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डीयू : एसओएल में सेमेस्टर सिस्टम से नाराज छात्रों ने यूजीसी गेट पर किया प्रदर्शन

विरोध कर रहे छात्रों ने बताया कि प्रशासन का ये नया फैसला लाखों छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा। समेस्टर सिस्टम के तहत 15 नवंबर से एसओएल की परीक्षाएं शुरू हैं लेकिन अभी तक सभी छात्रों को स्टडी मटीरियल ही नहीं मिला है। कक्षाएं नियमित रूप से नहीं लग रही हैं। ऐसे में छात्र कैसे परीक्षा देंगें।
student protest

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में प्रशासन द्वारा बिना तैयारी इस साल से सीबीसीएस (सेमेस्टर सिस्टम) लागू करने के विरोध में विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की चुप्पी के खिलाफ सोमवार 14 अक्तूबर को यूजीसी के गेट पर प्रदर्शन किया।

विरोध कर रहे छात्रों ने बताया कि प्रशासन का ये नया फैसला लाखों छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा। समेस्टर सिस्टम के तहत 15 नवंबर से एसओएल की परीक्षाएं शुरू हैं लेकिन अभी तक सभी छात्रों को स्टडी मटीरियल ही नहीं मिला है। कक्षाएं नियमित रूप से नहीं लग रही हैं। ऐसे में छात्र कैसे परीक्षा देंगें।

छात्र संघ क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में भारी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में यूजीसी से समेस्टर सिस्टम के फैसले को वापस लेने की मांग की। साथ ही एसओएल के छात्रों को भी रेगुलर छात्रों की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने की गुहार लगाई।

केवाईएस के राज्य समिति सदस्य हरीश गौतम ने कहा कि उन्होंने यूजीसी के संयुक्त सचिव से डीयू प्रशासन द्वारा समेस्टर सिस्टम लागू करने में तमाम प्रावधानों की अनदेखी और छात्रों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्हें सचिव द्वारा आश्वासित किया गया है कि इस मुद्दे को यूजीसी अध्यक्ष के संज्ञान में लाया जाएगा।
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केवाईएस के सदस्य दिनेश कुमार ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि डीयू प्रशासन लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। छात्र सेमेस्टर मोड और नए सिलेबस से अनजान हैं। उनका कहना है कि वे सेमेस्टर सिस्टम के खिलाफ नहीं हैं, प्रशासन की ओर से यह फैसला बिना किसी तैयारी के अचानक स्टूडेंट्स पर थोपा गया है। जिससे लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है।

दिनेश का कहना है, 'जहां रेगुलर छात्रों के पास रेगुलर कक्षाएं, बेहतर लाइब्ररी, आल रूट बस पास जैसी तमाम सुविधाएं हैं तो वहीं एसओएल छात्रों को अनियमित और अव्यवस्थित कक्षाओं, लाइब्ररी की कमी, स्टडी मेटेरियल में गड़बड़ियाँ और लेट रिज़ल्ट संबंधी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सीबीसीएस लागू करने से पूर्व छात्रों के लिए जरूरी मूलभूत सुविधायेँ सुनिश्चित नहीं करने से इस सत्र में भारी अव्यवस्था देखने को मिली है, जिसका खामियाजा अंत में छात्रों को ही भुगतना पड़ेगा'।

प्रदर्शन में हिस्सा ले रहीं ऐसओएल छात्रा ज्योति बताती हैं, 'यूजीसी की गाइडलाइंस के हिसाब से एसओएल के स्टूडेंट्स को छपा हुआ स्टडी मटीरियल देना जरूरी है, लेकिन हमें अब तक यह नहीं मिला है। नवंबर में पहले सेमेस्टर के एग्जाम होनेे हैं। डेटशीट आ चुकी हैं। लेकिन अभी तक ना सही से कक्षाओं की शुरुआत हुई है और ना ही हमें कोई सुविधा दी जा रही है ऐसे में हम कैसे परीक्षा देंगे'।

ज्योति ने आरोप लगाया कि गार्गी कॉलेज में कक्षाओं के दौरान वहां कि प्रधानाचार्या ने लड़कियों से कहा की तुम लोग चुड़ी पहन कर घर बैठो, यहां क्यों आती हो।

