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बनारस : घरेलू हिंसा और भेदभाव के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरीं महिलाएं !

“समाज में बराबरी के लिए औरतों की राजनीतिक भागीदारी ज़रूरी है। घरेलू हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैवानों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। हमें भी अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ख़ुद अपने हाथों में लेनी होगी।”
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में घरेलू महिला हिंसा, लैंगिक भेदभाव और यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं सड़क पर उतरीं। आक्रोशित महिलाओं ने उत्तर प्रदेश में शराब बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग उठाई। महिला चेतना समिति, लोक समिति, दिहाड़ी मज़दूर संगठन और आशा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित महासम्मेलन में आराजीलाइन और सेवापुरी प्रखंड के करीब 70 गांवों से आईं सैकडों महिलाओं ने तख्ती-बैनर के साथ ढोल-नगाड़ा बजाते हुए राजातालाब बाज़ार से तहसील तक जन-आक्रोश रैली निकाली।

औरतों के हक के लिए आवाज़ उठाने वाली महिलाओं के प्रदर्शन के चलते जीटी रोड जाम हो गया। महिलाओं की हुंकार से पूरा तहसील परिसर गूंजने लगा। आंदोलन-प्रदर्शन में शामिल महिलाएं 'बलात्कारियों को जेल में बंद करो’, 'महिला हिंसा-बंद करो’, 'छेड़खानी पर रोक लगाओ’, 'शराब बेचना बंद करो’, 'बिलकिस बानो व हाथरस की बेटी को न्याय दो' आदि नारे लगा रही थीं। आंदोलनकारी महिलाओं के हाथ में कई तरह की स्लोगन लिखी तख्तियां थीं। नारे लगाती महिलाओं ने राजातालाब बाज़ार का भ्रमण किया। बाद में तहसील पर पहुंचकर शराब बिक्री, महिला हिंसा, बाल विवाह, गैरबराबरी के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की, साथ ही उपजिलाधिकारी को चौदह सूत्री मांग-पत्र सौंपा, जिसमें घरेलू महिला हिंसा पर रोक लगाने की मांग प्रमुखता से उठाई गई है।

आंदोलन-प्रदर्शन के बाद सिंचाई विभाग के डाक बंगला में महिला हिंसा के ख़िलाफ़ महिला महासम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूनम मौर्या जो जिला पंचायत सदस्य हैं, ने किया। इस मौके पर लोक चेतना समिति की निदेशक रंजू सिंह, पूनम, राजकीय महिला महाविद्यालय की प्रोफेसर गीता रानी, पूनम गुप्ता और लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर ने दीप जलाकर आंदोलन का आगाज किया।

इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या ने कहा, “महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना होगा। उन्हें अपने अधिकारों की लड़ाई ख़ुद लड़नी पड़ेगी। समाज में बराबरी के लिए औरतों की राजनीतिक भागीदारी ज़रूरी है। घरेलू हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैवानों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। हमें भी अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ख़ुद अपने हाथों में लेनी होगी।”

महासम्मेलन में महिलाओं ने घरेलू हिंसा को जड़ से मिटाने का संकल्प लिया। साथ ही नाटक, गीत, सभा के ज़रिए अपने अधिकार की मांग उठाई। राजकीय महिला महाविद्यालय सेवापुरी की प्रोफेसर गीता रानी ने महिलाओं व लड़कियों को उनके अधिकार और विभिन्न कानूनों के बारे में जानकारी दी।

महिला चेतना समिति की निदेशक रंजू सिंह ने कहा कि, "आए दिन हर गांव शहर में लड़कियों और महिलाओं के साथ हिंसा छेड़खानी व बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं।"

समाजिक कार्यकर्ता मैत्री ने कहा, "गांव के ज़्यादातर युवक शराब में डूब चुके हैं। इसका खामियाज़ा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। औरतों के लिए शराब खलनायक बन गई है। ये शराब ही उनके ऊपर होने वाली घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, बलात्कार, मारपीट आदि की सबसे बड़ी ज़िम्मेदार है। शराब को पूरे प्रदेश में बंद कर देना चाहिए।"

आंदोलन-प्रदर्शन और महासम्मेलन में रंजू सिंह, अनीता  सरिता, सोनी, आशा, मधुबाला, शमबानो, पूनम, शर्मिला, मुकेश प्रधान, प्रेमा, चन्द्रकला, आशा, ममता, मैनम, कुसुम पूजा, सितारा सुमन, प्रीति, नीतू, सुषमा, सरोज, शर्मिला, राजेश अमित, रवि गुप्ता, श्याम सुन्दर, रामबचन, सुनील आदि शामिल रहे।

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