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कार्टून क्लिक: …देशहित के नाम पर

बड़े बूढ़े कहते हैं कि पहले सोचा, फिर करो...लेकिन इस सरकार में यह अजब बात है कि पहले फ़ैसले थोप दिए जाते हैं, फिर सोचा जाता है। यही नोटबंदी में हुआ, यही लॉकडाउन में हुआ।
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देशहित के नाम पर एक और पत्थर

जां बचानी है तो पहले सर बचाओ

पहले देशहित के नाम पर नोटबंदी की गई। एक हज़ार का नोट बंद करके दो हज़ार का नोट चलाया गया और अब देशहित के नाम पर 2 हज़ार का नोट बंद कर दिया गया। पहले देशहित के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई और आम आदमी को जान तक गंवानी पड़ी अब एक बार फिर देखिए देशहित के नाम पर क्या क्या होता है।

बड़े बूढ़े कहते हैं कि पहले सोचा, फिर करो...लेकिन इस सरकार में यह अजब बात है कि पहले फ़ैसले थोप दिए जाते हैं, फिर सोचा जाता है। यही नोटबंदी में हुआ, यही लॉकडाउन में हुआ। जानकार भी कहते हैं कि अब दो हज़ार का नोट बंद करने के फ़ैसले से साबित हो गया है कि 2016 की नोटबंदी एक ग़लत फ़ैसला थी। जिसका भुगतान आम आदमी तक को करना पड़ा।

इसे पढ़ें: बड़ी ख़बर: अब दो हज़ार रुपये के नोट बंद, 30 सितंबर तक हो सकेंगे वापस

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