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दर्दनाक: औद्योगिक हादसों में एक ही दिन में कम से कम 11 मज़दूरों ने गंवाई जान, कई घायल

सोमवार को दिल्ली के उद्योग नगर, महाराष्ट्र के जालना, उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद, केरल के त्रिशूर और तमिलनाडु के विरुधुनगर में हुए हादसे में कम से कम 11 मज़दूरों की मौत हो गई। जबकि 20 से अधिक मज़दूर घायल हो गए हैं।
दर्दनाक: औद्योगिक हादसों में एक ही दिन में कम से कम 11 मज़दूरों ने गंवाई जान, कई घायल
फाइल फोटो

देश में फैक्ट्रियां मज़दूरों के लिए लगातार ख़तरनाक होती जा रही हैं। आये दिन इन फैक्ट्रियों में हादसों में मज़दूरों की मौत अब आम बात हो गई है। सिर्फ सोमवार 21 जून 2021 को ही देश के अलग-अलग पांच औद्योगिक हादसों में कम से कम 11 मज़दूरों ने अपनी जिंदगियां गँवा दी है।

औद्योगिक फैक्ट्रियों में मजदूरों की सुरक्षा के लिए उपकरण ही नहीं दिए जाते हैं। संसाधनों के अभाव में काम करते समय खतरनाक फैक्ट्रियों के मजदूर हादसों के शिकार होते हैं। इसमें मजदूरों को मौत का भी सामना करना पड़ता है। जबकि बड़ी संख्या में अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं जो मज़दूरों की मौत की वजह बन रहा है। एक सवाल बार-बार पूछा जाना चाहिए कि कब तक और कितने मज़दूरों की मौते होंगी? कब जागेगी सरकार!

सोमवार को दिल्ली के उद्योग नगर, महाराष्ट्र के जालना, उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद, केरल के त्रिशूर और तमिलनाडु के विरुधुनगर में हुए हादसे में कम से कम 11 मज़दूरों की मौत हो गई। जबकि कई मज़दूर घायल हो गए हैं। आइए संक्षेप में इन घटनाओं पर बारी-बारी से नज़र डालते हैं:-

दिल्ली में जूतों के गोदाम में भीषण आग, एक मज़दूर की मौत

पश्चिमी दिल्ली में जूतों के एक गोदाम में सोमवार सुबह भीषण आग लग गई। यहां अभी भी राहत और बचाव अभियान चल रहा है। आशंका है कि कुछ मज़दूर गोदाम के अंदर ही फंसे हो सकते हैं।

पुलिस ने कहा कि उद्योग नगर में स्थित इस दो मंजिला इमारत में तलाश व राहत अभियान चल रहा है। गोदाम में लगी आग बुझाने के लिये दमकल की 35 गाड़ियों और 140 कर्मियों की सेवाएं ली गईं।

पुलिस ने कहा कि शुरू में 10 मज़दूरों के गोदाम के अंदर फंसे होने का संदेह था। शुरुआती चरण में ही उनमें से चार को सुरक्षित बचा लिया गया जबकि दोपहर बाद दो अन्य मज़दूरों को भी निकाल लिया गया। वे मामूली रूप से जल गए थे तथा मौके पर ही उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया।

पुलिस ने कहा कि चार और मजदूरों के अब भी गोदाम के अंदर फंसे होने की आशंका है और लापता लोगों की तलाश के लिय अभियान चलाया जा रहा है।

अधिकारियों ने कहा कि शुरू में पुलिस और अग्निशमन विभाग दोनों को ही एक फैक्ट्री में आग लगने की सूचना मिली थी लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि दो मंजिला इमारत एक गोदाम था जहां जूतों को पैक कर बिक्री के लिये भेजने का काम होता था।

पुलिस के मुताबिक अब तक हादसे में किसी के गंभीर रूप से घायल होने की खबर नहीं है।

पुलिस ने कहा कि गोदाम के मालिक की पहचान पंकज गर्ग के तौर पर हुई है और घटना के संबंध में एक मामला भी दर्ज किया गया है।

दिल्ली अग्निशमन सेवा के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा, “ इलाके के नगर निकाय ने इमारत को खतरनाक घोषित किया है।”

आग लगने की सटीक वजह का अभी पता नहीं चला है लेकिन शॉर्ट सर्किट के कारण आग का संदेह जताया जा रहा है।

