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फ़ेसबुक-रिलायंस समझौते के पहले अंबानी परिवार में हुआ था शेयरों का फेरबदल

हाल ही में रिलायंस जियो में दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फ़ेसबुक ने 43,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके ठीक पहले मुकेश अंबानी और उनके परिवार के लोगों ने शेयरों में अपनी हिस्सेदारी में फेरबदल किए थे। इससे कुछ फ़ायदा हो सकता है, अंबानी की तरफ से उनके वकील ने प्रतिक्रिया में कहा है कि चूंकि यह लेन-देन ''एक परिवार और उसकी एंटिटी के बीच हुआ था, इसलिए कोई फ़ायदा या नुकसान इसमें नहीं हो सकता।''
अंबानी

अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी फ़ेसबुक ने रिलायंस समूह की टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी- जियो में 9.99 फ़ीसदी शेयर्स खरीदने के लिए 5.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (क़रीब 43,574 करोड़ रुपये) का निवेश किया है। यह घटनाक्रम देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कॉरपोरेट संस्था 'रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड (RIL)' के शेयरहोल्डर्स में अंबानी परिवार के भीतर हुए बदलावों के तुरंत बाद हुआ। बता दें रिलायंस जियो, रिलायंस समूह की प्रतिनिधि कंपनी RIL की सहायक कंपनी है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की वेबसाइट में ब्लॉक ट्रांज़ेक्शन पर उपलब्ध आंकड़ों और सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध 'रेगुलेटरी फिलिंग (नियामक खानापूर्ति)' के ज़रिए हमने पता लगाया कि पिछले वित्त वर्ष के आखिरी दिन (31 मार्च) RIL के प्रायोजकों की हिस्सेदारी में बदलाव हुआ है। यह सब 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लॉकडॉउन की घोषणा के बाद किया गया। 

25 मार्च और 27 मार्च को हुए दो लेन-देन में RIL प्रायोजक समूह की सबसे बड़ी हिस्सेदार कंपनी 'देवर्षि कमर्शियल्स LLP (लिमिटेड लॉयबिल्टी पार्टनरशिप)' की हिस्सेदारी 11.21 फ़ीसदी से घटाकर 8.01 फीसदी कर दी गई। इसके लिए कंपनी के 20.26 करोड़ शेयर्स ओपन मार्केट में बेचे गए। प्रायोजक समूह की दो दूसरी कंपनियां, 'तत्तवम एंटरप्राइज़ LLP' और 'समरजीत एंटरप्राइज़ LLP' ने बहुत बड़ी मात्रा में देवर्षि कमर्शियल्स के (करीब़ 19.28 करोड़) शेयर्स खरीदे हैं।

यह तीनों LLP कंपनियां RIL के ''प्रायोजक समूह'' का हिस्सा हैं। औद्योगिक मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर देवर्षि औऱ तत्तवम एंटरप्राइज़ के बारे में जानकारी दी गई है। दोनों कंपनियों में नीता अंबानी और आकाश अंबानी के साथ-साथ उनके परिवार के करीबी प्रियेन जयंतीलाल शाह के निदेशक हैं। समरजीत एंटरप्राइज़ में प्रियेन शाह और संजीव मोरेश्वर दांडेकर को निदेशक बताया गया है। तीनों कंपनियों का मुंबई के नरीमन प्वाइंट पर एक ही ऑफिस का पता दिया गया है। यहां ट्रांजेक्शन की घोषणा शाह ने की है, जो BSE और NSE प्रायोजक समूह द्वारा या उसकी जगह पर किए गए लेन-देन के 'नियामक हस्ताक्षरकर्ता (रेगुलेटरी सिग्नेटरी)' हैं।

देवर्षि कमर्शियल्स द्वारा बेचे गए शेयरों में 98.17 लाख शेयरों को मुकेश अंबानी के परिवार के पांच सदस्यों (उनकी पत्नी नीता अंबानी, बच्चे- आकाश, ईशा और अनंत) में बांट दिया गया। इन नई खरीददारियों के बाद RIL में परिवार के हर एक सदस्य की हिस्सेदारी 75 लाख शेयरों की हो गई है।

