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ज्ञानवापी मामले में औरंगज़ेब की एंट्री, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने मस्जिद को बताया वक़्फ़ की संपत्ति

मस्जिद पक्ष ने कहा कि वर्षों पहले औरंगजेब हिंदुस्तान के बादशाह थे। इस संपत्ति पर उनका कब्जा था। वो बादशाह थे, इसलिए सारी संपत्ति बादशाह की होती है। बतौर बादशाह औरंगजेब ने ज्ञानवापी संपत्ति वक्फ में तामील कर दी थी।
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मामले में अब औरंगजेब की एंट्री हो गई है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के कोर्ट में पिछले दो दिनों से लगातार बहस चल रही है। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने लगातार दूसरे दिन वादी महिलाओं की दलीलों पर जवाबी बहस की। कमेटी के अधिवक्ता शमीम अहमद ने फिर दोहराया कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है। ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड को है। 24 अगस्त की सुबह 11.30 बजे से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अपनी जवाबी बहस जारी रखेंगे। इसके बाद हिंदू पक्ष अपना प्रति उत्तर दाखिल करेगा।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई सुनवाई की चर्चा में दूसरे दिन भी मुगल बादशाह औरंगजेब केंद्र में रहे। मस्जिद पक्ष ने कहा कि वर्षों पहले औरंगजेब हिंदुस्तान के बादशाह थे। इस संपत्ति पर उनका कब्जा था। वो बादशाह थे, इसलिए सारी संपत्ति बादशाह की होती है। बतौर बादशाह औरंगजेब ने ज्ञानवापी संपत्ति वक्फ में तामील कर दी थी। अधिवक्ता ने यह भी दावा किया कि औरंगजेब क्रूर शासक नहीं थे। वह ईमानदार और वतनपरस्त शासक थे। इस शासक के बारे में भ्रामक और अविश्वसनीय बातें फैलाई गई थीं।

मस्जिद पक्ष ने दूसरे दिन भी अपने प्रतिउत्तर में 1012 का एक रेवन्यू रिकॉर्ड को पढ़ा। वक्फ एक्ट 1995 का भी हवाला देते हुए कहा कि यह मुकदमा सिविल कोर्ट में नहीं, बल्कि शरीया कानून के तहत वक्फ ट्रिब्यूनल में इसकी सुनवाई होनी चाहिए। वादी महिलाओं के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने 22 अगस्त की अपनी बात फिर दोहराई है। जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था, जिसे औरंगजेब ने अधिग्रहीत किया था। औरंगजेब भारत का शासक था। हम ज्ञानवापी मामले में वक्फ संपत्ति की धोखाधड़ी का पर्दाफाश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि जब विवाद मुस्लिम और हिंदू पक्ष के बीच हो तो उस पर शरीयत कानून लागू नहीं होता। उसका निस्तारण सिविल कोर्ट के तहत होता है।

जिला जज की अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता को आदेश दिया कि अपने प्रतिउत्तर में जिस भी एक्ट और रेवन्यू रिकॉर्ड का जिक्र कर रहे हैं, उसकी कॉपी कापी मंदिर पक्ष को दी जाए, ताकि वो इसका जवाब बना सकें। इस मामले में मंगलवार को तल्ख बहस अदालत के बाहर तक सुनी गई।

ज्ञानवापी केस में 18 अगस्त मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया था कि उनके दिवंगत अधिवक्ता अभय नाथ यादव की जगह अब मुकदमें की पैरवी एडवोकेट योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू और शमीम अहमद करेंगे। दोनों एडवोकेट को मुकदमें को समझने और तैयारी के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए। इस पर अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 22 अगस्त निर्धारित की थी। कोर्ट ने कहा था कि अब इससे ज्यादा समय तैयारी के लिए नहीं दिया जाएगा। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की जा रही है। कोर्ट का करना है कि अब इस मामले में ज्यादा विलंब नहीं किया जा सकता है। पिछले दिनों कोर्ट ने मसाजिद कमेटी पर लेट-लतीफी के लिए 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

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