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“मन की नहीं मुद्दों की बात करो”: उन्माद-उत्पात के ख़िलाफ़ हक़ और इंसाफ़ के लिए जुटे लोगों ने कहा

‘उन्माद-उत्पात की ताक़तों को शिकस्त दो, हक़ और इंसाफ़ के लिए एकजुट हो’ जैसे नारों के साथ संपन्न हुए इस सम्मेलन में बिहार के विभिन्न ज़िलों से आए हुए सैकड़ों प्रतिनिधि शामिल हुए। इसमें मुस्लिम और दलित समुदाय के लोगों विशेषकर महिलाओं की काफी भागीदारी रही।
insaf manch

पटना स्थित गेट पब्लिक लाइब्रेरी परिसर में आयोजित हुए ‘इंसाफ मंच’ के तीसरे राज्य सम्मलेन में पहुंची गत रामनवमी के दिन हुए 'सांप्रदायिक उन्माद-हिंसा के शिकार’ हुए अपने लोगों के साथ सासाराम शहर की शाइस्ता परवीन, जिनका घर और जमापूंजी सब कुछ लूट लिया गया था। उन्होंने बताया कि रामनवमी के दो दिन पहले ही से शहर का माहौल कुछ अजीब सा बनता देख हम लोग काफी सशंकित थे। क्या कुछ घटनेवाला है नहीं पता था। फिर भी कुछ अनहोनी होनेवाली है, ऐसा ख़याल बार बार डरा रहा था। हुआ भी वही जिसे लेकर सभी मुस्लिम समुदाय के लोग आशंकित थे।

रामनवमी के दिन निकाली गयी शोभा यात्रा में शामिल “जय श्री राम’' का नारा लगाते और हुल्लड़ मचाते हुए बलवाइयों की टोली ने हम पर हमला बोल दिया। देखते ही देखते दर्जनों घरों और दुकानों को लूट लिया गया और जाते समय आग लगा दी गयी। और यह सब घटित हुआ बंदूकधारी पुलिस वालों की मौजूदगी में। सासाराम शहर के ही कादिरगंज मोहल्ले से आयीं मुन्नी खातून ने बताया कि उनका भी घर के साथ साथ दो महीने बाद होनेवाली बेटी की शादी के लिए जुटा कर रखे गए जेवर समेत सारा सामान लूट लिया गया।

कार्यक्रम में पहुंचे मो. इमरान, इरफ़ान कुरैशी, मोहम्मद आरज़ू, इफ्तेखार, ग़ालिब हुसैन, मोहम्मद तौफीक समेत कितने ही ऐसे दर्जनों लोग वहां सासाराम से चलकर आये हुए थे जिनके बक्सा-गोदरेज-अंडा व गाड़ी के पार्ट की दुकानों को पूरी तरह से लूट कर जला दिया गया था।

अपना अपना दर्द लेकर इंसाफ पाने की उम्मीद के साथ पहुंचे इन सभी लोगों को आज तक सरकार की ओर से कोई मुआवज़ा तक नहीं मिल सका है। बरसों की जमी जमाई पूंजी लुट जाने से अभी तक कोई रोज़गार शुरू की स्थिति नहीं बन सकी है।

इंसाफ़ मंच का यह तीसरा राज्य सम्मलेन, 25 जून को पटना स्थित गेट पब्लिक लाइब्रेरी परिसर में आयोजित हुआ। ‘उन्माद-उत्पात की ताक़तों को शिकस्त दो, हक़ और इंसाफ़ के लिए एकजुट हों!’ के केंद्रीय नारे के तहत संपन्न हुए इस सम्मेलन में बिहार के विभिन्न जिलों से आये हुए सैकड़ों प्रतिनिधि शामिल हुए। जिसमें मुस्लिम और दलित समुदाय के लोगों विशेषकर महिलाओं की काफी भागीदारी रही।

