बंगाल उपचुनाव: तृणमूल ने ‘‘देरी’’ के लिए निर्वाचन आयोग की आलोचना की
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की सात विधानसभा सीटों के लिए चुनाव एवं उपचुनाव कराने में ‘‘देरी’’ को लेकर नाराजगी जताते हुए बुधवार को बताया कि पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव कराने की मांग को लेकर निर्वाचन आयोग से बृहस्पतिवार को मुलाकात करेगा। मुख्यमंत्री पद पर निर्बाध बने रहने के लिए ममता बनर्जी के लिए ये उपचुनाव महत्वपूर्ण हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल के वरिष्ठ नेता सुखेंदु शेखर रे ने निर्वाचन आयोग पर तंज कसते हुए सवाल किया कि क्या वह चुनाव आयोजित कराने के लिए ‘‘कोविड-19 की तीसरी लहर का इंतजार’’ कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी संबंधी स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में हैं और हालात चुनाव कराने के अनुकूल हैं।
राज्य की पांच रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। राज्य में उन दो अन्य सीटों के लिए चुनाव होने हैं, जहां उम्मीदवारों की मौत के बाद मतदान रद्द कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री बनर्जी नंदीग्राम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के हाथों विधानसभा चुनाव हार गई थीं। ऐसे में, उपचुनाव उनके लिए बहुत महत्व रखते हैं। संविधान के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति विधायक या सांसद नहीं है और वह मंत्रिपद पर आसीन होता है, तो उसके लिए छह महीने में विधानसभा या विधानपरिषद या संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना अनिवार्य है। यदि मंत्री ऐसा नहीं कर पाता है, तो छह महीने बाद वह पद पर नहीं बना रह सकता। बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए चार नवंबर तक विधायक बनना होगा।
राज्यसभा में तृणमूल के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर रे ने कहा, ‘‘हम सात विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव और लंबित चुनाव कराने की मांग के साथ दिल्ली में कल (बृहस्पतिवार को) निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। जब कोविड-19 चरम पर था, तब विधानसभा चुनाव आठ चरणों में आयोजित किए गए थे, लेकिन अब हालात काफी सुधर गए हैं।’’
रे ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग उपचुनावों में देरी कर रहा है। क्या वह तीसरी लहर का इंतजार कर रहा है। हम चाहते हैं कि उपचुनाव जल्द से जल्द कराये जायें ।’’
दिनहाटा और शांतिपुर विधानसभा सीटें से विधायक बने भाजपा नेताओं निशीथ प्रामाणिक और जगन्नाथ सरकार ने इस्तीफा दे दिया था और सांसद बने रहने का फैसला किया था। प्रामाणिक को हाल में मंत्रिपरिषद विस्तार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में शामिल किया गया है।
राज्य के मंत्री सोवनदेव चट्टोपाध्याय के इस्तीफे के बाद बनर्जी की परंपरागत सीट भवानीपुर खाली हो गई है। उन्होंने बनर्जी के इस सीट से विधानसभा में चुने जाने का रास्ता साफ करने के लिए इस्तीफा दे दिया था। तृणमूल प्रमुख ने अधिकारी के खिलाफ नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया था, जिसके बाद पार्टी ने भवानीपुर से चट्टोपाध्याय को मैदान में उतारा था।
कोविड-19 के कारण तृणमूल नेताओं काजल सिन्हा और जयंत नस्कर के निधन के कारण उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में क्रमश: खरदाह और गोसाबा सीटों पर उपचुनाव अनिवार्य हो गया है।
मुर्शिदाबाद में शमशेरगंज और जंगीपुर सीटों पर उम्मीदवारों की मौत के बाद चुनाव रद्द कर दिया गया था और बाद में कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था।
इस समय बनर्जी और वित्त मंत्री अमित मित्रा मंत्रालय के ऐसे दो सदस्य हैं, जो विधायक नहीं है। मित्रा ने अस्वस्थ होने के कारण पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन बनर्जी को विधानसभा में जगह बनाने के लिए उपचुनाव जीतना होगा। तृणमूल ने मई में 294 सदस्यीय विधानसभा में 213 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार का गठन किया है।
अदालत ने शुभेंदु के निर्वाचन को चुनौती देने वाली ममता की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वह याचिका सुनवाई के लिए बुधवार को स्वीकार कर ली, जिसमें विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती दी गई है। अदालत ने अधिकारी को नोटिस जारी किए जाने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति शम्पा सरकार ने कहा कि बनर्जी की चुनाव याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई होगी। न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि इस बीच इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक अधिकारी और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किए जाएं।
न्यायमूर्ति सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय प्रशासन से उनकी पीठ को मिली रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव याचिका जन प्रतिनिधि कानून के प्रावधानों का पालन करते हुए दायर की गई है। अदालत ने निर्वाचन आयोग को नंदीग्राम में चुनाव संबंधी सभी रिकॉर्ड एवं उपकरण संरक्षित रखने का निर्देश दिया।
इससे पहले, न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की याचिका पर सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया था, जिसके बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने इस मामले को न्यायमूर्ति सरकार की पीठ के पास भेज दिया था। निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित परिणाम के अनुसार अधिकारी ने बनर्जी को 1,956 मतों के अंतर से हराया था।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।