अतुल गर्ग ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि सोमवार देर रात उन्हें एक मज़दूर शव मिला है। जिसकी अभी पहचान नहीं हो सकी है।

पुलिस द्वारा कल जो कहा जा रहा था कि छह मज़दूरों को बचाया गया और चार फंसे है। इसपर गर्ग ने जो बताया वो कई गंभीर सवाल उठता है उन्होंने कहा हमने कल किसी को भी रेस्क्यू नहीं किया वो मज़दूर खुद ही कहीं से निकलकर भाग निकले थे।

आज, मंगलवार, 22 जून को दोपहर 12:30 बजे गर्ग ने न्यूज़क्लिक को बताया अभी भी ऑपरेशन जारी है अभी इसमें कई घंटो का समय लग सकता है।

गर्ग ने कहा, “हमें पहली बार में सही जानकारी नहीं दी गई कि यह एक गोदाम है। इतना ही नहीं हमें यह भी नहीं बताया गया कि अंदर मजदूर फंसे हैं। आग बुझाने के अभियान के करीब दो घंटे तक चलने के बाद हमें लोगों के अंदर फंसे होने की जानकारी मिली जब उनमें से कुछ के रिश्तेदार मौके पर पहुंचे और अपने लोगों के बारे में पूछना शुरू किया।”

उन्होंने कहा कि अगर उनके साथ सही सूचना साझा की गई होती हो फंसे हुए लोगों को समय पर बचाया जा सकता था।

तमिलनाडु में पटाखों की अवैध इकाई में विस्फोट, चार की मौत

तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में सत्तूर के निकट पटाखों की एक अवैध इकाई में हुए विस्फोट में पांच साल के एक बच्चे समेत चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में जिस मकान में विस्फोट हुआ उसके मालिक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सत्तूर में वेंबाकोट्टाई पुलिस थानाक्षेत्र के थायिलपट्टी स्थित एक घर में यह धमाका हुआ जहां अवैध पटाखा इकाई का संचालन किया जा रहा था।

पुलिस ने बताया कि निर्मित और गैरनिर्मित पटाखों में घर्षण की वजह से हुए विस्फोट में वहां काम कर रही दो महिलाएं भी मारी गईं। उन्होंने बताया कि बाद में हादसे में घायल एक अन्य व्यक्ति ने भी दम तोड़ दिया।

केरल में खदान में धमाका होने से एक व्यक्ति की मौत, चार घायल

केरल के त्रिशूर जिले में सोमवार को एक खदान में विस्फोट होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि चार अन्य घायल हो गए। इनमें से एक की हालत गंभीर है। जिले के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि तलप्पिल्ली तालुक में मुल्लुरकारा पंचायत में गैर-लाइसेंसशुदा खदान से घटना के बारे में जानकारी मिली।

अधिकारियों ने कहा कि विस्फोट में 45 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई जबकि पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति समेत चार अन्य घायल हो गए।

उन्होंने कहा कि घायलों को त्रिशूर में विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

पुलिस ने कहा कि कुछ समय से खदान में काम नहीं चल रहा था क्योंकि उसका लाइसेंस वापस ले लिया गया था।

उन्होंने कहा कि खदान में रखे विस्फोटक में धमाका होने से घटना हुई। पुलिस ने धमाके की वजह का पता लगाने के लिये जांच शुरू कर दी है।

महाराष्ट्र : फैक्ट्री में हुए विस्फोट में घायल चार श्रमिकों की अस्पताल में मौत

महाराष्ट्र के जालना जिले में सप्ताहांत में एक इस्पात विनिर्माण इकाई में हुए विस्फोट के दौरान घायल हुए चार श्रमिकों की निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि हादसे में घायल हुए सरोज कुमार कबी, अवधेश कुमार पाला, हेमंत कुमार और श्याम सुंदर यादव की रविवार को मौत हो गई।

एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) क्षेत्र में स्थित सपाश्रृंगी स्टील मिल में शनिवार को एक ब्वॉयलर फट गया और गर्म पिघला हुआ लोहा श्रमिकों पर गिर गया। इस घटना में 10 श्रमिक घायल हुए थे। चार श्रमिकों को जालना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जबकि छह अन्य को औरंगाबाद ले जाया गया।

पुलिस ने बताया कि कंपनी के प्रबंधक के खिलाफ कथित लापरवाही के लिए मामला दर्ज किया गया है और इस सिलसिले में जांच की जा रही है।