जब यह लेन-देन किए जा रहे थे, तब बहुत सारी चीजें दर्ज नहीं की गईं, केवल बाज़ार के लेन-देन पर करीब़ से नज़र रखने वालों को ही इसकी जानकारी थी। RIL समूह ने रेगुलेटरी फिलिंग में साफ किया है कि ''प्रोमोटर्स ग्रुप की कुल शेयरहोल्डिंग में कोई फर्क नहीं आया है।'' 

NSE में फिलिंग भरने की घोषणा के एक दिन बाद RIL के शेयरों की कीमत में 20 मार्च को 11 फ़ीसदी का उछाल आया था। इस शेयर ट्रांसफर के बाद अगला बड़ा फायदा 22 अप्रैल को फ़ेसबुक के साथ समझौते में हुआ। उस दिन कंपनी के शेयर की कीमत 950 रुपये से 1,100 रुपये के बीच रही। समझौते के दिन जब बाज़ार बंद हुआ, तो RIL का स्टॉक प्राइस ऊंची उछाल के साथ 1,359 रुपये की कीमत पर पहुंच चुका था। लेखकों को प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक़, फ़ेसबुक के साथ हुए समझौते के पहले, केवल स्वामित्व बदलावों से ही अंबानी परिवार को 292 करोड़ रुपये का फायदा हो गया। 

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फ़ेसबुक-जियो समझौता

एक वित्तीय विश्लेषक ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर हमसे बात करते हुए बताया कि यह वित्तवर्ष खत्म होने के पहले, RIL प्रोमोटर्स, समूह की कंपनियों के सामने इन लेन-देन की व्याख्या की जा सकती है। विश्लेषक ने बताया कि बड़े कारोबारी समूहों में इस तरह के बदलाव होते रहते हैं, जिनका मुख्य लक्ष्य कर को योजनागत् करना होता है।

विश्लेषक ने कहा,''शेयर्स की उठा-पटक का उद्देश्य कुछ कंपनियों में पूंजी घाटे या कुछ दूसरी कंपनियों में पूंजी-फायदे को दिखाना होता है। या इसके ज़रिए प्रोमोटर्स ग्रुप की फ्लैगशिप एंटिटी (प्रतिनिधित्व कंपनी/संस्था) की 'कुल शेयरहोल्डिंग' में बिना बदलाव किए प्रोमोटर्स-डॉयरेक्टर्स की 'कर योग्य आय' को कम बताना हो सकता है।'' ऐसी गतिविधियां अकसर 'वास्तिविक फायदे को दिखाने के बजाए 'नुकसान जताने' के लिए की जाती हैं। ताकि कर की देनदारी से बचा जा सके।

24 अप्रैल 2020 को सुबह 10:16 बजे लेख के एक लेखक (परांजॉय) ने सवालों की एक सूची ई-मेल के ज़रिए मुकेश अंबानी को भेजी, जिसमें कुछ गणना भी की गई थी। (इन गणनाओं का एक नया प्रकार इस लेख में शामिल किया गया है।) उसी दिन 11:46 मिनट पर वही सवालों की सूची रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड में कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन के वाइस-प्रेसिडेंट तुषार पानिया को बढ़ा दी गई।  

24 अप्रैल, 2020 में शाम 7:57 बजे परांजॉय को मुंबई के फोर्ट एरिया में स्थित ''ए एस दयाल एंड एसोसिएट्स, एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स'' के अतुल दयाल का ई-मेल मिला। यहां दयाल का ख़त ज्यों का त्यों पेश किया जा रहा है।

प्रिय,

श्री ठाकुरता

आपने RIL में अंबानी परिवार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनियों और इसके सदस्यों के बीच हुई  शेयर्स की ट्रेडिंग पर सवाल उठाते हुए हमारे मुवक्किल श्री मुकेश अंबानी, प्रबंधक निदेशक और चेयरमैन, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को संदेश भेजा था, उन्होंने हमें उसका जवाब देने के लिए अधिकृत किया है।

अपने संदेश में आपने परिवार के सदस्यों और उनके पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनियों के बीच हुए एक लेन-देन के पर कलंक लगाने की कोशिश की है।

किसी भी तरह के गलत क्रियाकलाप का लांछन लगाना या कहना कि उस क्रियाकलाप से बड़ा फायदा हुआ है, जैसा आपकी गणना में बताया गया है, वह बड़े पैमाने पर त्रुटिपूर्ण और पाठकों को भ्रम में डालकर बहकाने की मंशा भरा काम है।

