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कोरोना संकट: देश भर में सेक्स वर्कर्स को भुखमरी का डर

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन ने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। इसके चलते सेक्स वर्कर्स के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। उन्हें भुखमरी का डर सता रहा है।
sex worker

भारत में कोरोना महामारी के कारण 24 मार्च से अगले 21 दिनों के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया है। इस महामारी ने जिसने सबसे अधिक प्रभावित किया है उसमें से देह व्यापार या सेक्स वर्क में शामिल लोग भी हैं। यह महामारी छूने से फैलती है ऐसे में इनके पास कोई नहीं जा रहा है। इसके चलते सेक्स वर्कर्स के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। उन्हें भुखमरी का डर सता रहा है।

दरअसल हमारे देश में सेक्स वर्कर और ट्रांसजेंडर लोगों को हमेशा से समाज द्वारा नजरअंदाज किया जाता रहा है। सामान्य हालत में भी इन्हें अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में इस संकट के समय तो इनका जीवन और भी कठिन हो गया है।

महाराष्ट्र के मुंबई में देह व्यापार के लिए मशहूर कमाठीपुरा की गलियां कोरोना वायरस के कारण वीरान पड़ी हुई हैं और वहां बतौर सेक्स वर्कर काम करने वाली हजारों महिलाओं के लिए हालात भयावह बनते जा रहे हैं। लगातार आठवां दिन है जब सेक्स वर्कर सोनी (49) के पास एक भी ग्राहक नहीं आया है। नेपाल की रहने वाली सोनी पिछले 25 साल से देह व्यापार के धंधे में है। उन्होंने मुंबइया शैली की हिंदी में समाचार एजेंसी भाषा से कहा, 'पूरा जिंदगी इधर निकाला, इतना बम फटा, अटैक हुआ, कितना बीमारी आया लेकिन ऐसा हालत कभी नहीं था।'

उसने पिछले रविवार से एक भी रुपया नहीं कमाया है और अगले कुछ दिनों में उसे हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अगर यह चलता रहा तो मैं क्या खाऊंगी, मैं मकान मालिक को किराया कैसे दूंगी? सोनी के अलावा उसके साथ कमरे में तीन और महिलाएं रहती हैं और वे सामान्य दिनों में दो से तीन हजार रुपये कमा लेती थीं।'

विभिन्न आयु वर्ग की महिलाएं यहां देह व्यापार में शामिल हैं। इनमें से कई को तस्करी के जरिए पश्चिम बंगाल, नेपाल तथा बांग्लादेश से यहां लाया गया। आम दिनों में यह इलाका गुलजार रहता था और खासतौर से रात के समय तो पूरा बाजार अलग ही रौशनी में नहाया रहता था। लेकिन आज कल कमाठीपुरा की सड़कें सुनसान पड़ी है। यही हाल देश के अन्य रेडलाइट इलाकों का भी है।

सेक्स वर्कर जया भी इस बात को लेकर चिंतित है कि वह इस मुश्किल समय में कैसे जीवन यापन कर पाएंगी। वह पश्चिम बंगाल से हैं और उसे जबरन वेश्यावृत्ति में धकेला गया। उनका छह साल का बेटा है जिसे वह पुणे में अपने एक परिचित के यहां रखती हैं ताकि वह स्कूल जा सके और पढ़ाई कर सके। उन्होंने कहा, 'हर महीने मुझे अपने बच्चे के लिए कम से कम 1500 रुपये भेजने होते हैं लेकिन अगर मैं कमाऊंगी नहीं तो उसके लिए कैसे पैसे भेज पाऊंगी? मुझे बहुत चिंता है।'

एक अन्य महिला किरण ने कहा, 'आप मोदी (प्रधानमंत्री) से हमें पैसे भेजने के लिए क्यों नहीं कहते क्योंकि हमारे ऊपर भी बूढ़े माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी है।'

इस तरह से एशिया की सबसे बड़े रेड लाइट इलाके उत्तर कोलकाता के सोनागाछी में भी सेक्स वर्कर्स को पता नहीं कि आगे क्या होगा। यहां एक लाख से ज्यादा सेक्स वर्कर्स के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल की सेक्स वर्कर्स का संगठन दरबार महिला समन्वय समिति, सरकार से बातचीत कर रहा है। संगठन की मांग है कि उन्हें असंगठित क्षेत्र के कामगारों का तमगा दिया जाए ताकि उन्हें मुफ्त राशन मिल सके। इस संगठन में 1,30,000 से ज्यादा पंजीकृत सदस्य हैं।

