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DU का SOL: डिग्री मेले में भगदड़ के लिए छात्रों को ही ठहराया ज़िम्मेदार

दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग ( SOL) की तरफ से 3 जून को डिग्री मेले का आयोजन किया गया था जिसमें भगदड़ मच गई थी। घटना के बाद 5 जून को प्रशासन ने एक एडवाइज़री जारी कर छात्रों को ही घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया और आगे से बग़ैर रजिस्ट्रेशन SOL के किसी भी आयोजन में न पहुंचने की हिदायत दी।
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दिल्ली विश्वविद्यालय ( DU ) के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग ( SOL ) की तरफ से 5 जून को एक एडवाइजरी जारी की गई। प्रिंसिपल उमाशंकर पाण्डेय की तरफ से जारी की गई इस सलाह में कहा गया कि SOL की तरफ से आयोजित किए जाने वाले किसी भी आयोजन में बग़ैर रजिस्ट्रेशन ( पंजीकरण) कराए पहुंचकर अनावश्यक भीड़ न बढ़ाएं। लेकिन ये एडवाइजरी क्यों जारी कई गई है, और इस एडवाइजरी में और क्या कुछ कहा गया है ये समझने के लिए कुछ पीछे जाना पड़ेगा।

क्या है मामला?

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग ( SOL ) की तरफ से 3 जून को डिग्री मेले का आयोजन किया गया। इसके लिए बकायदा यूनिवर्सिटी स्टेडियम को बुक करवाया गया। बताया जा रहा है कि देखते ही देखते छात्रों की इतनी भीड़ बढ़ गई कि कार्यक्रम स्थल के दरवाज़े बंद कर दिए गए और अचानक ही भगदड़ मच गई, इस भगदड़ में कई छात्रों को चोट आई और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। और दो दिन ( 3-4 जून ) के इस मेले को तुरंत रद्द कर दिया गया।

छात्रा ने सुनाई 3 जून की आपबीती

3 जून को एमए की डिग्री लेने पहुंची छात्रा ने उस दिन के मंजर को कुछ यूं बयां किया '' सुबह नौ बजे के बाद दरवाज़े बंद कर दिए गए थे स्टूडेंट्स की लाइन बढ़ती जा रही थी, बार-बार बोलने पर भी दरवाज़े नहीं खोले जा रहे थे कि तभी अचानक भगदड़ मच गई, इतनी भीड़ थी कि लग ही नहीं था कि हम बच नहीं पाएंगे, लगा आज तो हमारी हड्डियां टूटना तय है, मेरा गला दुप्पटे में बुरी तरह से फंस गया था, चारों तरफ छात्रों के जूते-चप्पल, सामान बिखरा पड़ा था, एक लड़की बहुत ही बुरी तरह से रो रही थी उसे चोट आई थी उसके लिए कैब बुक करी उसके पापा भी उसे लेने के लिए घर से निकल गए थे''।

वे आगे बताती हैं कि'' हम रजिस्ट्रेशन ( पंजीकरण) करवा कर आए थे, बहुत से ग्रेजुएशन के छात्र उत्तराखंड और झारखंड से आए थे, हमें समझ नहीं आ रहा था कि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्रों को एक साथ बुलाने की क्या ज़रूरत थी शायद इसी वजह से इतनी भीड़ हो गई थी, इससे बेहतर होता पोस्ट से ही हमें डिग्री भिजवा दी जाती''।

भगदड़ के बाद दो दिन के डिग्री मेले को तो रद्द कर दिया गया लेकिन इस बदइंतजामी की जिम्मेदारी कौन लेगा? आख़िर किसकी ग़लती से भगदड़ मची थी छात्रों की वजह से या फिर सही इंतज़ाम न होने की वजह से? इन सवालों के जवाब तो नहीं मिले लेकिन 5 जून को SOL की प्रिंसिपल उमाशंकर पाण्डेय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई।

स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग की तरफ से एडवाइज़री जारी

''3 जून को डिग्री मेले के आयोजन के दौरान यह बहुत दुखद घटना हुई कि आयोजन स्थल पर बहुत से ऐसे विद्यार्थी भी पहुंच गए जिन्होंने इसके लिए पंजीकरण नहीं कराया हुआ था। जिसके फलस्वरूप क़ानून एवं व्यवस्था बिगड़ी अराजक स्थिति ने वहां उपस्थित सभी को खतरे में डाल दिया।''

