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भारत बंद: कई राज्यों में बंद का व्यापक असर, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन, रेल और सड़क यातायात प्रभावित

भारत बंद के समर्थन में किसानों के साथ आए मज़दूर, छात्र व अन्य वर्ग। गांवों के साथ शहरों में भी व्यापक समर्थन। मांगें न माने जाने पर आंदोलन लगातार तेज़ करने की चेतावनी।
भारत बंद

किसान आंदोलन के दिल्ली की सीमाओं पर चार महीने पूरे होने पर किसानों ने मज़दूरों के साथ मिलकर आज शुक्रवार को भारत बंद किया। इसका कई राज्यों में व्यापक तो कई राज्यों में आंशिक असर रहा।

किसान नेताओ ने भारत बंद को सफल बताया है। यह बंद आज सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक रहा।

विरोध प्रदर्शन करने वाली यूनियनों के एक संयुक्त संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने प्रदर्शनकारी किसानों से अपील की थी कि वे बंद के दौरान शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करें और किसी भी तरह के गैर-कानूनी विवाद और संघर्ष में शामिल न हों। इसका असर भी दिखा अधिकतर बंद शांतिपूर्ण ही रहा।

किसान नेताओं के मुताबिक संगठित और असंगठित क्षेत्रों और परिवहन तथा अन्य संगठनों के ट्रेड यूनियनों ने भी भारत बंद को समर्थन दिया।

एसकेएम द्वारा जारी बयान में दावा किया गया है कि विभिन्न किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, बार संघों, राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए उसके आह्वान का समर्थन किया।

आपको मालूम है कि हजारों किसान दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर करीब चार माह से डेरा डाले हुए हैं। ये किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और इन्हें पूरी तरह से रद्द करने और अपनी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।

किसान संगठनों के इस बंद का देशभर में कैसा रहा असर? देखते हैं राज्यवार रिपोर्ट

पंजाब, हरियाणा में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्गों, प्रमुख सड़कों को अवरूद्ध किया

देशव्यापी आंदोलन के तहत शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य प्रमुख सड़कों तथा कई स्थानों पर रेल पटरियों को अवरुद्ध किया। इससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ।

पंजाब के अनेक स्थानों पर दुकानें बंद रहीं। वहीं, भारत बंद के समर्थन में हरियाणा में भी कुछ स्थानों पर दुकानें बंद रहीं।

पंजाब में सार्वजनिक और निजी परिवहन सड़कों से नदारद रहा।

हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि हरियाणा रोडवेज बस सेवाओं को उन जिलों में निलंबित रहेंगी जहाँ यह लगता है कि किसानों के विरोध को देखते हुए उन्हें संचालित करना स्थिति के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा, "हरियाणा में वैसे बस सेवाएं जारी हैं।"

किसान सुबह से ही बठिंडा, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, मोहाली, रोहतक, फिरोजपुर, पठानकोट, झज्जर, जींद, पंचकुला, कैथल, यमुनानगर और भिवानी जिलों सहित दोनों राज्यों में कई जगहों पर कई राजमार्गों और सड़कों पर एकत्र हुए।

किसान यूनियनों के नेताओं ने कहा कि वे एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों के साथ-साथ विवाह समारोह के वाहनों को जाने की अनुमति दे रहे हैं।

श्री आनंदपुर साहिब में 'होला मोहल्ला' उत्सव के मद्देनजर श्रद्धालुओं को ले जाने वाले वाहनों को आने-जाने दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन स्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए 'लंगर' तक की व्यवस्था की।

हरियाणा बीकेयू के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, "हमें शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।"

भारत बंद का पंजाब और हरियाणा में रेल सेवाओं पर काफी असर पड़ा।

प्रदर्शनकारियों ने दोनों राज्यों में अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, फिरोजपुर, अंबाला, जींद, झज्जर, पंचकुला और कुछ अन्य जिलों सहित कई स्थानों पर रेल पटरियों पर प्रदर्शन किया, जिससे रेल यातायात बाधित हुआ।

कुछ प्रदर्शनकारियों ने अंबाला-दिल्ली राजमार्ग को अंबाला कैंट के पास अवरुद्ध कर दिया, जिससे मार्ग पर सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि एक अन्य समूह ने अंबाला कैंट से करीब पांच किलोमीटर दूर शाहपुर गांव के पास एक रेलवे पटरी को जाम कर दिया, जिसके कारण दिल्ली और सहारनपुर के बीच चलने वाली सभी ट्रेनें फंस गईं।

