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एंटी-रेडिकलाइज़ेशन सेल और यूनिफॉर्म सिविल कोड: बीजेपी ने गुजरात चुनाव से पहले ध्रुवीकरण का सहारा लिया

विरोध प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से भाजपा ने दंगों, हिंसक विरोध प्रदर्शनों, अशांति आदि के दौरान "असामाजिक" तत्वों द्वारा सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को किए गए नुक़सान की वसूली के लिए गुजरात सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुक़सान की वसूली अधिनियम को लागू करने की योजना बनाई है।
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फ़ोटो साभार: ट्विटर

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अपने ही राज्य में भारी सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे मतदान का दिन नज़दीक आ रहा है वैसे-वैसे गुजरात को सांप्रदायिकता में तब्दील करने की पुरज़ोर कोशिश कर रही है।

चूंकि मतदाता भगवा पार्टी को उच्च मुद्रास्फीति, डॉलर के मुक़ाबले रुपये की गिरावट, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और अन्य स्थानीय मुद्दों के अलावा बढ़ती बेरोज़गारी के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, इसलिए भगवा पार्टी ने सबसे पहले आफ़ताब-श्रद्धा मामले को दिल्ली से गुजरात खींच लाया है। इसके बाद इसने पाकिस्तान, राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के मुद्दे को उठाया और अब यह "एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल" बनाने के प्रस्ताव और गुजरात समान नागरिक संहिता (यूसीसी) समिति की सिफारिशों के "पूर्ण कार्यान्वयन" का वादा कर रही है।

हर मुमकिन कोशिश करते हुए पार्टी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे अपने सभी हिंदुत्व कट्टर चेहरे को चुनाव प्रचार में अपने "स्टार प्रचारकों" के रूप में तैनात किया है।

भाजपा ने 27 नवंबर को गांधीनगर में पार्टी के राज्य मुख्यालय में जारी किए गए अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि, “हम आतंकवादी संगठनों और भारत-विरोधी ताक़तों के संभावित ख़तरों और स्लीपर सेल की पहचान करने और उन्हें ख़त्म करने के लिए एक एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल बनाएंगे।”

गुजरात को सार्वभौमिक लोकतांत्रिक अधिकारों को महत्व देने वाले राज्य के रूप में प्रचारित करने के बजाय एक तथाकथित जातीय राज्य में बदलने की बात करते हुए इसने आगे कहा है, "हम गुजरात समान नागरिक संहिता समिति की सिफारिशों का पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करेंगे।"

भारत के लिए एक क़ानून बनाने की बात करने वाले यूसीसी को लागू करने पर विचार करते हुए गुजरात कैबिनेट ने अक्टूबर में उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति के गठन को मंज़ूरी दे दी।

इससे पहले, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकारों ने अपने राज्यों में यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी।

विरोध प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से भाजपा ने दंगों, हिंसक विरोध प्रदर्शनों, अशांति, आदि के दौरान "असामाजिक" तत्वों द्वारा सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को किए गए नुक़सान की वसूली के लिए गुजरात सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान की वसूली अधिनियम को लागू करने की योजना बनाई है।

अब जबकि विकास की बात मतदाताओं को आश्वस्त नहीं कर पा रही है ऐसे में पार्टी अपने "विकास" के नारे से हटकर वह अपने आज़माए हुए ध्रुवीकरण के पिच पर चलना शुरू कर दी है। इस कड़ी में अमित शाह ने कहा कि दंगाइयों को "2002 में एक सबक़ सिखाया गया था"।

शाह ने 25 नवंबर को खेड़ा ज़िले के महुधा क़स्बे में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, “कांग्रेस शासन के दौरान (1995 से पहले) गुजरात में सांप्रदायिक दंगे बड़े पैमाने पर हुए थे। कांग्रेस ऐसे दंगों से अपना वोट बैंक मज़बूत करती थी। 2002 में राज्य में दंगे हुए क्योंकि अपराधियों को कांग्रेस से लंबे समय तक समर्थन मिलने के कारण हिंसा में लिप्त होने की आदत हो गई थी। लेकिन उन्हें (2002 में) सबक़ सिखाने के बाद इन तत्वों ने वह रास्ता (हिंसा का) छोड़ दिया और 2002 से आज तक कोई दंगा नहीं हुआ। बीजेपी ने सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करके गुजरात में स्थायी शांति स्थापित की है।

