतिशत से 15 प्रतिशत) का सबसे ज्यादा योगदान है।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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