किसानों ने शंभू बैरियर के पास हरियाणा-पंजाब सीमा पर अम्बाला-राजपुरा राजमार्ग और अम्बाला सिटी के पास अम्बाला-हिसार राजमार्ग को भी अवरूद्ध कर दिया।

आंदोलनकारी किसानों ने चंडीगढ़-दिल्ली, अमृतसर-दिल्ली, हिसार-दिल्ली और भिवानी-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कई प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने अपने ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों को मार्ग के बीच में खड़ा कर दिया।

प्रदर्शनकारियों ने, जिनमें से कई ने तख्तियां ले रखी थीं, प्रमुख सड़कों पर प्रदर्शन किया और केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारे लगाए। कई जगहों पर टोल प्लाजा पर धरना दिया।

युवा किसान नेता और अखिल भरतीय किसान सभा के हरियाणा सचिव सुमित ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि आज पूरे देश की तरह ही पूरा हरियाणा पूर्ण रूप से बंद है। यहां कर्मचारी, मज़दूर किसान और महिलाएं सब इस बंद में शामिल रहे।

उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि आज का यह सफल बंद सरकार के लिए चेतावनी है वो इन तीन काले कानूनों को वापस ले ले वरना यह एक दिन का बंद अनिश्चितकालीन भी हो सकता है। सरकार किसी भ्रम में न रहे है जब तक ये कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी नहीं होगी यह आंदोलन चलता रहेगा।

12 घंटे के "भारत बंद" का दिल्ली में भी असर रहा।

गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए किसानों ने सुबह दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-9 के एक मार्ग को अवरुद्ध कर दिया, लेकिन दोपहर तक शहर में प्रदर्शनकारियों ने कोई गतिविधि नहीं की।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को टीकरी बॉर्डर, बहादुरगढ़ सिटी और ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ा, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद, स्टेशन यात्रियों के लिए खोल दिए गए।

एक किसान नेता ने दावा किया कि मायापुरी और कुछ अन्य क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन हुए जहां लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया।

उत्तर प्रदेश में भी हुआ प्रदर्शन, पुलिस ने कई जगह किसान नेताओं को लिया हिरासत में

पूरे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान भारत बंद करने के लिए सड़कों पर उतरे लेकिन योगी सरकार ने अपने पुलिसिया ज़ोर पर आंदोलन को रोकने का प्रयास किया। एआईकेएस उत्तर प्रदेश के सचिव मुकुट सिंह को तड़के सुबह ही घर में नज़रबंद कर दिया गया। जिससे वो इस आंदोलन का हिस्सा न बन सकें। इस तरह कई अन्य बड़े किसान नेताओ को नज़रबंद किया गया था। इसके बावजूद किसान सड़कों पर उतरे।

बलिया में भाकपा (माले) के 20 कार्यकर्ता हिरासत में

किसान संगठनों के भारत बंद के आह्वान पर शुक्रवार को जिले के सिकंदरपुर में प्रदर्शन कर रहे भाकपा (माले) के 20 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

सिकंदरपुर पुलिस चौकी के प्रभारी अमरजीत यादव ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद के आह्वान पर सिकंदरपुर कस्बे में पूर्वाह्न प्रदर्शन करने व बंद को सफल बनाने के लिए पहुँचे भाकपा (माले) के 20 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

उन्होंने बताया कि इनमें भाकपा माले के प्रमुख नेता श्रीराम चौधरी भी शामिल हैं।

चौकी प्रभारी यादव ने दावा किया कि बंद का सिकंदरपुर कस्बे में कोई प्रभाव नहीं पड़ा और बंद व प्रदर्शन के मद्देनजर सिकंदरपुर कस्बे में सुरक्षा के प्रबन्ध किये गए थे। हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सिकंदरपुर में किसान महा पंचायत को संबोधित किया था।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्यों ने शुक्रवार यहां सड़कें जाम कर दीं। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और मुज़फ्फरनगर-देवबंद मार्ग जाम किया। इसी तरह भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने सूरजपुर व जेवर में चक्का जाम किया।

