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कांग्रेस ने अडाणी समूह के खिलाफ ताजा आरोपों को लेकर सरकार पर निशाना साधा

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अडाणी समूह से जुड़े पूरे प्रकरण की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के माध्यम से ही बाहर आ सकती है। 
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फ़ोटो : PTI

मुंबई: कांग्रेस ने ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (ओसीसीआरपी) द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर बृहस्पतिवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस कारोबारी समूह ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों का उल्लंघन एवं मुखौटा कंपनियों के माध्यम से भ्रष्टाचार किया है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अडाणी समूह से जुड़े पूरे प्रकरण की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के माध्यम से ही बाहर आ सकती है। 

गौरतलब है कि ओसीसीआरपी ने अडाणी समूह पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि उसके प्रवर्तक परिवार के साझेदारों से जुड़ी विदेशी इकाइयों के जरिए अडाणी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया।

अडाणी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है।

जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड द्वारा वित्त पोषित संगठन ने ऐसे समय में आरोप लगाए हैं, जब कुछ महीने पहले अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी तथा शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी।

रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के पसंसदीदा पूंजीपति ने शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया है, सेबी के सारे नियमों का उल्लंघन हुआ है। इसका खुलासा अखबारों में हुआ है।’’

इससे पहले, रमेश ने ‘एक्स’ (पूर्व का ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘आज जब 2023 के जी20 शिखर सम्मेलन के लिए तैयारी हो रही है तब नवंबर 2014 के ब्रिस्बेन जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों को याद करना उचित होगा। उस सम्मेलन में उन्होंने "आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को ख़त्म करने", "मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों को ट्रैक करने और बिना शर्त प्रत्यर्पण करने" के लिए देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया था। उन्होंने भ्रष्टों और उनकी हरकतों पर परदा डालने में सहायक "अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं जटिलताओं के जाल को तोड़ने" की भी अपील की थी।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अडाणी समूह और उसके क़रीबियों द्वारा भारतीय प्रतिभूति कानूनों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किए जाने से जुड़े ख़ुलासे इस बात की याद दिलाते हैं कि प्रधानमंत्री के वे शब्द कितने खोखले साबित हुए हैं। ये ख़ुलासे इस बात की याद दिलाते हैं कि प्रधानमंत्री अपने भ्रष्ट मित्रों को बचाने के लिए किस हद तक और गहराई तक चले गए हैं। उन्होंने भारत की नियामक और जांच एजेंसियों को शक्तिहीन कर दिया है। उन्हें ग़लत कामों की जांच करने के बजाय विपक्ष को डराने के लिए राजनीतिक टूल के रूप में बदल दिया गया है।’’

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘ये ख़ुलासे उन 100 से अधिक सवालों के भी जवाब देते हैं, जो कांग्रेस पार्टी ने ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत पूछे थे। वे सारे सवाल प्रधानमंत्री के अडाणी के साथ उनके संदेहास्पद और संदिग्ध संबंधों के बारे में थे। राष्ट्रहित से जुड़े इन सवालों पर प्रधानमंत्री लगातार चुप हैं।’’

अडाणी समूह ने एक बयान में ओसीसीआरपी की रिपोर्ट को ‘‘ बेवकूफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित सोरोस-वित्त पोषित हितों का एक प्रयास’’ करार दिया।

बयान में कहा गया, ‘‘ ये दावे एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अधिक चालान, विदेश में धन हस्तांतरण, संबंधित पक्ष लेनदेन तथा एफपीआई के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी। एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था और लेनदेन लागू कानून के तहत थे।’’

समूह ने कहा, ‘‘ मार्च 2023 में मामले को अंतिम रूप दिया गया जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया। धन के हस्तांतरण को लेकर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है।’’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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