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बंगाल चुनाव : वाम मोर्चा के उम्मीदवारों को प्रमुख सीटों पर ‘उत्साहपूर्ण समर्थन’

दक्षिण 24 परगना की जादवपुर और टॉलीगंज जैसी प्रमुख सीटों पर वामपंथियों और उनके सहयोगियों का ‘जनवादी’ अभियान अपने चरम पर है।
बंगाल चुनाव

कोलकाता: शहरी क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं के लिए नरेगा की ताल शहरी क्षेत्रों में 150 दिनों की  रोजगार की गारंटी और प्रवासी मजदूरों के लिए एक अलग विभाग स्थापित करने का वादा न सिर्फ कोलकाता के जादवपुर और टॉलीगंज क्षेत्र में बल्कि वामपंथी उम्मीदवारों के इस अभियान का असर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों जैसे कि भांगर में भी दिखाई दे रहा है।

जादवपुर विधानसभा, जहां से पिछला चुनाव भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ॰ सुजान चक्रवर्ती ने जीता था, ने पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भी अपनी विजय की बढ़त को बनाए रखी था, हालांकि लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में वृद्धि देखी गई थी। पिछले विधानसभा चुनावों में, वाममोर्चा विधायक दल के नेता डॉ॰ सुजन चक्रवर्ती ने 20,000 से अधिक वोटों से इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार के चुनाव में उनका सामना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व पदाधिकारी, जो अब तृणमूल कांग्रेस में हैं और इलाके के पार्षद रह चुके देवव्रत मजूमदार उर्फ मोलोय तथा भाजपा की रिंकू नस्कर से है, जिन्होंने पिछले साल सीपीआई (एम) के टिकट पर को बीजेपी से हराया था।

रिंकू और देवव्रत की दलबदलू वाली छवि दोनों के लिए चिंता का विषय और वामपंथियों के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि दोनों ने अपनी पुरानी पार्टियों का दामन छोड़ भाजपा छोड़ टीएमसी का दामन थामा है, लेकिन कहा यह जाता है कि ये भाजपा की वैचारिक अभिभावक आरएसएस है, जो जादवपुर में सुजान चक्रवर्ती की मुख्य शत्रु है। ज़्यादातर विपक्षी उम्मीदवारों ने आरएसएस के प्रति निष्ठा की शपथ ली हुई है। बावजूद इस सब के यह सीट एक ऐसी सीट है जिसने परेशान समय में भी वामपंथियों दामन नहीं छोड़ा। दिलचस्प बात या कहिए खबर है कि स्थानीय स्तर के कुछ बिल्डिंग प्रमोटरों ने मजुमदार के बारे में एक कहानी सुनाई है, कि आम लोग उन्हे 'गैराज मोलोय' के नाम से जानते है, जो जाधवपुर और आस-पास के इलाकों में भवनों के निर्माण की मंजूरी देने के एवज़ में टॉलीगंज में अपने पार्षद होने बेज़ा फायदा उठाते हैं और निर्माण वाली बिल्डिंग में खुद के लिए गैरेज आरक्षित करवा लेते हैं। 

सीपीआई (एम) के जिला सचिवमण्डल के सदस्य और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के पूर्व राज्य सचिव सुदीप सेनगुप्ता ने बताया, कि "सभी पांच वार्डों में (जादवपुर के) सुजान दा इस बार अकाट बढ़त बनाएंगे।" सेनगुप्ता भी सुजान चक्रवर्ती की अभियान टीम के महत्वपूर्ण सदस्य है।

50 साल के जयंत सरकार ने कहा कि, "सुजान चक्रवर्ती ने हम सभी वोटरों के साथ निकट संपर्क बनाए रखा है,"। उन्होंने कहा कि वे सुजान चक्रवर्ती को राज्य के राजनीतिक परिपेक्ष में सितारा मानते हैं क्योंकि वे पूरे साल विधानसभा क्षेत्र के आम मतदाता से सीधा संपर्क रखते हैं।

1987 से 2011 तक, पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य जादवपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। 2011 में उनकी हार के बाद, ये सुजान चक्रवर्ती थे जिन्होंने 2016 के विधानसभा चुनावों में यहाँ से चुनाव लड़ा और टीएमसी के ऊर्जा मंत्री मनीष गुप्ता को हरा दिया था।