साथ ही इसमें आगे लिखा गया है कि '' समस्त विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को सूचित किया जाता है कि उन विद्यार्थियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी जो मुक्त शिक्षा विद्यालय में अथवा उन्हें बुलाए गए किसी अन्य स्थान पर किसी प्रकार का अभद्र व्यवहार करते पाए जाएंगे''।

SOL की तरफ से जारी की गई एडवाइज़री

प्रशासन के मुताबिक 3 जून को भगदड़ और अफरा तरफी, आयोजन स्थल पर ऐसे विद्यार्थियों के पहुंचने की वजह से हुई जिन्होंने पंजीकरण नहीं करवाया था, साथ ही आगे से ऐसा होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी चेतावनी दी, जबकि छात्रों के मुताबिक कोई भी ऐसा छात्र नहीं था जो बगैर पंजीकरण के पहुंचा हो, छात्र ख़ुद सवाल करते हैं कि दिल्ली के बाहर से दूर-दूर से आए छात्र बगैर पंजीकरण के कैसे आ सकते हैं?

छात्रों का आरोप है कि ये पहली घटना नहीं है जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में इस तरह की कुव्यवस्था सामने आई हो, इससे पहले भी कई ऐसे मौक़े आए जब प्रशासन की बदइंतजामी दिखती रही है, फिर वे समय पर एग्जाम न लेने की बात हो या फिर स्टडी मटेरियल के वितरण के दौरान लंबी-लंबी लाइनों का लगना इस बात की तस्दीक करता है कि प्रशासन छात्रों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

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छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया

इन्हीं सब मुद्दों पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में कल, सोमवार को क्रांतिकारी युवा संगठन ने एक विरोध प्रदर्शन किया और कुलपति को ज्ञापन सौंपा। जिसमें स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के निदेशक पालय मागो और प्रिंसिपल को तुरंत पद से बर्खास्त करने और छात्रों से 3 जून के दौरान मची भगदड़ के लिए माफी मांगने की मांग की। क्रांतिकारी युवा संगठन ने आरोप लगाया कि इस तरह की अव्यवस्था का ये पहला मामला नहीं है 4 मार्च को बीए प्रोग्राम के छात्रों की सेमेस्टर-एंड की परीक्षा थी लेकिन जब छात्र परीक्षा केंद्रों में पहुंचे और उन्होंने परीक्षा देनी शुरू कर दी तो उसने उत्तर-पुस्तिकाएं ये कहते हुए ले ली गई कि उनकी परीक्षा रद्द कर दी है।

क्रांतिकारी युवा संगठन ने आरोप लगाया कि ''3 जून को डिग्री मेले का आयोजन किया गया जिसपर लाखों रुपये यूनिवर्सिटी स्टेडियम को बुक करने और स्टाफ की व्यवस्था के लिए खर्च किए गए लेकिन उसमें भी भगदड़ मच गई''।

5 जून को 'क्रांतिकारी युवा संगठन' ने SOL प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया

हमने क्रांतिकारी युवा संगठन से जुड़ी मुदिता से बात की उन्होंने कहा कि ''SOL को छात्रों से माफी मांगनी चाहिए और साथ ही SOL का ऑडिट होना चाहिए। इस बार फीस भी बढ़ी है, छात्र इतनी फीस देते हैं लेकिन स्टडी मटेरियल ठीक से नहीं मिलता, क्लास भी जैसी होनी चाहिए नहीं होती तो आख़िर छात्रों की फीस का पैसा जाता कहां है''?

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बेशक, मुदिता का सवाल जायज है कि महंगी होती शिक्षा के बावजूद अगर छात्रों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा तो उसकी जांच की जानी चाहिए।

साथ ही जिस वक़्त DU के रेगुलर कॉलेजों की सीटों की कमी के कारण हर साल क़रीब लाख, सवा लाख से ज़्यादा छात्रों को DU के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग का रुख़ करने को मजबूर होना पड़ रहा है अगर वहां भी इस तरह की अनियमितता मिलेगी तो छात्र कैसे बेहतर शिक्षा हासिल कर पाएंगे?

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