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बिहार: तीन विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी साहनी ने रखा संयम, बोले- निषाद कोटा के लिए करेंगे संघर्ष

अब वीआईपी में कोई भी विधायक शेष नहीं बचा है। मुकेश साहनी ने बीजेपी पर अपनी पार्टी में फूट करवाने का आरोप लगाया है। साहनी ने कहा कि चूंकि उन्होंने निषाद जाति के लिए एससी-एसटी कोटे में आरक्षण और जातीय जनगणना की मांग का समर्थन किया है, इसलिए ही बीजेपी ने यह विभाजन करवाया है। 
mukesh sahni

पटना: बीजेपी पर गठबंधन में अपनी सहयोगी "विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी)" में विभाजन कराने के आरोप लगने के एक दिन बाद, वीआईपी प्रमुख और नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश साहनी ने बीजेपी पर अपने सहयोगियों से धोखा करने का आरोप लगाया है। साहनी ने आगे गरीब़ों और अति पिछड़ों के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही है और कहा है कि वे अपनी जाति- निषाद को आरक्षण देने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। साहनी ने यह साफ़ कहा कि जब उन्होंने अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाती वर्ग में निषाद जाति के लिए आरक्षण की अपील की और जातिगत जनगणना को समर्थन दिया, तो बीजेपी इससे नाखुश और गुस्से में थी। 

साहनी ने कहा कि वे बीजेपी का दोहरा चरित्र लोगों, खासतौर पर गरीब़ों और अति पिछड़ा वर्ग के सामने बेनकाब करेंगे। साहनी ने गुरुवार को कहा, "मैं मल्लाह का बेटा हूं, मैं किसी के सामने नहीं झुकूंगा और अपने समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहूंगा। मैंने निषादों के लिए आरक्षण की मांग रखकर कोई गलती या गलत बात नहीं कही है।"

बीजेपी द्वारा "प्रबंधित" एक राजनीतिक ड्रामा में वीआईपी के सभी तीनों विधायक बुधवार की रात बीजेपी में शामिल हो गए और उन्होंने अपना समर्थन पत्र बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा को भी सौंप दिया है। इसे वीआईपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसके पास अब एक भी विधायक नहीं है। विधान परिषद के सदस्य के तौर पर साहनी का खुद का कार्यकाल इस साल जुलाई में खत्म हो रहा है। 

अब जब संघर्ष के अलावा साहनी के पास कोई विकल्प नहीं बचा है, तो साहनी ने कहा कि उनकी भविष्य की राजनीति अपनी जाति में आधार बढ़ाने के लिए, निषाद और साहनी जाति को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाएगी। बता दें इस जाति की बिहार, खासतौर पर बाढ़ प्रभावित मिथिलांचल, कोशी और सीमांचल के इलाकों में बड़ी आबादी है। 

साहनी ने कहा, "मैं अपनी आखिरी सांस तक उनके लिए लड़ूंगा। मैं दूसरों की तरह रीढ़विहीन नहीं हूं, जो दूसरों के आदेशों का पालन करता रहूं। जब मैंने निषाद आरक्षण का मुद्दा उठाया था, तब से मुझे इस नतीज़े के बारे में जानकारी थी, मुझे पता था कि यह लोग मुझे निशाना बनाएंगे और कमज़ोर करेंगे, लेकिन वे लोग यह भूल चुके हैं कि मैं किसी से नहीं डरता।"

साहनी ने कहा कि अगर उन्होंने आरक्षण और जातिगत गणना की बात ना उठाए जाने की बीजेपी की बात मान ली होती, तो बुधवार को उनकी पार्टी में विभाजन नहीं हुआ होता। 2020 में बिहार विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी के साथ आने के मुद्दे पर साहनी ने कहा कि अगर वे उस समय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुए समझौते की बातों का खुलासा कर देते हैं, तो यह "बड़ा झटका देने वाला होगा और देश के लिए अच्छा नहीं रहेगा।"

मुखर साहनी ने कहा कि उनकी पार्टी, बीजेपी के खिलाफ़ संघर्ष करने वाली और अपने जैसा सोचने वाली पार्टियों के साथ हाथ मिलाने से नहीं हिचकेगी, जैसा हाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में साहनी की पार्टी ने किया भी।