विरोध प्रदर्शन में भाग लेने जा रहे कुछ किसान नेताओं को पुलिस ने उनके घर के पास ही रोक लिया।

भाकियू के जिलाध्यक्ष अनित कसाना के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने सूरजपुर के दुर्गा चौराहे पर जाम लगा दिया, और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

वहीं भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष विभोर शर्मा के नेतृत्व में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने जेवर चौराहे पर जाम लगाया।

इस दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा,‘‘ केंद्र सरकार किसानों की हितैषी नहीं है। सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून पूरी तरह किसान विरोधी हैं। इन कानूनों के विरोध में किसानों को धरना देते हुए तीन महीने से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक सरकार ने इन कानूनों को वापस नहीं लिया है।’’ इस मौके पर बड़ी संख्या में किसान नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।

यूपी के नोएडा में मज़दूरों ने भी अपनी आवाज़ बुलंद की, जगह-जगह किया चक्का जाम, मज़दूर संगठन सीटू ने समर्थन में किए प्रदर्शन

नोएडा, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों के भारत बंद का समर्थन करते हुए सीटू गौतमबुद्ध नगर जिला अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा व वरिष्ठ नेता मदन प्रसाद, भरत डेंजर, विजय गुप्ता, भीखू प्रसाद आदि के नेतृत्व में दर्जनों सीआईटीयू कार्यकर्ताओं ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में हिस्सा लिया इस अवसर पर बोलते हुए सीटू नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा ने मोदी सरकार के किसान विरोधी रवैए की कड़ी आलोचना किया और कहा कि हम किसानों की मांग और उनके आंदोलन का मजदूर संगठन सीटू की ओर से लगातार समर्थन कर रहे हैं और उनके आंदोलन के साथ हैं आज भी हमने बंद का समर्थन करते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल हुए है और हम सरकार से किसान विरोधी तीनों काले कानूनों व जनविरोधी बिजली बिल और श्रमिक विरोधी चारों लेबर कोड को वापस लेने की मांग करते हैं। साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। साथ ही किसान आंदोलन में शहीद हुए किसान परिवारों को 20-20 लाख रुपया मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की भी हमारी मांग है और जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मानेगी हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

भारत बंद का ओडिशा में भी प्रभाव

भारत बंद का ओडिशा में भी प्रभाव रहा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य में कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और रेल पटरियों को जाम कर दिया। कुछ स्थानों पर दुकान और बाजार बंद रहे।

ओडिशा में कांग्रेस और वाम दलों ने बंद का समर्थन किया।

भुवनेश्वर शहर में 'मो बस' सेवाएं बाधित हुईं क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने कुछ सड़कों को अवरुद्ध कर दिया।

आंदोलनकारियों द्वारा रेल पटरियों को जाम किए जाने से बालेश्वर जैसे कुछ क्षेत्रों में ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुईं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पारादीप बंदरगाह और आस-पास के क्षेत्रों में उद्योग सामान्य रूप से काम करते रहे।

उन्होंने बताया कि राज्य में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं है।

सरकारी कार्यालयों में कम उपस्थिति देखी गई। राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने की घोषणा की थी और कर्मचारियों को सुबह 9.30 बजे से पहले कार्यालय पहुंचने के लिए कहा गया था।

आंध्र प्रदेश में भारत बंद का व्यापक असर, सरकारी कर्मचारी भी हुए शामिल

शुक्रवार के किसान और मज़दूरों के भारत बंद का असर पूरे आंध्र प्रदेश में देखने को मिला। एक तरफ जहाँ सड़के सूनी रहीं तो दूसरी तरफ सरकारी कार्यलयों पर भी सन्नटा रहा।

किसानों और अन्य संगठनों के अथक दबाव के बाद वाईएस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार और मुख्य विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी ने बंद को अपना समर्थन दिया था। दोपहर 1 बजे तक सभी सरकारी कार्यालय बंद रहे। इसी तरह राज्य परिवहन की बसें दोपहर 1 बजे के बाद ही सड़कों पर ही चलीं। विशेष रूप से राज्य के विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजीकरण के कदम के खिलाफ व्यापक विरोध देखा जा रहा है। उससे पूरे राज्य की जनता में भारी आक्रोश है उसका ही नतीजा था जो आज के बंद को इतना व्यापक समर्थन मिला।