बता दें कि सीबीसीएस पाठ्यक्रम लागू होने के बाद से एसओएल सेंटरों पर हुई कक्षाओं में भारी अफरा-तफरी व्याप्त रही है। छात्रों के अनुसार उन्हें नए सिलेबस की जानकारी है और न टीचरों को ही यह पता है कि उन्हें क्या पढ़ाना है? ज़्यादातर छात्रों को स्टडी मटेरियल ही नहीं मिला है, जबकि उनकी परीक्षा अगले महीने से होने वाली हैं और उनकी डेट-शीट आ चुकी है। तैयारी की कमी की स्थिति यह है कि लाखों छात्रों के एड्मिशन लिए होने के बावजूद ज़्यादातर सेंटर लगभग खाली हैं क्योंकि उन्हें कक्षा की सूचना ही नहीं दी गयी है|

प्रदर्शनकारी रोहित बताते हैं कि 2017 में यूजीसी के दिशा-निर्देशों के बाद सीबीसीएस समेस्टर सिस्टम की कवायद शुरू हुई। जिसके बाद इस साल से इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) और एसओएस ने समेस्टर सिस्टम लागू किया। ईग्नू के छात्रों के विरोध के बाद वहां परीक्षाओं को जुलाई तक टाल दिया गया लेकिन एसओएल प्रशासन अभी भी समेस्टर सीस्टम लागू करने पर अमादा है।

रोहित ने बताया, 'इससे पहले भी छात्र इस संबंध में भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। जिसके बाद प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया था। लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया। जब एनुअल सिस्टम के परिणाम ही आने में पांच महिने लग जाते हैं तो सेम्सटर सिस्टम के रिजल्ट का क्या होगा’?

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बता दें कि दशहरे के मौके पर केवाईएस की अगुवाई में डीयू के एसओएल छात्रों ने डीयू वीसी का पुतला फूंककर वीसी के इस्तीफे की मांग की थी। इससे पहले भी केवाईएस ने छात्रों के बीच सेमेस्टर सीस्टम को लेकर एक जनमत संग्रह भी करवाया था, जिसमें लगभग 99 प्रतिशत छात्रों ने इस फैसले के विरोध में मतदान किया था।

हालांकि प्रशासन का कहना है कि स्टडी मटीरियल ई-फॉर्म में दिया जा चुका है। जल्द ही प्रिंटेड मटीरियल भी दिया जाएगा। वहीं, स्टूडेंट्स का कहना है कि अब तक एसओएल स्टूडेंट्स के लिए हेल्प क्लास भी सही तरीके से नहीं हुई हैं। क्लास की सूचना ही नहीं भेजी जा रही। स्टूडेंट्स का यह भी कहना है कि प्रशासन अब तक टीचर्स अपॉइंट नहीं कर पाया है।

खबरों के अनुसार 2019-2020 के सत्र के लिए डीयू एसओएल में 1.5 लाख से ज्यादा छात्रों ने 5 यूजी कोर्स में एडमिशन लिया है। छात्रों को दाखिले के समय बताया गया था कि कोर्स तीन साल का है और हर साल एक बार एग्जाम होगा।

गौरतलब है कि सेमेस्टर सिस्टम का फैसला 20 जुलाई को हुई ईसी मीटिंग में लिया गया था, जिसे 17 अगस्त को एग्जिक्यूटिव काउंसिल में फाइनल कर दिया गया। मगर चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) पर आधारित स्टडी मटीरियल अभी तक तैयार नहीं हुआ है। इस बार सिलेबस भी नया आना है। ऐसे में एग्जामिनेशन सिस्टम का क्या होगा और कैसे इतनी जल्दी यह सारा काम किया जाएगा, इस पर प्रशासन के जवाब से छात्र संतुष्ट नहीं नज़र आ रहे हैं। ये देखना होगा की प्रशासन और छात्रों के बीच कैसे तालमेल बैठता है और दिल्ली विश्वविद्यालय कैसे तमाम सुविधाओं और व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करता है।

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