संक्षिप्त में सच्चे और सही तथ्य नीचे बताए गए हैं: 

सवाल में जिस लेन-देन का जिक्र हुआ है, वह ''परिवार और इसकी संस्थाओं के भीतर हुआ ट्रांसफर है'' मतलब यह प्रोमोटर्स के परिवार और उनके 100 फ़ीसदी स्वामित्व वाली संस्थाओं में हुआ था।''

देवर्षि कमर्शियल LLP, तत्तवम एंटरप्राइज़ LLP, समरजीत एंटरप्राइज़ LLP पूरी तरह परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियां हैं।

एक परिवार को अपने ही भीतर शेयर्स के हस्तांतरण में किसी भी तरह का ''फायदा'' या ''नुकसान'' नहीं हो सकता।

यहां देवर्षि कमर्शियल LLP ने 20,26,33,414 शेयर बेचे थे और इन्हें परिवार के सदस्यों तत्तवम और समरजीत ने खरीदा था।

एक्सेल सीट में गलत दिखाई गई चीजें इस तरह हैं (i) देवर्षि ने इन 20,26,33,414 शेयरों को किसी तीसरे पक्ष से खरीदा। (ii) दूसरी कंपनियों और लोगों ने 20,26,33,414 शेयर भी किसी तीसरे पक्ष से खरीदे। 'देवर्षि द्वारा शेयर्स की बिक्री' को गलत तरीके से 'देवर्षि की खरीद' बताया गया। 22/04/2020 की कीमतों की तुलना की गई और दिखाया गया कि 14,741 करोड़ रुपये बनाये गए।

'लेन-देन' परिवार के सदस्यों और संस्थाओं के बीच हुए हैं, जिनका पूरा स्वामित्व उनके हाथों में हैं, अगर इन्हें एक्सेल शीट में ठीक तरीके से दिखाया जाता, मतलब देवर्षि के शेयरों और इनकी कीमतों के पहले '(-) घटाना' अंकित किया जाता, तो नतीज़ा शून्य रहता।

जब एक परिवार के लोगों में आपस में शेयर्स का ट्रांसफर होता है, मतलब एक पारिवारिक संस्था से उसी परिवार की कोई संस्था या व्यक्ति के पक्ष में लेन-देन होता है तो कोई भी फायदा या नुकसान नहीं होता। 

हमारे मुवक्किल को भरोसा है कि आप लेन-देन की प्रवृत्तियों के बारे में इन तथ्यों को ध्यान रखेंगे और किसी तरह की झूठी या बरगलाने वाली रिपोर्टिंग नहीं करेंगे।

अतुल दयाल, AS दयाल एंड एसोसिएट्स

15-B, बुरजोर्जी भरूच मार्ग, फोर्ट मुंबई- 400023

यह है परंजॉय गुहा ठाकुरता का जवाब:

A S दयाल एंड एसोसिएट्स के अतुल दयाल ने जैसा कहा है, उसके उलट मेरे संदेश में श्री मुकेश धीरूभाई अंबानी पर किसी भी तरह के गलत क्रियाकलापों के आरोप नहीं लगाए गए। वह  भलमनसाहत में पूछे गए सवाल थे, जिनका एक ही लक्ष्य और उद्देश्य किसी जानकारी को प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की जांच करना था। हमें जो जानकारी मिली है, हमने उसे श्री अंबानी और RIL कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन के शीर्ष अधिकारियों तक पहुंचा दिया है, ताकि हम उस जानकारी की सत्यता के बारे में जान सकें।

जैसा ऊपर प्रकाशित लेख के पाठकों के सामने है, श्री दयाल और हमारे द्वारा प्रकाशित जानकारी के बीच कोई भी तथ्यात्मक विरोधाभास नहीं है। एक ज़िम्मेदार पत्रकार के तौर पर हमने RIL और इसके प्रायोजकों का नज़रिया जानने के लिए उनके पास कई फोन किए और ई-मेल भेजे, इसमें अंबानी परिवार के सदस्य भी शामिल हैं, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि हम अपने ''पाठकों'' को भ्रमित नहीं करते, ना ही ''गलत'' जानकारी को प्रकाशित करते हैं।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

Ambani Family Reshuffled Shares in Reliance Industries Before Facebook Deal

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