फैज़ अहमद फैज़ की चर्चित रचना- हम देखंगे, लाज़िम है कि- हम भी देखेंगे... नज़्म, जसम अरवल की ‘अनुगूंज’ टीम की प्रस्तुति व कई अन्य टीमों के जनगीतों से सम्मलेन की शुरुआत हुई।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए संगठन के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी ने ‘सम्मलेन मसविदा दस्तावेज़’ प्रस्तुत किया। जिसमें देश की केंद्रीय सत्ता में भाजपा के सत्ताशीन होने के बाद से बदतर हो रहे हालत की चर्चा करते हुए इस पहलू को विशेष विमर्श के लिए सामने लाया गया कि- यह सम्मलेन ऐसे समय में हो रहा है जब केंद्र में सत्ताशीन भाजपा शासन के खुले संरक्षण में फ़ासीवादी-गिरोह का हमला चरम पर है। देश की नींव ही खतरे में है। अमन-इंसाफ़-लोकतंत्र-संविधान-आज़ादी पर चौतरफ़ा हमला हो रहा है। केंद्र की सरकार के जनविरोधी कृत्यों का विरोध करनेवालों को “देशद्रोही” करार देकर जेलों में डाल दिया जा रहा है। शासन के ओहदेदारों द्वारा हर दिन लोगों में नफ़रत का ज़हर भरने का कुचक्र रचकर देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांप्रदायिक सौहार्द के ताने बाने को ख़त्म कर भारत को “हिंदू राष्ट्र” बदल देने की उन्मादी साज़िश खुलकर सामने आ गयी है। माफ़ीवीर सावरकर के जन्मदिन पर देश के संसद के नए भवन के उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री द्वारा तथाकथित “सेंगोल-राजदंड” को स्थापित कर मनुस्मृति आधारित राजतंत्र चलाने का संकेत दिया जाना, ताज़ा उदहारण है। “हिंदू राष्ट्र” के उन्माद के जरिये मुसलमानों-दलितों को दोयम दर्जे का नागरिक बना देने की कोशिश, सबकी आंखों के सामने है। जिसकी ओर इशारा करते हुए बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने बहुत पहले ही आगाह कर दिया था कि- यह देश कभी “हिंदू राष्ट्र” की बात करेगा तो यह उसके लिए सबसे बड़ी विपदा साबित होगी। यह समाज के वंचितों और दबे कुचले लोगों के लिए बेहद खतरनाक होगा। आरएसएस- भाजपा के हिंदू राष्ट्र का आह्वान, दरअसल सदियों से जारी उत्पीड़नकारी ब्राह्मणवादी-मनुवादी व्यवस्था को फिर से स्थापित करने के लिए ही है। जिसका नज़ारा- बिल्किस बानों के सभी अपराधियों को बाइज्ज़त रिहा कर उनका सामाजिक सम्मान कर दिखाया गया। यौनउत्पीड़क भाजपा संसद और राष्‍ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर एफ़आईआर दर्ज़ होने के बाद भी मोदी सरकार द्वारा उसे गिरफ्तार करने की बजाय उसे बचाया गया। उलटे यौन उत्पीड़न की शिकार इंसाफ़ के आंदोलन कर रहीं देश की महिला पहलवानों को ही सड़कों पर घसीटा गया। अब तो तथाकथित धर्मगुरुओं और “चमत्कारी बाबाओं” के मुख से हर दिन हिंदू राष्ट्र की स्थापना हेतु माला-भाला रखने उन्मादी आह्वान कराया जा रहा है। जगह जगह बाबा साहेब की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है।

वर्तमान की उक्त जटिल व चुनौतीपूर्ण स्थितियों कि चर्चा करते हुए मसविदा के माध्यम से यह आह्वान किया गया कि- ऐसे में इंसाफ़ मंच जैसे आंदोलनकारी संगठनों के तहत उन्माद-उत्पात की ताक़तों व उनके हमलों के ख़िलाफ़ मुस्लिम-दलित-महिलाओं और समाज के सभी वंचित समुदायों की मजबूत एकता वक़्त की मांग है।

इंसाफ़ सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए भाकपा माले के राष्‍ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने मौजूदा उन्माद-उत्पात की तानाशाह सरकार के खिलाफ व्यापक विपक्षी एकता की चर्चा करते हुए कहा कि - आज देश में अघोषित रूप से स्थायी आपातकाल ही नहीं आफ़तकाल लागू है। जिसके ख़िलाफ़ आंदोलनों की भूमि कही जानेवाली बिहार की धरती से उठ रहा एकता व संघर्ष का मॉडल, पूरे देश की राजनीति को दिशा देने वाला साबित होगा। जहां से लोकतंत्र विरोधी ताक़तों को हर दौर में ज़मीनी चुनौती देने की ऐतिहासिक परम्परा रही है। मौजूदा उन्माद- उत्पात के साथ साथ लूट-झूठ-विभाजनकारी और लोगों को डरानेवाली ताकतों को सिर्फ सत्ता से ही नहीं हटाना है बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उसे हटाना सबसे ज़रूरी कार्यभार बन गया है। इसलिए जो लोग भी इस शासन के निशाने पर हैं, ज़बरदस्त एकता बनाकर लड़ना होगा।

सम्मलेन में कई अन्य धाराओं के भी सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए वक्ताओं ने पुरज़ोर अंदाज़ में मोदी जी को संबोधित करते हुए कहा कि- मन की नहीं, मुद्दों की बात करो!

सम्मेलन के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्‍ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह व अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की राष्‍ट्रीय महासचिव मीना तिवारी के अलावे कई भाकपा माले विधायकों ने भी अपने विचार रखे।

खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव व इंसाफ़ मंच के सलाहकार धीरेन्द्र झा ने भावी कार्यभारों को रेखांकित करते हुए बिहार से शुरू किये गए इंसाफ़ मंच की आन्दोलनकारी मुहीम को देश भर में संगठित करने का आह्वान किया।

सम्मलेन के संगठन सत्र में तालियों की गड़गड़ाहट से 71 सदस्यीय नयी राज्य कमिटी के चुनाव के साथ साथ संघर्षशील विधायक गोपाल रविदास को अध्यक्ष व कयामुद्दीन अंसारी को सचिव चुना गया। सम्मेलन ने सर्वसम्मति से 10 सूत्री प्रस्तावों को पारित कर भावी संघर्ष के कार्यक्रम घोषित किये। 

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