हिमाचल : सड़कों पर एकसाथ उतरे किसान और मज़दूर

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर सीटू व हिमाचल किसान सभा ने मज़दूर विरोधी चार लेबर कोडों, तीन कृषि कानूनों, कृषि के निगमीकरण, बिजली विधेयक 2020, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण आदि के खिलाफ प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए।

ये प्रदर्शन शिमला, रामपुर, रोहड़ू, हमीरपुर, कुल्लू, मंडी, धर्मशाला, चम्बा, ऊना, सोलन, सिरमौर व किन्नौर में किये गए। इन प्रदर्शनों में हज़ारों मजदूर-किसान शामिल रहे। सीटू व हिमाचल किसान सभा ने केंद्र सरकार से मजदूर, किसान व कर्मचारी विरोधी नीतियों पर रोक लगाने की मांग की है। सीटू ने ऐलान किया है कि 28 मार्च को होली के दिन मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों तथा कर्मचारी व जनता विरोधी बिजली विधेयक 2020 की प्रतियों को जलाकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आक्रोश ज़ाहिर किया जाएगा।

भारत बंद के आह्वान के तहत शिमला के उपायुक्त कार्यालय पर मजदूरों व किसानों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला सचिव बाबू राम, हिमाचल किसान सभा राज्य कोषाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर,जिला कोषाध्यक्ष जयशिव ठाकुर, बालक राम,विनोद बिरसांटा,किशोरी ढटवालिया,कपिल शर्मा,सुरेश बिट्टू, सुरेंद्र बिट्टू,दलीप,मदन,राम प्रकाश,पूर्ण चंद,सतपाल बिरसांटा,विक्रम,रंजीव कुठियाला,हिमी देवी,निर्मला,जगत राम व संगीता देवी आदि शामिल रहे। सीटू व हिमाचल सभा ने केंद्र सरकार को चेताया है कि मजदूर विरोधी लेबर कोडों,काले कृषि कानूनों,सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण व बिजली विधेयक 2020 के खिलाफ आंदोलन तेज होगा।

इस धरने को सम्बोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूँजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। मजदूर विरोधी चार लेबर कोड,तीन कृषि कानून,कृषि का निगमीकरण,बिजली विधेयक 2020 व सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से ही किए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश के कई जिलों में हुआ बंद तो कई जिलों में बंद के समर्थन में हुई रैलियां और विरोध प्रदर्शन

भारत बंद के समर्थन में प्रदेश भर में किसान और मज़दूर संगठन एक साथ आए। इनके इस बंद को वाम दलों ने पूर्ण समर्थन दिया था। सीपीएम के राजयसचिव जसविंदर सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि इस बंद का पूरे राज्य में अलग असर रहा। एक तरफ उत्तरी मध्य प्रदेश जैसे ग्वालियर, भिंड, मुरैना, गुना आदि जहाँ पूर्ण बंद रहा, वहीं रीवा और सतना में बंद का असर हुआ। इसके अलावा भोपाल, मालवा, इंदौर, उज्जैन में मज़दूरों के जत्थे निकले।

जसविंदर ने बताया कि इस समय किसान और ग्रामीण कटाई में व्यस्त हैं। इसलिए किसानों की भगीदारी पहले की तुलना में कम रही लेकिन शहरी जनता ने स्वतः ही इस आंदोलन में बड़ी संख्या में भाग लिया।

महागठबंधन के आह्वान पर बिहार बंद का दिखा असर, कार्यकर्ताओं ने रोकीं ट्रेनें

बिहार विधानसभा के अंदर 23 मार्च को हुई शर्मनाक घटना और नए कृषि कानूनों व नए श्रम कोड के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में विपक्षी महागठबंधन के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और बिहार बंद का समर्थन किया। उन्होंने विधानसभा की घटना के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेदार बताते हुए उनसे बिहार की जनता से माफी मांगने की मांग की।

महागठबंधन के आह्वान पर आज बिहार बंद का असर सुबह से ही दिखने लगा था। राजद, सीपीएम, सीपीआई और माले के कार्यकर्ता पूरे राज्य में सुबह से ही सड़कों पर उतर गए। दरभंगा व जहानाबाद में रेलवे के परिचालन को भी बाधित किया गया।

