Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी: छात्राएं चिंता और गुस्से में, कथित वायरल वीडियो कांड ने खड़े किए कई सवाल

छात्राएं विश्वविद्यालय प्रशासन पर मामले को दबाने का गंभीर आरोप लगा रही हैं। साथ ही सुरक्षा से जुड़े कई अहम सवाल भी पूछ रही हैं। फिलहाल विश्वविद्यालय को भी शनिवार, 24 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है।
Chandigarh University

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के वायरल बाथरूम वीडियो मामले में प्रशासन के आश्वासन के बाद आख़िरकार शनिवार की देर रात से जारी छात्राओँ का विरोध प्रदर्शन सोमवार, 19 सितंबर को ख़त्म हो गया। ये प्रदर्शन विश्वविद्यालय के हॉस्टल में नहाती हुई लड़कियों के कथित वीडियो वायरल होने की ख़बर के बाद शुरू हुआ था।

विश्वविद्यालय में 35,000 स्टूडेंट पढ़ते हैं और शनिवार की घटना के बाद छात्राओं के मन में अभी भी डर क़ायम है। छात्राएं विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रही हैं, तो वहीं हॉस्टल परिसर में अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। छात्राओं का प्रदर्शन शनिवार की देर रात से जारी था। उस दौरान कुछ छात्राएं बेहोश भी हुईं थी, जिन्हें तत्काल मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई थी। फिलहाल विश्वविद्यालय को भी शनिवार, 24 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा प्रशासन ने छात्राओं के साथ कथित दुर्व्यवहार के लिए गर्ल्स हॉस्टल वार्डन राजविंदर कौर को भी निलंबित कर दिया है। साथ ही इस मामले में अभी तक कुल तीन लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी हैं।

बता दें कि मोहाली स्थित चंडीगढ़ विश्वविद्यालय एक निजी विश्वविद्यालय है और इसका चंडीगढ़ के सरकारी पंजाब यूनिवर्सिटी ये कोई वास्ता नहीं है। मामला सामने आने के बाद इस विश्वविद्यालय के बारे में बतया जा रहा है कि ये जुलाई 2012 में पंजाब विधानसभा में पारित निजी विश्वविद्यालय विधेयक के तहत अस्तित्व में आया है। सतनाम सिंह इस विश्वविद्यालय के चांसलर हैं, जो बीते दिनों कई सिख नेताओं के साथ बैठक करते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी मंच साझा करते नज़र आए थे।

वैसे अगस्त के महीने में ये विश्वविद्यालय सुर्खियों में था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा अभियान के दौरान इस यूनिवर्सिटी ने एनआईडी फाउंडेशन के साथ मिलकर लहराते हुए झंडे की अब तक की सबसे बड़ी मानव छवि बनाई थी। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड भी बन गया था, जिसे गिनीज़ बुक में भी दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ विश्वविद्यालय की छात्राओं का आरोप है कि एक स्टूडेंट ने कुछ छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो बनाए हैं और उसे शिमला में रहने वाले एक लड़के को भेजा है। विश्वविद्यालय में चर्चा है कि 60 से अधिक छात्राओं के वीडियो बनाए गए है। छात्राएं विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगा रही हैं कि वो मामला दबाने की कोशिश कर रहा है।

न्यूज़क्लिक से बातचीत में कुछ छात्राओँ ने बताया कि हॉस्टल में तनावपूर्ण माहौल है। लड़कियां सिर्फ कॉल पर बात कर सकती हैं। वाईफ़ाई बंद कर दिया गया है, मोबाइल नेटवर्क बंद है और जैमर लगा दिए हैं। छात्राओं का कहना है कि यहां सुरक्षा का जो स्तर होना चाहिए था, विश्वविद्यालय प्रशासन उसे शुरू से नज़रअंदाज़ करता आया है। कॉरिडोर वग़ैरह में शिकायत के बावजूद कैमरे आदि नहीं लगे हैं।

छात्राओं ने सवाल किया कि अभी तक उन्हें एफ़आईआर की कॉपी क्यों नहीं दी गई? 17 सितंबर, शनिवार को जब वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रही थीं, तो उनके ख़िलाफ़ बल प्रयोग क्यों किया गया? अगर कुछ नहीं हुआ तो विश्वविद्यालय को इतने दिनों के लिए बंद क्यों किया गया? प्रशासन उनसे पूरी घटना की डिटेल क्यों छुपा रहा है, कैंपस का इंटरनेट क्यों बंद कर दिए गए। वार्डन किसी सवाल का कोई जवाब क्यों नहीं दे रहीं? जब पहले आरोपी लड़की ने अपना आरोप क़बूल कर लिया तो पुलिस उसे गुमराह क्यों कर रही है?

