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शक्तियों का उल्लंघन कर भाजपा द्वारा नियुक्त राज्यपाल लोकतंत्र को कुचल रहे हैं: चिदंबरम

‘‘वास्तव में, जब कोई राज्यपाल बिना किसी वैध कारण के सहमति नहीं देता है, तो इसका मतलब है कि 'संसदीय लोकतंत्र' मर चुका है।”
Chidambaram
फ़ोटो साभार: PTI

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि पर उनकी उस टिप्पणी के लिए निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को रोकना उनके विवेक पर निर्भर करता है। साथ ही चिदंबरम ने यह आरोप भी लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा नियुक्त राज्यपाल अपनी शक्तियों का उल्लंघन कर ‘लोकतंत्र को कुचल रहे हैं’।

चेन्नई के राजभवन में ‘थिंक टू डेयर’ कार्यक्रम की श्रृंखला के तहत प्रशासनिक सेवा के अभ्यर्थियों के साथ बातचीत के दौरान, रवि ने राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए विधानसभा से पारित विधेयकों को उनके पास भेजने पर टिप्पणी की थी और कहा था कि ‘‘राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं: सहमति दें, रोक दें - जिसका अर्थ है कि विधेयक ख़त्म हो चुका है - जिसे उच्चतम न्यायालय और संविधान अस्वीकार करने के लिए सभ्य भाषा के रूप में उपयोग करते हैं। और तीसरा यह कि, विधेयक को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करें।’’

रवि ने कहा था कि यह राज्यपाल का विवेकाधिकार है।

चिदंबरम ने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को मंज़ूरी नहीं देने को ‘विचित्र और अजीबोगरीब' परिभाषा दी है और कहा है कि इसका मतलब है कि ‘विधेयक ख़त्म हो चुका है’।

राज्यपाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘‘वास्तव में, जब कोई राज्यपाल बिना किसी वैध कारण के सहमति नहीं देता है, तो इसका मतलब है कि ‘संसदीय लोकतंत्र मर चुका है’। राज्यपाल विधेयक को मंज़ूरी देने या रोकने या वापस करने के लिए बाध्य है। अगर विधेयक फिर से पारित हो जाता है, तो राज्यपाल सहमति देने के लिए बाध्य है।’’

उन्होंने कहा कि राज्यपाल केवल एक संवैधानिक पदाधिकारी है और प्रतीकात्मक प्रमुख है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की शक्तियां मुख्यत: प्रतिबंधित हैं और अधिकांश मामलों में उनके पास कोई शक्तियां नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एक राज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर काम करने के लिए बाध्य है। अपनी शक्तियों का उल्लंघन कर भाजपा द्वारा नियुक्त राज्यपाल लोकतंत्र को कुचल रहे हैं।’’

रवि की टिप्पणी की तमिलनाडु में द्रमुक नीत सरकार ने भी आलोचना की है और कहा है कि मंज़ूरी में अनावश्यक देरी करना राज्यपाल की ओर से कर्तव्य में लापरवाही है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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