बिहार बंद के दौरान दरभंगा में कार्यकर्ताओं ने जयनगर-सहरसा जानकी एक्सप्रेस के परिचालन को बाधित कर दिया और घंटो नारेबाजी करते रहे। यह चक्का जाम लहेरियासराय रेलवे स्टेशन पर किया गया है। आरा में सुबह 8 बजे से ही आरा-पटना मुख्य मार्ग एनएच 30 पर परिचालन बाधित कर रखा है। बंद के कारण आरा बस स्टैंड पर सन्नाटा पसरा रहा। अपनी मांगों से जुड़ी तख्तियों के साथ कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन करते रहे।

भोजपुर के अगिआंव में दुर्गा मंदिर के पास चक्का जाम किया गया। नारायणपुर में एसएच 12 पर माले नेता जितेन्द्र पासवान, भूषण यादव व आइसा नेता रंधीर कुमार के नेतृत्व में जाम किया गया। कोइलवर प्रखंड के आरा-छपरा मुख्य मार्ग को प्रखंड सचिव विष्णु ठाकुर, बड़हरा प्रखंड के सचिव नंदजी, विशाल कुमार आदि नेताओं के नेतृत्व में जाम कर दिया गया।

सहार प्रखंड में भी बंद का व्यापक असर रहा। गड़हनी में जाम का नेतृत्व छपित राम, आनंद कुमार, इंद्रदेव, राजद नेता श्रीनिवास, निर्मल यादव आदि ने किया। यहां माले व राजद कार्यकर्ताओं ने एक साथ आरा-सासाराम मुख्य मार्ग को जाम कर दिया।

नालंदा के हिलसा में भी इस्लामपुर-फतुहा रोड पर परिचालन पूरी तरह बाधित रहा। एकंगरसराय में भी पटना-गया रोड सुबह से जाम रही।

बक्सर के डुमरांव में बंद का व्यापक असर दिखा। पूर्णिया के रूपौली में भी बंद का व्यापक असर रहा। समस्तीपुर में गांधी चैक ताजपुर के पास नेशनल हाइवे पर भी परिचालन ठप्प रहा।

महाराष्ट्र: कांग्रेस ने कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किया प्रदर्शन

महाराष्ट्र के कई हिस्सों में कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। पार्टी के राज्य प्रमुख नाना पटोले ने चेतावनी दी कि अगर नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार दिल्ली के निकट चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर ध्यान नहीं देती है तो पार्टी आंदोलन तेज करेगी।

यहां मंत्रालय के निकट महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे पटोले ने भूख हड़ताल का नेतृत्व किया। वहीं, उन्होंने ईंधन की बढ़ती कीमतों और श्रम कानून सुधार के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, मुंबई के कांग्रेस अध्यक्ष अशोक उर्फ भाई जगताप और मंत्रियों यशोमति ठाकुर, अमित देशमुख समेत अन्य ने कुछ किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद का समर्थन करते हुए प्रदर्शन किया।

जगताप ने दावा किया कि भारत की तुलना में पाकिस्तान और नेपाल में भी पेट्रोल सस्ता है। उन्होंने 'भारत में लूट जारी रहने' का आरोप लगाया।

महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार के कांग्रेस के मंत्रियों बाला साहेब थोराट, सुनील केदार, सतेज पाटिल और विश्वजीत कदम ने भी पार्टी की ओर से आयोजित प्रदर्शनों में भाग लिया। ये प्रदर्शन श्रीरामपुर (अहमदनगर जिला), सावनेर (नागपुर), कोल्हापुर और सांगली में किए गए।

ठाणे और पालघर में भारत बंद को मिली अच्छी प्रतिक्रिया: संगठन

केंद्र सरकार के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आहूत भारत बंद को समर्थन देने वाले संगठनों ने कहा कि शुक्रवार को ठाणे और पालघर में लोगों से बंद को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और कई सड़कें इस दौरान खाली रहीं।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवाले ने कहा कि धनाऊ, तलासरी, वाडा, विक्रमगढ़ समेत अन्य स्थान 12 घंटे तक बंद रहे और लोगों ने किसानों के मुद्दे का समर्थन किया।

पालघर पुलिस ने कहा कि सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक किसी भी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।

(समाचार एजेंसी भाषा के कुछ इनपुट के साथ)

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