जबरन प्रदर्शन ख़त्म करवाने की कोशिश

मालूम हो कि स्टूडेंट्स का दावा है कि शनिवार की पुलिस कार्रवाई में कई छात्राएं घायल हुईं। उनका कहना है कि छात्राएं अपनी सुरक्षा के लिए प्रदर्शन कर रहीं थी। लेकिन विश्वविद्यालय ने सीधे पुलिस बुलाकर इसे रोकने का निर्देश दे दिया। हमें बिना किसी आश्वासन और एफ़आईआर के प्रदर्शन ख़त्म करने को कहा गया। लेकिन जब छात्राएं अड़ी रहीं तब जाकर इस मामले में पुलिस ने शिकायत दर्ज की और आला अधिकारियों ने छात्राओं से बातचीत कर उन्हें निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया।

एक छात्रा ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि प्रशासन यहां किसी को कुछ भी बताने के लिए मना कर रहा है। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही यूनिवर्सिटी ने कैंपस के बंद गेट को खोला है। नहीं तो लड़कियों को बाहर जाने की अनुमति भी नहीं दी जा रही थी। मीडिया के अंदर आने पर पहले से ही रोक है, बाकी किसी से कोई भी बात बताने के लिए भी साफ़ तौर पर मना किया गया है।

विश्वविद्यालय की एक शिक्षिका ने न्यूज़क्लिक को फ़ोन पर बताया कि यूनिवर्सिटी में माहौल बहुत तनावपूर्ण है। उनके कई स्टूडेंस उन्हें फ़ोन करके मदद मांग रहे हैं। उनके माता-पिता भी चिंतित हैं और इस तरह की ख़बर आने के बाद से वो अपने बच्चों को वापस घर ले जाना चाहते हैं।

शिक्षिका के मुताबिक़, “शनिवार की देर शाम को पता चला कि हॉस्टल के डी ब्लॉक में बाथरूम में कैमरा लगाकर लड़कियों का वीडियो बनाया गया है। इसके बाद छात्राओं से ही जानकारी मिली कि 60 से अधिक लड़कियों का वीडियो बनाया गया है। कई आत्महत्या जैसी ख़बरें भी पहले आईं, जो बाद में अफ़वाह निकलीं। ये हैरान और परेशान करने वाला थीँ। प्रशासन ने स्टाफ़ को भी सिर्फ़ विश्वविद्यालय बंद होने की जानकारी दी है। इसके अलावा सभी बातें मीडिया के जरिए ही हमें पता लग रही हैं। जो भी हुआ ये बहुत गंभीर मसला है, इसे गंभीरता से लेने में ही सभी की भलाई है।"

विश्वविद्यालय प्रशासन का क्या कहना है?

चंडीगढ़ विश्वविद्यालय प्रबंधन ने दावा किया है कि किसी भी लड़की ने आत्महत्या करने की कोशिश नहीं की थी बल्कि कुछ लड़कियां ख़बर सुन कर 'बेहोश' हो गई थीं। परिसर में कोई आत्महत्या का प्रयास नहीं किया गया है। उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया और कैंपस वापस भेज दिया गया।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. आरएस बावा का कहना है, "शुरूआती जांच में पता लगा है कि लड़की ने सिर्फ़ अपने ही वीडियो भेजे हैं। मामले में एफ़आईआर दर्ज करा दी गई है, पुलिस इसकी जांच कर रही है। मैं छात्रों और पेरेंट्स से किसी भी अफ़वाह पर विश्वास न करने की अपील करता हूं।"

पुलिस क्या कह रही है?