वीआईपी चीफ ने यह भी साफ़ किया कि वे मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगें और उन्हें हटाने का फ़ैसला मुख्यमंत्री अपने विवेक से करेंगे। "मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और गरीबों व वंचित तबके के लोगों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए काम करता रहूंगा। यह मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है और मैं उनके आदेश का पालन करूंगा।"

साहनी ने उनका इस्तीफ़ा मागंने को लेकर बीजेपी नेताओं पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा, "वे किस नैतिक आधार की बात कर रहे हैं? दूसरी पार्टी के विधायकों को हथियाकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। उनके पास मेरा इस्तीफ़ा मांगने का कोई अधिकार नहीं है।" 

बता दें एनडीए का हिस्सा रहते हुए, 2020 में पहली बार साहनी की पार्टी वीआईपी ने चार सीटें जीती थीं। इन्हें बोचाहा भी शामिल थी। दिलचस्प यह रहा था कि मुकेश साहनी खुद चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्हें मंत्री बनाया गया और बाद में वे विधान परिषद के सदस्य बने। पिछले साल वीआईपी विधायक मुसाफ़िर पासवान की मृत्यु के बाद बोचाहा सीट खाली हो गई थी। 12 अप्रैल को इस पर उपचुनाव होने थे। यहां बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया, जिसका साहनी ने विरोध किया था, उन्होंने भी वीआईपी से प्रत्याशी उतारा है।

एक राजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि साहनी के संबंध पिछले साल तबसे ही बीजेपी से खराब होने शुरू हो गए थे, जबसे साहनी ने बीजेपी को कई मौकों पर निशाने पर लेना शुरू कर दिया था। बीजेपी साहनी को सबक सिखाने के लिए सही वक़्त का इंतज़ार कर रही थी और अब बीजेपी ने वीआईपी पर हमला किया और उसे दो हिस्सों में बांट दिया। 

एक राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं, "बीजेपी ने साहनी से उत्तर प्रदेश चुनाव ना लड़ने की अपील की थी, लेकिन साहनी ने यह अपील नहीं मानी। अब बीजेपी ने इसका बदला लिया है। साहनी ने बीजेपी के खिलाफ़ 55 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिससे बीजेपी नेता नाराज़ थे। बीजेपी इससे भी ज़्यादा नाराज़ हुई कि साहनी ने स्थानीय अख़बार में अपने विज्ञापनों में लोगों से बीजेपी को वोट ना देने की अपील की थी।"

एक और दूसरे राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि पिछले साल से ही बीजेपी साहनी को पसंद नहीं कर रही थी। जब वे पूर्व लोकसभा सांसद, दिवंगत फूलन देवी की मूर्ति का उद्घाटन करने जा रहे थे, तब वाराणसी हवाई अड्डे पर उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने रोक दिया था। इससे साहनी नाराज़ हुए थे। साहनी का कदम, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उनके "अपमान" का बदला था। साहनी ने योगी पर फूलन देवी की मूर्ति लगाए जाने का विरोधी होने का आरोप लगाया था, फूलन देवी को निषाद समुदाय में "प्रतीक" माना जाता है।

लेकिन वीआईपी में हुए बंटवारे और उसके तीनों विधायकों के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी का बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने का सपना पूरा हो गया। 23 मार्च तक बीजेपी सत्ताधारी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी थी, उसके 74 विधायक थे। तीन वीआईपी विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद, 243 विधानसभा सीटों वाली बिहार विधानसभा में 77 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। बीजेपी की मुख्य सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाईटेड) के सिर्फ़ 45 विधायक हैं और वे विधानसभी में तीसरी बड़ी पार्टी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तक जेडीयू के बिहार विधानसभा में बीजेपी से ज़्यादा विधायक हुआ करते थे।  

जबसे बीजेपी गठबंधन में बड़ी सहयोगी बनी है, तबसे बीजेपी नेता अलग व्यवहार कर रहे हैं और नीतीश कुमार को गठबंधन में दूसरे स्थान के सहयोगी बनने के लिए मजबूर कर रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल के 75 विधायक चुने गए थे और आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन अब बीजेपी ने पहला पायदान हथिया लिया है। इससे आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव की वीआईपी और एक और छोटी सहयोगी पार्टी, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा की मदद से एनडीए सरकार को गिराने के सपनों पर भी पानी फिर गया है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें। 

Bihar: Mukesh Sahni ‘Unruffled’ After 3 MLAs Join BJP, Vows to Fight for Nishad Quota

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