चक्रवर्ती जादवपुर विश्वविद्यालय से पढे है और कॉलेज के दिनों से ही जादवपुर के लोगों के साथ उनके घनिष्ठ संबंध रहे हैं, सौगता पॉल ने उक्त बातें बताई, जो पेशे से एक स्कूल शिक्षक हैं, और जिन्होंने सुदीप सेनगुप्ता और अन्य लोगों के साथ मिलकर क्षेत्र की मेहनतकश जनता के लिए लॉकडाउन के दौरान जाधवपुर में पीपुल्स कैंटीन चलाई थी।

गुंडागर्दी के ख़िलाफ़ लड़ता भांगर 

भांगर से इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) के उम्मीदवार नौशाद सिद्दीकी, जो कि फुरफुरा शरीफ के पीरजादा भी हैं चुनाव लड़ रहे हैं और टीएमसी के सैय्यद गनी से उनकी सीधी टक्कर है। आईएसएफ राज्य में वाम दलों और कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।

दिलचस्प बात यह है कि, भांगर में चुनावी लड़ाई टीएमसी के लिए चुनौतीपूर्ण बन गई है क्योंकि भूमि के जबरन अधिग्रहण के विरोध में 2017 में यहाँ पूरा इलाका आंदोलित हो गया था। हाल ही में, बिजॉयगंज में एक आम सभा में, जिसमें वाम मोर्चे के अध्यक्ष बिमान बसु उपस्थिति थे, में नौशाद सिद्दीकी की उम्मीदवारी की घोषणा की गई थी, इस सभा में लगभग 50,000 आईएसएफ और वाम मोर्चे के कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने भाग लिया था। सभा को संबोधित करते हुए वाम नेताओं और आईएसएफ प्रमुख अब्बास सिद्दीकी ने कृषि वाले भांगर क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज सुविधा के निर्माण की बात कही।

अपने संबोधन में, बिमान बसु ने लोगों से कहा कि वे ईवीएम के हेरफेर के सामने न झुके बल्कि अधिक से अधिक लोगों को साथ लेते हुए "वापस जाए" और वोट करें। उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक बूथ के आसपास एक सुरक्षा जाल बनाने की अपील की ताकि वोट की लूट के लिए कुख्यात सत्तारूढ़ टीएमसी की हिंसा को रोका जा सके। इस विशाल रैली के अगले दिन, कुछ गुंडे जो कथित रूप से टीएमसी से जुड़े थे, ने रैली में शामिल होने की जुर्रत करने वाले आईएसएफ के एक समर्थक के घर में आग लगा दी। यह हादसा भांगर के बोदरा इलाके के सोपा गांव में हुआ है। पुलिस की सलाह पर, जब पीड़ित अजीज मोल्लाह शिकायत दर्ज करने पुलिस स्टेशन गए, तो उसे सड़क पर कथित रूप से पीटा गया। अंतत: घर में आग लगाने के मामले में तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

मैले पानी में बबूल 

टॉलीगंज की हेवीवेट असेंबली सीट पर पिछले विधानसभा चुनावों में सीपीआई(एम) और टीएमसी के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। इस वर्ष लगभग तीन लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर सिने आर्टिस्ट देवदूत घोष, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो जिन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए लोकसभा से इस्तीफा दे दिया है और राज्य के युवा मामलों के मंत्री अरूप बिस्वास के बीच टक्कर हैं।

"जहां भी हम जा रहे हैं, हमें उत्साह के साथ समर्थन मिल रहा है।" देबदूत ने न्यूज़क्लिक को बताया। एक और बात जो सुप्रियो की संभावनाओं पर पानी फेर सकती वह है, वह 2018 में आसनसोल के दंगों में उनकी कथित भूमिका है। टॉलीगंज को सांप्रदायिक सद्भाव के लिए  जाना जाता है और बाबुल की बीमार मानसिकता और सांप्रदायिक दृष्टिकोण कई मतदाताओं को नाराज़ का रहा हैं, उक्त बातें राखी चक्रवर्ती ने कही जोकि कोलकाता नगर निगम के वार्ड 97 से वामपंथी कार्यकर्ता हैं। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bengal Elections: Left Candidates in Key Seats Claim ‘Rave Response’ from People

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