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मथुरा में डेंगू से मरती जनता, और बांसुरी बजाते योगी!

मथुरा के हर गांव की हालत ऐसी है कि प्रत्येक गांव में डेंगू के मरीज निकल आएंगे, मथुरा के फरह ब्लॉक में स्थित कोह गांव में अभी तक 11 लोगों ने डेंगू और वायरल फीवर से अपनी जान गंवा दी। इसी तरह गोवर्धन ब्लॉक के गांव जचौंदा में 3 लोगों ने डेंगू के चलते दम तोड़ दिया।
CM YOGI

कुछ कहावतें अपने भाव और अर्थ के चलते दुनियाभर में मशहूर हो जाती हैंअंग्रेजी में ऐसी ही एक कहावत है जिसका दुनिया की हर भाषा में इस्तेमाल हुआ, ''When Rome was burning, Nero was playing flute''. इसी को हिंदी में कहा गया "जब रोम जल रहा थातो नीरो सुख और चैन की बाँसुरी बजा रहा था।" हालांकि ऐतिहासिक विमर्श बताते हैं कि नीरो के वक्त में बांसुरी थी ही नहींबांसुरी का आविष्कार सातवीं शताब्दी में जाकर हुआ थानीरो एक दूसरा वाद्य यंत्र ज़रूर यूज करता थालेकिन यह बहस अलग। इस कहावत के भाव को समझें तो ये कहावत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एकदम फिट बैठती है। नीरो की असंवेदनशीलता और भाजपा के मुख्यमंत्री की असंवेदनशीलता को अगर एक पैमाने पर रखकर मापें तो कम नहीं निकलेगी।

बीते दिनों देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गईहिंदू धर्म के अनुसार इस दिन कृष्ण का जन्म हुआ। इस दिन पूरे देश में कृष्ण के बाल अवतार की पूजा की गईदूध-दही-शहद से स्नान कराया गयालेकिन जिस धरती पर कृष्ण ने जन्म लियाउसी मथुरा में इलाज के अभाव में दर्जनों बच्चे दम तोड़ रहे हैंअस्पतालों में बिस्तर नहीं हैडॉक्टर नहीं हैंदवाइयां नहीं हैंलेकिन सरकार है कि भव्य कृष्ण जन्माष्टमी मनाकर जनता को बहलाने में लगी हुई है।

CM YOGI IN MATHURA
मथुरा पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 

मथुरा के हर गांव की हालत ऐसी है कि प्रत्येक गांव में डेंगू के मरीज निकल आएंगेमथुरा के फरह ब्लॉक में स्थित कोह नामक गांव में अभी तक 11 लोगों ने डेंगू और वायरल फीवर से अपनी जान गंवा दी हैइसी तरह गोवर्धन ब्लॉक के जचौंदा गांव में तीन लोगों ने डेंगू के चलते दम तोड़ दीउनमें एक डेढ़ साल का मासूम तो ऐसा था जो अपनी ननिहाल (ग्राम जचौंदा) आया था लेकिन वहीं बुखार का शिकार हो गया और मौत हो गई।

दूसरी तरफ प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मथुरा आते हैंसड़कें सजाई जाती हैंचौराहों पर चाइनीज झालरें लगाई जाती हैंमंदिरों को सजाया जाता है। ऐसे लगता है जैसे इस जिले में रोम उतर आया है।

मुख्यमंत्री के भव्य स्वागत का इंतजाम किया गया। लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री योगी मथुरा में चल रही महामारी पर एक शब्द नहीं बोले। वे बोले तो कृष्ण जन्माष्टमी पर भी अपनी सांप्रदायिक राजनीति करने से नहीं चूकेकृष्ण जन्म पर भी उन्होंने जनता को हिन्दू-मुसलमान में बांटने की राजनीति की उन्होंने कहा ''आज होड़ लगी हैपहले आपके त्योहारों में कोई मंत्रीमुख्यमंत्रीविधायक नहीं आता थाभारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधियों को छोड़ दें तो शेष दलों के लोग दूर भागते थेइकतरफा चलता थाहिन्दू त्योहारों में कोई नहीं आता थाकोई सहभागी नहीं बनता थाअलग से बंदिशें लगती थींलाइट नहीं रहती थीबिजली नहीं रहती थीसाफ-सफाई नहीं रहती थीसुरक्षा का प्रबंध नहीं होता थाअब ऐसी कोई बंदिश नहीं है''