पटाखों के बाद सिलेंडर में विस्फोट से मकान की छत गिरी, एक की मौत

यूपी के फर्रूखाबाद जिले में एक घर में रखे पटाखों में विस्फोट के बाद रसोई गैस का सिलेंडर फटने से एक मकान ध्वस्त हो गया जिससे एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई तथा दो अन्य जख्मी हो गए।

कायमगंज के पुलिस क्षेत्राधिकारी राजवीर गौर ने सोमवार को बताया कि फर्रुखाबाद-एटा सीमा पर स्थित मेरापुर थाना क्षेत्र के देवसनी गांव में निरंजन लाल के घर में रविवार देर शाम अवैध रूप से पटाखे बनाते समय उनमें विस्फोट हो गया। उसके थोड़ी ही देर बाद घर में रखे रसोई गैस सिलेंडर में भी विस्फोट हो गया।

उन्होंने बताया कि इस घटना में निरंजन के घर में आग लग गई और मकान की छत ढह गई। गौर ने बताया कि अग्निशमन दल ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और मलबे को हटाया जिसमें महेश (30) का शव बरामद किया गया।

उन्होंने बताया कि हादसे में अनुराग (14) और अजीत (13) गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अनुराग, निरंजन का पुत्र है।

इन हादसों के लिए कौन जिम्मेदार?

बार-बार हादसों और चेतावनियों के बाद भी स्थति जस की तस बनी हुई है। मज़दूर संगठनों का कहना है कि पता नहीं सरकार कितने मज़दूरों की मौत का इंतज़ार कर रही है। अधिकतर घटनाओं में खतरनाक फैक्ट्रियों में क्षमता से अधिक उत्पादन की कोशिश की जाती है। लिहाजा मशीनों में ब्लास्ट होता है और मजदूर इसके शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं में एक वजह अवैध फैक्ट्रियां भी है जो बिना किसी सुरक्षा मानदंडों के कार्य कर रही है। उपरोक्त घटनाओं को भी देखे तो यही लगता है। ये फैक्ट्रियां प्रशासन के सांठ गाठ के बिना अनहि चल सकती है, ये बात भी सर्वविदित है।

कारखाना अधिनियम-1948 के तहत मज़दूरों को सेफ्टी उपकरण नि:शुल्क दिया जाना है। उपकरणों का उपयोग एवं सेफ्टी उपकरण की ज़िम्मेदारी फैक्ट्री प्रबंधन की है। लेकिन हमने देश की राजधानी दिल्ली सहित तमाम राज्यों में इसकी अनदेखी होती है। कई मज़दूर बातचीत में कहते हैं कि ड्यूटी के दौरान मजदूरों को न तो उपकरण दिया जाता है और न ही उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। आश्चर्य है कि खतरनाक कारखानों को बिना सेफ्टी अफसर के ही संचालित किया जा रहा है। फिर भी श्रम विभाग इन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई नहीं करता है।

नियमानुसार फैक्ट्री में काम करते समय मजदूर को हेलमेट-दस्ताने, मास्क, जूते देना अनिवार्य होता है। साथ ही काम करने से पहले उन्हें प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। फैक्ट्री में डॉक्टर का होना अनिवार्य है। लेकिन ऐसा सिर्फ़ कनून में लिखा दिखाई देता है बाक़ी ज़मीन पर मज़दूर बिना सुरक्षा के काम करके अपनी जिंदगियां गँवा रहा है। मालिक मुनाफ़े के लिए मज़दूरों की बलि दे रहे हैं

भारत में श्रम कानूनों और सुरक्षा नियमों के कार्यान्वयन का सबसे खराब रिकॉर्ड है। हाल ही में, भारत सरकार ने मौजूदा कानूनों को चार श्रम कोडों में बदलने का फैसला किया हैं। इसको लेकर सभी मज़दूर संगठनो ने विरोध किया यहां तक की सत्ताधारी दल बीजेपी से वैचारिक सहमति रखने वाले मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ (बीएमएस) ने भी इसका विरोध किया हैं। इन सबके बावजूद सरकार वर्तमान श्रम कानूनों को खत्म करने पर तुली हुई है। सरकार अभी श्रम कोडो को कुछ औपचारिकताओं की वजह से रोका है ,लेकिन वो इन्हे जल्द ही लागू करने वाली है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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