बघेल का पीएम को पत्र : ओबीसी के लिए अलग ‘कोड’ निर्धारित करते हुए राष्ट्रीय जनगणना करवाने का अनुरोध

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए पृथक से ‘कोड’ निर्धारित करते हुए राष्ट्रीय जनगणना करवाने का अनुरोध किया है। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने साथ स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) का मुख्यालय हैदराबाद से स्थानान्तरित कर जगदलपुर करने का भी आग्रह किया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (#BhupeshBaghel) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए अलग से कोड निर्धारित करते हुए राष्ट्रीय जनगणना करवाने का अनुरोध किया है।
उन्होंने स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए एनएमडीसी का मुख्यालय… pic.twitter.com/9OmtRC11C0— IANS Hindi (@IANSKhabar) August 29, 2023
उन्होंने बताया कि बघेल ने पत्र में कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय पर और विलंब न करते हुए आवश्यक पहल कर अतिशीघ्र सकारात्मक निर्णय लेने का कष्ट करें।
बघेल ने लिखा है, ''मेरे द्वारा अप्रैल 2023 को लिखे पत्र में छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिये जाने तथा इस विषय को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने का आपसे अनुरोध किया गया था। आप सहमत होंगे कि सदियों से सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों से वंचित बड़ी आबादी को संविधान प्रदत्त समानता और सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप आरक्षण का लाभ दिया जाना आवश्यक है।''
बघेल ने मोदी को लिखे पत्र में कहा, ''राज्य विधानसभा द्वारा दिसंबर 2022 में सर्वसम्मति से पारित विधेयक में राज्य में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों तथा ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) के लोगों के लिए क्रमशः 32, 13, 27 और चार प्रतिशत आरक्षण लागू करने का प्रावधान किया गया था। दुर्भाग्य से वह विधेयक अभी तक राजभवन में अनुमोदन के लिए लंबित है।''
उन्होंने लिखा है, ''समाज की बड़ी आबादी को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने से उनके मन में रोष व्याप्त होना स्वाभाविक है। राज्य सरकार के सभी प्रयासों के बाद भी अन्य पिछड़ा वर्गों के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न मिल पाना समझ से परे है।''
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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