दरबार की एक पदाधिकारी महाश्वेता मुखर्जी ने कहा, 'पिछले पांच दिन से हमें राज्य के अलग-अलग हिस्सों से परेशानी वाले फोन आ रहे हैं। सेक्स वर्कर्स भुखमरी की आशंका से उन्हें बचाने के लिए कुछ करने को कह रही हैं। ज्यादातर के पास भोजन खरीदने के पैसे नहीं हैं, क्योंकि कोरोना वायरस के कारण पिछले 20-21 दिन से उनका काम ठप पड़ा है।'

मुखर्जी ने कहा कि सेक्स वर्कर्स के लिए यह देखना दुखद है कि अब वे इस महामारी के दौरान इतनी गंभीर स्थिति का सामना कर रही हैं।

सोनागाछी की इन्हे सेक्स वर्करों के लिए एक एनजीओ सोनागाछी रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (एसआरटीआई) ने कहा कि सेक्स वर्कर की मदद करने की बात कही हैं। इसके साथ उन्होंने सरकारों से भी इनकी मदद करने की अपील की हैं।

मुखर्जी ने बतया कि सोनागाछी की 30,000 से ज्यादा सेक्स वर्कर्स किराए के मकान में रहती हैं और उनका किराया हर महीने पांच से छह हजार रुपये तक होता है, उसे भी माफ किया जाए।

इसी तरह दिल्ली जीबी रोड की हज़ारों सेक्स वर्कर के समाने खाने का संकट खड़ा हो गया है। इस पूरे इलाके में कई बहुमंजिला इमारतों में हज़ारों सेक्स वर्कर काम करती हैं। इण्डिया टुडे से बात करते हुए एक सेक्स वर्कर ने जो बताया वो स्थिति की भयावहता को दिखाता है।

सेक्स वर्कर, रश्मि* (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वे इन गंदे गलियारों में फंसे हुए हैं और अधिकारी हमारी कड़ी निगरानी कर रहे हैं।

रश्मि ने कहा, "हम किराने का सामान या दवाई खरीदने के लिए भी नीचे नहीं जा सकते हैं। हम में से बहुत से लोग बीमार हैं, लेकिन अब हमारे पास कोई साधन नहीं है कि हम डॉक्टर के पास पहुंचें या मदद के लिए फोन करें, अकेले मास्क पहनें हुए पड़े है। पुलिस वास्तव में हमारी बात नहीं मानती। हमारे पास अब थोड़ा ही पैसा बचा है। हम नहीं जानते कि यह लॉकडाउन कब खत्म होगा। मुझे आश्चर्य है कि अगर हम सभी इससे बच जाएंगे"।

इनमें से कई सेक्स वर्कर्स गरीबी से बचने के लिए रेड लाइट एरिया में आ गईं। अब इनमे से अधिकांश का यह रोजीरोटी का साधन है लेकिन अचानक आये इस ठहराव से खुद को मझधार में फंसी मान रही है।

ये तो बात हुई सेक्स वर्कर की लेकिन इन सेक्स वर्कर पर कई अन्य परिवारों की भी जिंदगी निर्भर है। जैसे की वो दलाल जो इनके लिए ग्राहक लाते है। ऐसे ही एक दलाल है सोनू (बदला हुआ नाम) है, उनकी उम्र लगभग 50 साल है।

उन्होंने बताया कि पिछले कई महीनो से काम पूरी तरह कम हुआ है, क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जो छूने से फैलती है, इस वजह से लोगों ने बाजार में आना काफी पहले से ही बंद कर दिया था लेकिन कुछ जो एकाध आते भी थे इस लॉकडाउन के बाद पूरी तरह ठप हो गया हैं।

आमतौर पर हमारा समाज इन्हें हीन भावना से देखता है लेकिन यह भूल जाते हैं कि यह भी हमारे समाज में रहते हैं। पूरे देश में लाखों की संख्या में रहने वाली सेक्स वर्कर बिना किसी अधिकार के समाज की धिक्कार झेलते हुए किसी तरह से जी रही है।

सेक्स वर्कर के लिए काम करने वाले लोगों का कहना है कि सरकारों को चहिए कि इनकी तुरंत मदद करें। सेक्स वर्कर को असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को मिलने वाले सभी लाभ दिए जाएं। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया जाए कि इनके खाने और स्वास्थ्य की व्यवस्था करें।

वैसे बंगाल सरकार एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मुफ्त राशन के फायदे सेक्स वर्कर्स को देने पर विचार कर रही है। लेकिन शायद यह काफी न हो क्योंकि सामान्य लोगों की तरह इनके लिए समाज में निकलना इतना आसान नहीं होता है। इसलिए आवश्यक है कि सरकार इन तक पहुंचकर मदद करें।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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