इससे पहले, असम के मुख्यमंत्री ने 22 नवंबर को अमरेली ज़िले के धनसुरा में एक रैली के दौरान 'लव-जिहाद' को रोकने के लिए एक मज़बूत क़ानून की वकालत की थी। इस दौरान उन्होंने लिव-इन पार्टनर आफ़ताब पूनावाला द्वारा कथित रूप से श्रद्धा वाकर की नृशंस हत्या का जिक्र किया था।

उन्होंने कहा था, "आफ़ताब ने श्रद्धा को मार डाला और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए। जब पुलिस ने पूछा कि वह केवल हिंदू लड़कियों को ही क्यों लाता है, तो उसने कहा कि उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे भावुक होती हैं। आफ़ताब-श्रद्धा और भी हैं; इसलिए देश को 'लव जिहाद' के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून की ज़रूरत है।”

लोगों को आगाह करते हुए कहा कि, "अगर आज देश में एक मज़बूत नेता नहीं होते है तो आफ़ताब हर शहर में उभरेगा।" उन्होंने आगे कहा, "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि नरेंद्र मोदी को 2024 में तीसरी बार फिर से पीएम बनाया जाए।"

19 नवंबर को मोरबी में चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाने की बात की। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और अंबाजी मंदिर का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो कोई भी 2014 से पहले इन स्थलों का दौरा कर लिया है, वह तब से हुए बदलावों पर विश्वास नहीं कर पाएगा।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, "कांग्रेस का राज होता तो क्या आज राम मंदिर बनता? नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह ने कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया।”

उन्होंने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य निर्माणाधीन मंदिर के प्रतिद्वंद्वियों को "भगवान राम का विरोधी" भी कहा।

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी सूरत में एक रैली के दौरान लोगों से बीजेपी को वोट देने के लिए पाकिस्तान का नाम लेते हुए नज़र आए।

उन्होंने लोगों से कहा, "पाकिस्तान चाहता है कि भाजपा की हार हो और कांग्रेस गुजरात में सरकार बनाए।" इस दौरान उन्होंने बीजेपी को वोट देने की अपील की और पाकिस्तान को कोई ऐसी वजह न दें जिससे वह ख़ुश हो।

राज्य में 2017 के विधानसभा चुनावों में भी एक फ़र्ज़ी रिपोर्ट फैलाई गई थी कि पाकिस्तानी सेना स्वर्गीय अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।

सांप्रदायिक आधार पर समाज को विभाजित करना हमेशा चुनाव जीतने के लिए भाजपा की रणनीति रही है। वास्तव में, इसका परिणाम बिहार में सफलता के रूप में सामने आया, जहां इसने विज्ञापनों का सहारा लिया, जिसमें कहा गया कि उनके विरोधी बीफ खाते हैं। इसने उत्तर प्रदेश में भी काम किया जहां किसानों के आंदोलन के बावजूद पार्टी सत्ता में लौटी।

"रेवड़ी" पर ढ़ोंग

चूंकि बीजेपी "रेवड़ी" देने के वादे के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता है, ऐसे में इस बीच उसने अपने गुजरात के चुनावी घोषणापत्र में इसकी घोषणा भी की है।

इसने लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से रियायती दरों पर साल में चार बार एक लीटर खाद्य तेल और प्रति माह एक किलोग्राम चना उपलब्ध कराने का वादा किया है।

पार्टी ने यह भी घोषणा की है कि वह ओबीसी/एससी/एसटी/ईडब्ल्यूएस को 50,000 रुपये का एकमुश्त प्रोत्साहन अनुदान प्रदान करेगी जो उच्च शिक्षा के लिए भारत या दुनिया भर में एनआईआरएफ शीर्ष रैंकिंग संस्थान में प्रवेश लेते हैं।

हालांकि, पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों को "रेवड़ी" देने से रोकने के लिए जनवरी में दायर अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से प्रार्थना की है।

राजनीतिक दलों द्वारा रियायतों का वादा करने का विरोध करते हुए भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि चुनाव आयोग ऐसे दलों का पंजीकरण रद्द कर दे।

मूल रूप से अंग्रेज़़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Anti-Radicalisation Cell and UCC: BJP Resorts to Polarisation Ahead of Gujarat Polls

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