प्रदेश के मुखिया अपने चिर-परिचित अंदाज में जनता के बीच धर्म के नाम पर राजनीति करते रहे और भोली-भाली जनता पीछे से 'वंशी वारे (वाले) की जय"के नारे लगाती रही। लेकिन कृष्ण जन्म मनाने वाले मुख्यमंत्री ने इस बात का एक बार भी जवाब नहीं दिया कि मथुरा में दर्जनों बच्चे अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं उसके लिए उनकी भाजपा सरकार ने क्या किया। सवाल ये नहीं  है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर कौन आयासवाल ये है कि मथुरा में अस्पताल किसने बनवायाकिसने दवाओं का इंतजाम कियाकिसने डॉक्टरों की तैनाती कीकिसने एंबुलेंस दिलवाईं। मंदिर में घंटा बजाने से गरीब जनता का इलाज नहीं होतासड़कों पर झालर लगा देने से बच्चों की जान नहीं बचती।

राज्य के मुख्यमंत्री का काम गरीब जनता को मुफ्त इलाज देना हैशिक्षा देना हैरोजगार देना हैमठों वाला काम करने के लिए लाखों साधु और हजारों आश्रम हैंमथुरा में ही इतने मंदिर और साधु हैं कि पूरी दुनिया में नहीं हैंलेकिन यहां सरकारी अस्पताल केवल दो हैंजिनमें से एक भी अस्पताल में एक ईंट योगी शासन में नहीं लगाई। इनमें से एक यानी वृन्दावन स्थित सौ सैयां (सौ बिस्तरों वाला) अस्पताल पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बनवाया थादूसरा मथुरा शहर में स्थित जिला अस्पताल है। इनमें कोई योगदान योगी सरकार का नहीं हैसिवाय सड़कों के नाम बदलने के।

ग्राम जचौंदा के विजय राघव ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया ''15 अगस्त से ही गांव में वायरल बुखार को लेकर हल्ला होने लगा था, 25 तारीख को जाकर प्रशासन की नींद टूटी। 25 अगस्त को कुछ डॉक्टर आएलेकिन मात्र 12 लोगों की सैंपलिंग लीउसमें से ही लोग डेंगू संक्रमित निकल आएइतने अधिक मरीज होने के बावजूद अगले दिन कोई सैंपलिंग नहीं की गईजब चारों ओर अख़बारों में हमारे गांव के बारे में हल्ला मचने लग गयातब जाकर 28 अगस्त को डीएम गांव आएउस समय 18 लोगों की सैंपलिंग की गईउसमें से आधे यानी लोग डेंगू पॉजिटिव निकल आए। अभी तक गांव में तीन लोगों की डेंगू से मौत हो गई है। डेंगू के छह-सात मरीज हर रोज निकल रहे हैंअभी तक तकरीबन 300 से अधिक लोग डेंगू से पीड़ित हो चुके हैंजबकि गाँव की कुल जनसँख्या मात्र 18 सौ है, 28 तारीख को कुछ सैंपल लिए हैं और अभी तक रिपोर्ट नहीं आई (सितंबर तक)जबकि डेंगू की रिपोर्ट एक घंटे के भीतर आ सकती है।''

DM MATHURA
गांव जचौंदा में पहुंचे मथुरा जिलाधिकारी 

कोह गांव के पास रहने वाले सतेंद्र चौहान जो भाभा एटॉमिक रिसर्च में रिसर्च स्कॉलर भी हैंफिलहाल कृष्ण जन्माष्टमी पर गांव गए हुए हैंउन्होंने न्यूजक्लिक को बताया ''अभी भी गांव के करीब सौ लोग अस्पतालों में हैंगांव में अस्थायी अस्पताल बनाने की बात कही गई थीकुछ चारपाई बिछा दी गई हैंउन्हीं को अस्पताल का नाम दे दिया गयाकोई डॉक्टर वहां नहीं हैसिर्फ स्टाफ के दो लोग रहते हैंजो दवाई देते रहते हैं। सब लोग किसान हैंकुछ को मलेरिया हैकुछ को वायरल हैअस्पतालों में दो-दो लाख रुपये देकर आ रहे हैंकर्ज ले रहे हैंखेत और जेवरात गिरवी रख रहे हैंगरीब आदमी जैसे-तैसे इलाज करवा रहा है।''

MATHURA KOH VILLAGE
कोह गांव में बनाया गया अस्थायी अस्पताल 

डेंगू और वायरल फीवर से केवल मथुरा में ही निर्दोष जनता की जानें नहीं जा रही हैंन्यूज़क्लिक पर ही फिरोजाबाद और बनारस में डेंगू के कहर को लेकर रिपोर्ट हुईं हैं

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ये कोरोना का पीक नहीं हैबावजूद इसके गरीब जनता को बुखार जैसी सामान्य बीमारियों का भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। लेकिन प्रदेश की सरकार और उसके मुखिया का पूरा फोकस मंदिरोंसरोवरोंआरतियों और घंटारियों में लगा हुआ है। अयोध्या जाते हैं तो भव्य दीपोत्सव करवा देते हैंमथुरा आते हैं तो आरती कर आते हैंफिर पूछते हैं।। आज होड़ लगी हैपहले आपके त्योहारों में कोई मंत्रीमुख्यमंत्रीविधायक नहीं आता था।''

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