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बंगाल: जुझारू संघर्षों से ही कृषि श्रमिकों की मजदूरी में सुधार हो सकता है: AIAWU

हावड़ा में अखिल भारतीय AIAWU सम्मेलन में लगभग 700 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं ताकि भविष्य की कार्ययोजना तैयार की जा सके।
AIAWU

हावड़ा : ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी या तो और कम हो रही है या रुक गई है, बड़े क्षेत्र में श्रमिकों को बेहतर मजदूरी और कृषि मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा हेतु एक आंदोलन की जरूरत है।

यह आह्वान ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल वर्कर्स यूनियन (AIAWU) के महासचिव बी वेंकट ने किया था, जिसका 10वां सम्मेलन बुधवार को यहां शुरू हुआ।

महासचिव की रिपोर्ट पेश करते हुए वेंकट ने कहा कि जुझारू संघर्ष खड़ा किए बिना खेतिहर मजदूरों की मजदूरी नहीं बढ़ाई जा सकती। साथ ही, भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) गठबंधन द्वारा धकेली जा रही विभाजनकारी राजनीति का नाश सुनिश्चित करना भी जरूरी था।

AIAWU नेता ने कहा कि कृषि क्षेत्र के श्रमिक न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप से भी सर्वाधिक शोषित थे।

वेंकट ने कहा- “ कृषि मजदूरों में अधिकांश दलित और आदिवासी होते हैं। हमारी बड़ी जिम्मेदारी उन्हें जन आंदोलन की और आकर्षित करना है अन्यथा, भाजपा-आरएसएस की ताकतें उनके हिंदुत्व के कारण उन्हें काट लेंगी और देश के मजदूर वर्ग के बीच विभाजनकारी राजनीति शुरू कर देंगी। मोदी सरकार कोर्पोरेट कृषि नीति थोपने की कोशिश कर रही थी इस सीए पूरे देश में कोर्पोरेट की लूट को बढाने के अवसर होंगे।

उन्होंने कहा – “कॉर्पोरेट कृषि होने से आशंका है कि ग्रामीण गरीबों के हाथ से कृषि भूमि निकल कर कॉर्पोरेट के हाथों में चली जाएगी। दूसरी बात है कि इस से लोगों के दिन और मजदूरी कम हो जाएगी। कॉर्पोरेट कृषि व्यवस्था रोजगार की संभावनाएं कम होंगी, जिससे कृषि श्रमिकों के लिए मजदूरी में कमी आएगी। तीसरी बात है कि कृषि क्षेत्र में 60 प्रतिशत दलित और महिलाएं हैं। कोर्पोरेट कभी भी इनकी सामजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेगा। चौथी बात, कोर्पोरेट देश की खाद्य सुरक्षा की भी जिम्मेदारी नहीं लेंगें क्योंकि वे तो अपना फायदा देखेंगे।

कृषि मजदूरों के स्वतंत्र आंदोलन, जो अन्य वर्गों की आबादी जैसे कि किसानों और मजदूरों से भी जुड़ती है, की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कॉर्पोरेट कृषि के खतरे को भी उजागर किया गया है।

AIAWU का सम्मलेन हावड़ा जिले के सरत सदन में हो रहा है यह 18 फरवरी तक चलेगा। इसमें एक खुला सत्र भी होगा जिसे अन्य वक्ताओं के साथ केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन भी संबोधित करेंगे।  

सम्मेलन में देश भर से 700 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

अपने उद्घाटन भाषण में, ए विजयराघबन ने कहा कि तथाकथित अमृत काल के दौरान, "ग्रामीण सर्वहारा वर्ग के लिए केवल जहर है", जिन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। उन्होंने अपने संगठन की प्रत्येक इकाई से आह्वान किया कि वे गांव-गांव पहुंचे और ग्रामीण लोगों को एकजुट करें तथा  "जनविरोधी मोदी सरकार" को हराने के लिए एक प्रभावी आंदोलन का निर्माण करें।

उन्होंने यह भी कहा कि 5 अप्रैल को नई दिल्ली में किसान मजदूर संघर्ष रैली में कृषि श्रमिक बड़ी संख्या में भाग लेंगे।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने कहा: "मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध ही देश के मजदूर वर्ग के लिए एकमात्र रास्ता है।" 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के किए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Bengal: Agricultural Workers’ Wages Can Only Improve Through Militant Struggles: AIAWU

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