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कार्टून क्लिक: क्या आपातकाल के लिए घोषणा की ज़रूरत है!

प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी में प्रवासी भारतीयों के सामने बोलते हुए आपातकाल को भारत के जीवंत लोकतंत्र पर एक काला धब्बा बताया। इससे सहमत होते हुए बहुत लोग भारत में कह रहे हैं कि लेकिन कभी-कभी बिना बताए, बिना घोषणा के भी आपातकाल लागू कर दिया जाता है। उसे क्या कहा जाए!
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जर्मनी में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि 1975 में लगाया गया आपातकाल भारत के जीवंत लोकतंत्र पर एक काला धब्बा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हर भारतीय के डीएनए में है और 47 साल पहले, लोकतंत्र को बंधक बनाने और उसे कुचलने का प्रयास किया गया था लेकिन देश की जनता ने इसे कुचलने की तमाम साजिशों का लोकतांत्रिक तरीके से जवाब दिया। मोदी ने म्यूनिख के ऑडी डोम स्टेडियम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि हम भारतीय जहां भी रहते हैं अपने लोकतंत्र पर गर्व करते हैं। जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जर्मनी गए मोदी ने 30 मिनट से अधिक समय तक लोगों को संबोधित किया।

हालांकि अपने ही देश में असहमति और विरोध के हर स्वर को आज जिस तरह कुचला जा रहा है, बहुत लोग पूछ रहे हैं कि क्या आपातकाल के लिए अब किसी घोषणा की ज़रूरत है। 

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