इस मामले में पंजाब पुलिस ने कहा है कि आत्महत्या का कोई प्रयास नहीं था और मामले का कोई अन्य वीडियो उनके संज्ञान में नहीं है। मामले की जांच के लिए फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है और अभियुक्त का फ़ोन पुलिस ने अपने कब्ज़े में ले लिया है। एसएसपी मोहाली विवेक सोनी ने कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है। इस घटना से संबंधित कोई मौत की सूचना नहीं मिली है। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार, कोई आत्महत्या का प्रयास या मौत होने की बात सामने नहीं आई है।

एसएसपी के अनुसार, 'फॉरेंसिक साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। अब तक हमारी जांच में पता चला है कि आरोपी छात्रा ने अपना ही वीडियो बनाया था, उसके मोबाइल में किसी और का वीडियो नहीं मिला है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मोबाइल फ़ोन को ज़ब्त कर लिया गया है। फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है।'

सरकार क्या कर रही है?

इस मामले में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने हाई लेवल जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही ट्वीट कर स्टूडेंट्स से अपील की कि वे अफ़वाहों से बचें। उन्होंने लिखा, “चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की घटना सुनकर दुख हुआ। हमारी बेटियां हमारी शान हैं। घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। जो भी दोषी होगा सख़्त कार्रवाई करेंगे। मैं लगातार प्रशासन के संपर्क में हूं। मैं आप सब से अपील करता हूं कि अफ़वाहों से बचें।"

इस मामले पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एक लड़की ने कई छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड करके वायरल किए हैं। ये बेहद संगीन और शर्मनाक है। इसमें शामिल सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलेगी। पीड़ित बेटियां हिम्मत रखें। हम सब आपके साथ हैं। सभी संयम से काम लें।

महिला आयोग का संज्ञान और ऐसे मामलों की ज़िम्मेदारी

राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है। आयोग ने पंजाब पुलिस महानिदेशक को चिट्ठी लिखकर इस मामले में दोषियों के ख़िलाफ़ तेज़ और सख़्त कार्रवाई करने को कहा है।
आयोग ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को भी पत्र लिख कर मामले में दोषियों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करने की बात कही है। हालांकि इस पूरे मामले पर पंजाब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष मनीषा गुलाटी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसके चलते एक बार फिर नया विवाद खड़ा हो गया।

दरअसल, इस संवेदनशील मुद्दे पर बोलते हुए गुलाटी कई बार हंसी, जो अपने आप में शर्ममनाक है। इस पूरे प्रकरण पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी सवाल उठाए। मालीवाल ने मनीषा गुलाटी पर निशाना साधते हुए कहा कि महिला आयोग महिलाओं के हित के लिए होते हैं। लेकिन अफ़सोस देश के ज़्यादातर महिला आयोग बस किटी पार्टी कार्यालय बनकर रह गए हैं।

ग़ौरतलब है कि देश में आईटी क़ानून होने के बावजूद ऐसी घटनाएं सामने आना शर्मनाक है। और इससे भी ज़्यादा शर्मनाक है इस मुद्दे को हल्के में लेना, इसकी लीपापोती करना। ये घटना सिर्फ़ वायरल वीडियो भर का मुद्दा नहीं है ये मुद्दा महिलाओं के साथ देश में जिस तरह का बर्ताव खुलेआम हो रहा है, उसकी एक झलक भी है। इसे एक बड़ी अनहोनी की तैयारी के रूप में देखा जा सकता है। इसमें आरोपी कोई भी हो लड़की या लड़का इसके लिए कोई जस्टीफिकेशन नहीं हो सकता। हमें “बॉयज़ लॉकर रूम', सुन्नी डील्स जैसी घटनाओं को नहीं भूलना चाहिए, ये सिर्फ़ कुछ लड़के, लड़कियों या परिवारों का मसला नहीं है न ही उन्हें दोषी ठहरा कर हम इससे बच सकते हैं। एक समाज के तौर पर इसके लिए हमें अपने अंदर, अपनी व्यापक संस्कृति के अंदर झांकने की ज़रूरत है। हम अक्सर कुछ लोगों पर किसी भी घटना का दोष मढ़कर चलते बनते हैं। जबकि असल बात तो ये है कि समाज में इस तरह की घटना की ज़िम्मेदारी हम सभी को लेनी चाहिए। क्योंकि हर रोज़ हम अपने समाज में महिला विरोधी सोच और संस्कृति को पाल-पोस रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: 'बॉयज़ लॉकर रूम' जैसी घटनाओं के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest