बड़ी ख़बर: अब दो हज़ार रुपये के नोट बंद, 30 सितंबर तक हो सकेंगे वापस

अभी देश 2016 की नोटबंदी के झटके से उबरा भी नहीं है कि अब 2000 का नोट बंद करने का ऐलान हो गया है। हालांकि इस बार ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद टीवी पर आकर नहीं किया है, बल्कि आरबीआई ने एक बयान जारी कर इसका ऐलान कर दिया कि 2000 रुपये के नोट सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर हो जाएंगे।
500 रुपये के पुराने नोट के साथ 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपये का नोट जारी करने के फ़ैसले पर पहले ही सवाल हैं। हालांकि ऐसे फ़ैसले की आहट कुछ समय से थी, कहा भी जा रहा था कि 2000 के नोट की छपाई कम कर दी गई है। बैंक से भी 2000 के नोट मिलने काफी कम हो गए थे।
जानकारों का मानना है कि यह एक ग़लती का सुधार है, लेकिन इससे यह भी साबित हो गया है कि 2016 की नोटबंदी एक ग़लती थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर मुंबई डेटलाइन से जारी ख़बर के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2,000 रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर करने की शुक्रवार को घोषणा की। इस मूल्य के नोट को बैंकों में 23 मई से जाकर बदला जा सकता है।
आरबीआई ने शाम को जारी एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2,000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे।
आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर तक ये नोट जमा करने एवं बदलने की सुविधा देने को कहा है। बैंकों में 23 मई से 2,000 रुपये के नोट बदले जा सकेंगे।
हालांकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये मूल्य के नोट ही बदले जाएंगे।
इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से 2,000 रुपये का नोट देना तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा है।
आरबीआई ने नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट चलन से हटाने के बाद 2,000 रुपये के नोट जारी किए थे।
नवंबर 2016 की नोटबंदी तीन लक्ष्य घोषित करते हुए की गई थी। ये तीन लक्ष्य थे कालाधन की समाप्ति, आतंकवाद की रोकथाम और नकली नोटों पर लगाम लगाना। इसके बाद कई बार गोल बदले गए जैसे डिजिटल इंडिया इत्यादि लेकिन 2023 तक भी इनमें से एक भी लक्ष्य नहीं पाया जा सका।
अब इस फ़ैसले का गहन विश्लेषन होगा, लेकिन इस निर्णय पर त्वरित टिप्पणी देते हुए आर्थिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता ने कहा कि सरकार अपनी ग़लती सुधार रही है, लेकिन इससे यह भी साबित हो गया है कि नवंबर 2016 की नोटबंदी एक ग़लती थी। उन्होंने इसका भी उल्लेख किया कि नोटबंदी का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कहा था कि मुझे 50 दिन दीजिए कोई ग़लती निकल जाए तो मुझे जो चाहे सज़ा देना, लेकिन आज साढ़े 6 साल बाद उनकी सरकार और आरबीआई ने ख़ुद मान लिया कि नोटबंदी एक ग़लती थी।
अब ख़ुद केंद्रीय बैंक ने यह कदम ऊंचे मूल्य वाले नोट का इस्तेमाल काला धन जमा करने में किए जाने संबंधी चिंताओं के बीच उठाया है। आरबीआई ने 2,000 रुपये के नए नोट छापना वित्त वर्ष 2018-19 में ही बंद कर दिया था और धीरे-धीरे उनका चलन काफी कम हो चुका है।
रिजर्व बैंक के मुताबिक, ऐसा देखा गया है कि 2,000 रुपये मूल्य के नोट का इस्तेमाल अब लेनदेन में आम तौर पर इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इसी के साथ बैंकों के पास अन्य मूल्यों के नोट भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने से लोगों को नोट देने में कोई समस्या नहीं होगी।
आरबीआई ने कहा, "इसे ध्यान में रखने के साथ आरबीआई की स्वच्छ नोट नीति के अनुरूप 2,000 रुपये मूल्य के नोट को चलन से वापस लेने का फैसला किया गया है।"
केंद्रीय बैंक ने लोगों से बैंक जाकर 2,000 रुपये के नोट अपने खातों में जमा करने या दूसरे मूल्य के नोट से बदलने को कहा है। लोग किसी भी बैंक शाखा में जाकर 23 मई से 30 सितंबर तक नोट बदल सकते हैं।
इसके अलावा आरबीआई के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों में भी 2,000 रुपये के नोट को बदलने की सुविधा दी जाएगी।
आरबीआई के मुताबिक 2,000 रुपये के करीब 89 प्रतिशत नोट मार्च, 2017 से पहले ही जारी किए गए थे और अब उनका चार-पांच साल का अनुमानित जीवनकाल खत्म होने वाला है।
मार्च, 2018 में 6.73 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 2,000 रुपये के नोट चलन में मौजूद थे लेकिन मार्च, 2023 में इनकी संख्या घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गई। इस तरह चलन में मौजूद कुल नोट का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही 2,000 रुपये के नोट रह गये हैं जो मार्च, 2018 में 37.3 प्रतिशत थे।
नोटबंदी का जिन्न फिर बाहर आया, सरकार का गरीब विरोधी एजेंडा जारी: कांग्रेस
कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर करने की घोषणा किए जाने के बाद शुक्रवार को सरकार पर निशाना साधा और कटाक्ष करते हुए कहा कि नोटबंदी वाला ‘जिन्न’ फिर से लोगों को परेशान करने के लिए बाहर आ गया है तथा सरकार को ऐसे कदम के मकसद के बारे में बताना चाहिए।
मुख्यमंत्री विपक्षी दल ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार अपना ‘जन विरोधी और गरीब विरोधी एजेंडा’ जारी रखे हुए है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘स्वयंभू विश्वगुरु की चिरपरिचित शैली। पहले करो, फिर सोचो। आठ नवंबर, 2016 को तुगलकी फरमान (नोटबंदी) के बाद बड़े धूमधाम से 2000 रुपये का नोट जारी किया गया था। अब इसे वापस लिया जा रहा है।’’
Typical of our self-styled Vishwaguru. First Act, Second Think (FAST).
2000 rupee notes introduced with such fanfare after that singularly disastrous Tughlaqi firman of Nov 8 2016 are now being withdrawn.https://t.co/gPjY07iKID
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 19, 2023
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘आठ नवंबर, 2016 का जिन्न फिर से देश को परेशान करने के लिए लौट आया है। बड़े पैमाने पर प्रचारित कदम नोटबंदी देश के लिए भयावह त्रासदी बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने 2000 रुपये के नोट के फायदों के बारे में देश के समक्ष उपदेश दिया था। आज जब इसकी छपाई बंद हो गई है तो उन सब वादों का क्या हुआ?’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को ऐसे कदम के पीछे के मकसद के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। सरकार जन-विरोधी और गरीब-विरोधी एजेंडा जारी रखे हुए है। आशा करते हैं कि मीडिया इस कदम के बारे में सरकार से सवाल करेगा।’’
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।