कोविड-19: अध्ययन से पता चला है कि ऑटो-एंटीबाडी से खतरनाक रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है

कोविड-19 रोग के बारे में पता चला है कि अति-संवेदनशील प्रतिरोधक प्रतिक्रिया अपने आप में जटिलता लिए हुए है। यह “वायरस के बजाय अपने खुद की प्रतिरोधक प्रणाली के हाथों मारे जाने” जैसा है।
इस परिघटना को साइटोकाइन तूफान के नाम से जाना जाता है, जिसके बारे में अब यह तथ्य प्रमाणिक तौर पर उपलब्ध हैं कि नवीनतम कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में आतंकित प्रतिरोधक प्रणाली की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप कहीं और ज्यादा जटिलता उत्पन्न होने लगती है।
इस प्रकार के आतंकित प्रतिरोधक प्रणाली का एक एक दूसरा पहलू, रक्त के थक्कों के बनने को लेकर भी है, जो कई मामलों में खतरनाक साबित हुआ है।
यह भी मालूमात हासिल हुई है कि एक अति सक्रिय प्रतिरोधक प्रतिक्रिया के चलते कुछ बेहद बीमार रोगियों में खतरनाक थक्कों के निर्माण की शुरुआत की संभावना बनने लगती है। शोधकर्ताओं ने अब इस बारे में कुछ पहलुओं के बारे में पता लगा पाने में सफलता हासिल कर ली है कि ये थक्के कैसे बनने लगते हैं।
थक्कों के निर्माण के पीछे की एक वजह ऑटो-एंटीबाडीज भी है। जैसा कि विदित है कि वायरस और संक्रमण को दूर करने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज का होना अति आवश्यक है। लेकिन ऑटो-एंटीबॉडीज, रोगाणुओं की पहचान करने के बजाय अणुओं पर ही हमला करने लगते हैं, जो कि कोशिका झिल्ली निर्मित करने का काम करते हैं।
यह हमला न्युट्रोफिल को, जो कि एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका होती है को वायरस के खिलाफ लक्षित संसाधनों के जाल को जारी करने के लिए प्रेरित कर सकता है। जब ये जाले अपने अंदर लाल रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को फँसा लेते हैं तो उनका एक झुण्ड सा बन जाता है। जोकि अंततः रक्त वाहिकाओं के मार्ग को अवरुद्ध करने का काम करने लगती हैं। साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में ऑटो-एंटीबाडी के जरिये रक्त के थक्के बनने के तंत्र के बारे में बताया गया है।
इसके तंत्र पर टिप्पणी करते हुए इस शोध के लेखक और मिशिगन विश्विद्यालय में रुमेटोलॉजिस्ट के तौर पर कार्यरत, जैसन नाइट का कहना था कि “संभवतः उतकों में संक्रमण को नियंत्रित करने का यह एक तरीका हो सकता है। लेकिन यदि यही काम रक्तप्रवाह में होना शुरू हो जाता है, तो यह घनास्त्रता या कहें थक्के के निर्माण को अग्रगति दे सकता है।”
अपनेआप में यह बेहद पेचीदा निष्कर्ष है, क्योंकि अभी तक ऑटो-एंटीबाडीज को लेकर कई तरह के कयास लगाये जाते रहे हैं, लेकिन उनके रोगजनक प्रभावों के बारे में मालूमात हासिल नहीं हो सके हैं।
ऑटो-एंटीबाडीज पर किये गए एक प्रारंभिक स्तर के पूर्व-प्रिंट अध्ययन ने इस बात की ओर भी इशारा किया है कि ये एंटी-बॉडीज विभिन्न प्रकार के मेजबान लक्ष्यों को बाँध कर रख सकते हैं, जिसकी वजह से ही कुछ मामलों में रोग अपने गंभीर स्तर पर पहुँच जाते हैं। इसके साथ ही विभिन्न क्षमताओं में चलाए गए अध्ययनों से पता चलता है कि वायरसों के खिलाफ प्रतिरोधक प्रतिक्रिया में ऑटो-एंटीबाडीज अपना हस्तक्षेप कर सकते हैं।
ऑटोइम्यून रोग की एक किस्म जिसे एंटी-फॉस्फोलिपिड सिंड्रोम या एपीएस के नाम से जाना जाता है, इसमें ऑटो-एंटीबाडीज फॉस्फोलिपिडस को कोशिका झिल्ली के अणुओं के तौर पर पहचानते हैं। वे रोगी जो एपीएस से पीड़ित हैं, उनमें ऑटो-एंटीबाडीज थक्का निर्मित करने वाली कोशिकाओं को अति-सक्रिय कर सकते हैं, जिसकी वजह से रोगियों में रक्त के थक्के बनने का जोखिम काफी हद तक बढ़ सकता है।
नाइट एवं उनके दल द्वारा किये गए अध्ययन में अस्पताल में भर्ती 172 मरीजों को शामिल किया गया था और उनमें से आधे से अधिक में ऑटो-एंटीबाडीज पाई गई थी, जो मेजबान फॉस्फोलिपिड्स को पहचान सकते थे। इन एंटीबाडीज की उपस्थिति का सम्बंध खून में मौजूद उच्च स्तर के न्यूट्रोफिल से जुडी पाई गई, जिससे पता चला कि इसमें न्यूट्रोफिल भी शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने कुछ मरीजों के नमूनों से इकट्ठा की गई ऑटो-एंटीबाडीज को लैब में विकसित की गई न्यूट्रोफिल्स के साथ मिला दिया था।
इसका जो परिणाम देखने को मिला, वह शोधकर्ताओं के संदेह को पुख्ता करने वाला साबित हुआ- ऑटो-एंटीबाडीज के साथ मिश्रित किये गए न्यूट्रोफिल्स, जाल जारी करने में सक्षम थे। इसके अलावा जब रोगियों में से ऑटो-एंटीबॉडी को निकालकर कृन्तकों में इंजेक्ट किया गया था, तो कृन्तकों में भी रक्त के थक्के बनते देखे गए। यह एक तरह का संकेत था कि मनुष्यों में भी रक्त के थक्के की प्रक्रिया को ऑटो-एंटीबॉडीज द्वारा ट्रिगर किया जा सकता है।
हालाँकि अभी तक जितनी जानकारी हासिल हुई है वह किसी हिमशैल के एक सिरे के समान बेहद कम है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि एंटी-बॉडीज के रक्त के थक्के से जुड़े होने की पुष्टि के लिए और अधिक शोधकार्य जारी रहें।
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COVID-19: Study Suggests Auto-antibodies May Induce Dangerous Blood Clotting
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